दिल्ली हाईकोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को असाधारण अंतरिम जमानत पर रिहा करने की मांग वाली जनहित याचिका खारिज की, 75 हजार रुपये का जुर्माना लगाया

Amir Ahmad

22 April 2024 7:55 AM GMT

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को असाधारण अंतरिम जमानत पर रिहा करने की मांग वाली जनहित याचिका खारिज की, 75 हजार रुपये का जुर्माना लगाया

    दिल्ली हाइकोर्ट ने सोमवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उनके कार्यकाल पूरा होने तक प्रवर्तन निदेशालय (ED) सहित उनके खिलाफ दर्ज सभी आपराधिक मामलों में असाधारण अंतरिम जमानत पर रिहा करने की मांग वाली जनहित याचिका खारिज कर दी, जो जांच या सुनवाई के लिए लंबित हैं।

    एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने कहा कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है, क्योंकि केजरीवाल न्यायिक हिरासत में हैं। उनके पास अदालत का दरवाजा खटखटाने और उचित कार्यवाही दायर करने के साधन हैं।

    खंडपीठ ने कहा,

    "यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि भारत के संविधान में समानता का सिद्धांत और कानून का शासन हमेशा ऊपर होता है। कानून आपसे ऊपर है। रिट क्षेत्राधिकार में यह अदालत उच्च पद पर आसीन व्यक्ति के खिलाफ शुरू किए गए लंबित मामलों में असाधारण अंतरिम जमानत नहीं दे सकती। याचिकाकर्ता को केजरीवाल के पक्ष में व्यक्तिगत बांड बढ़ाना पड़ा और यह वचन देना पड़ा कि केजरीवाल गवाहों को प्रभावित नहीं करेंगे, थोड़ा अजीब है। याचिकाकर्ता के पास प्रतिवादी नंबर 5 (केजरीवाल) के लिए ऐसे बयान देने या व्यक्तिगत बांड रखने के लिए कोई पावर ऑफ अटॉर्नी नहीं है।"

    खंडपीठ ने आगे कहा,

    "प्रतिवादी नंबर 5 (केजरीवाल) के पास ऐसे बयान देने या व्यक्तिगत बांड रखने के लिए कोई पावर ऑफ अटॉर्नी नहीं है।"

    केजरीवाल न्यायिक हिरासत में हैं। उनके पास अदालत में जाने तथा उचित कार्यवाही दायर करने के साधन हैं, जो वास्तव में उन्होंने इस अदालत के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट में भी किया है।

    इसके बाद लोकस स्टैंडी के सिद्धांत में कोई छूट की आवश्यकता नहीं है।

    गैंगस्टर टिल्लू ताजपुरिया और अतीक अहमद की हिरासत में हत्याओं का उदाहरण देते हुए जनहित याचिका में कहा गया कि तिहाड़ जेल में केजरीवाल की सुरक्षा खतरे में है।

    यह जनहित याचिका चौथे वर्ष के लॉ स्टूडेंट द्वारा "हम भारत के लोग' नाम से दायर की गई। उसने कहा कि उसने इस टाइटल का उपयोग केवल इसलिए किया, क्योंकि उसे कोई प्रसिद्धि या लाभ नहीं चाहिए। याचिका वकील करण पाल सिंह के माध्यम से दायर की गई।

    सीनियर वकील राहुल मेहरा केजरीवाल की ओर से पेश हुए और कहा कि मांगी गई प्रार्थनाएं पूरी तरह से अनुचित हैं।

    मेहरा ने कहा,

    "संबंधित व्यक्ति केजरीवाल यदि वह चाहे तो इसे दायर कर सकते हैं। ऐसी याचिका दायर करने वाला यह व्यक्ति कौन होता है? यह प्रचार हित याचिका है, जो पूरी तरह से गुमराह करने वाली है बहुत खेदजनक स्थिति है।”

    याचिकाकर्ता के वकील ने जब दलीलें पेश कीं तो अदालत ने टिप्पणी की:

    "वह कहते हैं कि वे कार्यवाही में कदम उठा रहे हैं। उन्हें आपकी किसी मदद की जरूरत नहीं है। वे संतुष्ट हैं। आप उनकी मदद करने वाले कौन होते हैं? क्या आप संयुक्त राष्ट्र के सदस्य हैं, जो आपको वीटो पावर मिली है? वे कह रहे हैं कि उन्हें आपके फैसले की जरूरत नहीं है। उन्हें आपकी मदद नहीं चाहिए। इसे यहीं रहने दें।"

    याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि केजरीवाल मुख्यमंत्री होने के नाते निर्णय लेने वाली संस्था हैं और अपनी गिरफ्तारी के कारण पिछले एक महीने से उपलब्ध नहीं हैं, जिसके कारण राष्ट्रीय राजधानी के नागरिक परेशान हैं।

    उन्होंने कहा,

    "मैं आज तक किसी भी पार्टी के साथ सहयोग नहीं कर रहा हूं। मेरी एकमात्र चिंता दिल्ली के तीन करोड़ लोगों की है। मैं रजिस्टर्ड वोटर भी हूं। उनके बच्चों का क्या होगा? मेडिकल और शिक्षा? यह असाधारण स्थिति है।"

    अदालत ने तब टिप्पणी की,

    "तो आपके अनुसार हिरासत में कोई विचाराधीन व्यक्ति नहीं होना चाहिए। क्या याचिकाकर्ता की लॉ स्कूल में अच्छी उपस्थिति है? ऐसा लगता है कि वह कानून के सिद्धांतों का पालन नहीं करते हैं। हमने पहले भी कहा है कि कई बार व्यक्तिगत हित को राष्ट्रीय हित के अधीन होना पड़ता है। यह मुख्यमंत्री का निजी फैसला है। आप जमानत के तौर पर निजी मुचलका देंगे? आप यह सुनिश्चित करेंगे कि वह गवाहों को प्रभावित न करें? आप कौन हैं? आप यह सब कैसे कह सकते हैं? हम इसे जुर्माने के साथ खारिज कर रहे हैं।

    याचिका में कहा गया कि राष्ट्रीय राजधानी की जेलों में कई कैदियों की मौत सिर्फ इसलिए हुई, क्योंकि कैदियों की शारीरिक स्थिति गंभीर होने पर उन्हें समय पर मेडिकल सुविधाएं और सेवाएं मुहैया नहीं कराई गईं।

    याचिका में कहा गया कि मख्यमंत्री होने के नाते यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि केजरीवाल के लिए 24x7 सर्वोत्तम स्वास्थ्य सेवाएं मेडिकल डिवाइसण और एक्सपर्ट डॉक्टर उपलब्ध हों, जो जेल परिसर की सुरक्षा कारणों से न्यायिक हिरासत में भी संभव नहीं है।

    इसमें कहा गया कि जेल अधिकारी और पुलिस अधिकारी केजरीवाल की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर सकते, क्योंकि वे उसी काम के लिए अच्छी तरह प्रशिक्षित नहीं हैं।

    जनहित याचिका में कहा गया कि यह काम उच्च प्रशिक्षित कमांडो का है, जिन्हें विशेष रूप से वीआईपी लोगों की जान बचाने के लिए नियुक्त किया गया।

    याचिका में कहा गया,

    "यह भारत के साथ-साथ भारत के सभी नेताओं और भारत की संस्थाओं के लिए बहुत शर्मनाक और दर्दनाक स्थिति होगी, अगर कोई व्यक्ति दिल्ली सरकार के अस्पताल में मर जाता है। वह भी सिर्फ इसलिए कि प्रतिवादी नंबर 5 यानी दिल्ली के मुख्यमंत्री के अस्पताल में रहने के कारण आवश्यक दवा उपलब्ध नहीं थी।"

    इसके अलावा उनके परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु की किसी भी तरह से भरपाई नहीं की जा सकती। अंतरिम याचिका में केजरीवाल को दैनिक आधार पर कार्य समय में अपने आधिकारिक सरकारी कार्यालय में उपस्थित होने और सभी दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने। उन्हें निष्पादित करने और उन्हें जमा करने की अनुमति देने के लिए निर्देश देने की मांग की गई।

    न्यायिक हिरासत के तहत केजरीवाल को उनकी इच्छानुसार दिल्ली सरकार के किसी भी स्थान या कार्यालय का दौरा करने या निरीक्षण करने और अपने आधिकारिक कर्तव्यों को पूरा करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने की अनुमति देने के लिए एक और निर्देश मांगा गया। केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 21 मार्च की रात को गिरफ्तार किया। उनकी न्यायिक हिरासत 23 अप्रैल को समाप्त हो रही है।

    10 अप्रैल को दिल्ली हाइकोर्ट ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी, जिसमें कहा गया कि ED पर्याप्त सामग्री अनुमोदकों के बयान और आप के अपने उम्मीदवार के बयान पेश करने में सक्षम है। इसमें कहा गया था कि केजरीवाल को गोवा चुनावों के लिए पैसे दिए गए।

    दिल्ली के मुख्यमंत्री ने जस्टिस स्वर्णकांत शर्मा की दिल्ली हाइकोर्ट की पीठ के उक्त आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर नोटिस जारी किया, लेकिन कोई अंतरिम राहत देने से इनकार किया।

    आप नेता मनीष सिसोदिया और संजय सिंह भी इस मामले में आरोपी हैं। जबकि सिसोदिया अभी भी जेल में हैं, सिंह को हाल ही में ED द्वारा दी गई रियायत के अनुसार सुप्रीम कोर्ट द्वारा जमानत दी गई।

    ED ने आरोप लगाया कि अरविंद केजरीवाल दिल्ली आबकारी घोटाले के सरगना हैं और 100 करोड़ रुपये से अधिक की अपराध आय के उपयोग में सीधे तौर पर शामिल हैं।

    ED का कहना है कि आबकारी नीति को कुछ खास निजी कंपनियों को थोक व्यापार में 12 प्रतिशत का लाभ देने की साजिश के तहत लागू किया गया। हालांकि मंत्रियों के समूह (GOM) की बैठकों के विवरण में ऐसी शर्त का उल्लेख नहीं किया गया।

    केंद्रीय एजेंसी ने यह भी दावा किया कि विजय नायर और अन्य व्यक्तियों ने साउथ ग्रुप के साथ मिलकर थोक विक्रेताओं को असाधारण लाभ मार्जिन देने की साजिश रची थी।

    एजेंसी के अनुसार नायर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया की ओर से काम कर रहे थे।

    केस टाइटल- हम भारत के लोग बनाम भारत संघ और अन्य

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