दिल्ली हाईकोर्ट ने पति की वैधानिक आयु सीमा पार करने के बावजूद दंपत्ति को सरोगेसी प्रक्रिया अपनाने की अनुमति दी
Shahadat
1 Nov 2025 7:12 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने इच्छुक दंपत्ति को सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 के तहत निर्धारित अधिकतम आयु सीमा से अधिक होने के बावजूद सरोगेसी प्रक्रिया अपनाने की अनुमति दी।
जस्टिस सचिन दत्ता ने कहा कि चूंकि दंपत्ति ने अधिनियम के लागू होने से पहले सरोगेसी प्रक्रिया शुरू की थी, इसलिए धारा 4(iii)(v)(c)(I) के तहत आयु सीमा उन पर लागू नहीं होगी।
यह प्रावधान सरोगेसी चाहने वाले इच्छुक दंपत्तियों के लिए आयु सीमा निर्धारित करता है। इसमें कहा गया कि महिला की आयु 23 से 50 वर्ष के बीच होनी चाहिए, जबकि पुरुष की आयु 26 से 55 वर्ष के बीच होनी चाहिए।
अदालत दंपत्ति की याचिका पर विचार कर रही थी, जिसमें पति की आयु 57 वर्ष और पत्नी की आयु 42 वर्ष बताई गई।
उनका तर्क था कि IVF सहित गर्भधारण के कई असफल प्रयासों के बाद डॉक्टर ने उन्हें माता-पिता बनने के लिए सरोगेसी को एकमात्र व्यवहार्य विकल्प मानने की सलाह दी।
दंपति ने तर्क दिया कि चूंकि पति ऊपरी आयु सीमा पार कर चुका था, इसलिए उसे सरोगेसी प्रक्रिया के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया।
यह प्रस्तुत किया गया कि अयोग्यता दंपत्ति के लिए हानिकारक थी, जबकि उन्होंने यह प्रक्रिया 6 जनवरी, 2021 को ही शुरू कर दी, जो कि अधिनियम के लागू होने से पहले ही शुरू हो गई, जो 25 जनवरी, 2022 को लागू हुआ।
यह प्रस्तुत किया गया कि अधिनियम की धारा 4(iii)(v)(c)(I) का कठोर अनुप्रयोग भेदभावपूर्ण, मनमाना है और प्रजनन स्वायत्तता के उनके मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है।
याचिका स्वीकार करते हुए कोर्ट ने कहा:
“विजया कुमारी एस (सुप्रा) के आलोक में यह देखते हुए कि याचिकाकर्ताओं ने अधिनियम के लागू होने से पहले सरोगेसी प्रक्रिया शुरू की थी, इस न्यायालय का विचार है कि अधिनियम की धारा 4(iii)(v)(c)(I) यहाँ याचिकाकर्ताओं पर लागू नहीं होगी।”
इसने पति की आयु के बावजूद, दंपति को सरोगेसी प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की अनुमति दी।
जज ने निर्देश दिया,
“याचिकाकर्ताओं को पात्रता प्रमाणपत्र प्राप्त करने से छूट दी जाती है, बशर्ते वे अधिनियम और सरोगेसी (विनियमन) नियम, 2022 के तहत अन्य सभी लागू शर्तों को पूरा करते हों।”
Title: TAPAS KUMAR MALLICK & ANR v. UNION OF INDIA & ANR

