दिल्ली सरकार प्राइवेट स्कूलों की फीस का नियमन केवल मुनाफाखोरी रोकने के लिए कर सकती है, फीस संरचना को नियंत्रित करने के लिए नहीं: हाईकोर्ट

Shahadat

10 Oct 2025 10:30 AM IST

  • दिल्ली सरकार प्राइवेट स्कूलों की फीस का नियमन केवल मुनाफाखोरी रोकने के लिए कर सकती है, फीस संरचना को नियंत्रित करने के लिए नहीं: हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार के शिक्षा निदेशालय (DOE) को गैर-सहायता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों की फीस संरचना को केवल मुनाफाखोरी, शिक्षा के व्यावसायीकरण और कैपिटेशन फीस वसूली पर अंकुश लगाने के लिए आवश्यक सीमा तक ही विनियमित करने का अधिकार है।

    चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि सरकार ऐसे स्कूलों पर व्यापक प्रतिबंध नहीं लगा सकती या फीस वृद्धि का आदेश नहीं दे सकती।

    कोर्ट ने कहा,

    "ऐसा नहीं है कि स्कूलों द्वारा ली जाने वाली फीस का नियमन सरकार द्वारा नहीं किया जा सकता। हालांकि, नियमन की अनुमति केवल यह सुनिश्चित करने के लिए है कि ऐसे स्कूल मुनाफाखोरी या शिक्षा के व्यावसायीकरण या कैपिटेशन फीस वसूलने में लिप्त न हों।"

    इसमें यह भी कहा गया कि सरकार द्वारा अपनाए जा सकने वाले नियामक उपायों में यह भी शामिल होगा कि गैर-सहायता प्राप्त स्कूल अपने लाभ या अधिशेष का उपयोग शैक्षणिक संस्थान के लाभ के अलावा किसी अन्य उद्देश्य के लिए न करें।

    कोर्ट ने इस बात पर ज़ोर दिया कि शुल्क संरचना उपलब्ध बुनियादी ढांचे और अन्य सुविधाओं, शिक्षकों और कर्मचारियों को दिए जाने वाले वेतन और संस्थान के विस्तार या बेहतरी की भविष्य की योजनाओं को ध्यान में रखते हुए तय की जानी चाहिए।

    खंड़पीठ ने शिक्षा निदेशालय और विभिन्न छात्रों द्वारा दायर अपीलों को खारिज कर दिया, जिसमें सिंगल जज के उस आदेश को चुनौती दी गई, जिसमें ब्लूबेल्स इंटरनेशनल स्कूल और लीलावती विद्या मंदिर को 2017-18 शैक्षणिक सत्र के लिए शुल्क वृद्धि करने से रोकने वाले आदेशों को रद्द कर दिया गया।

    कोर्ट ने कहा कि वह सिंगल जज द्वारा दर्ज किए गए इस निष्कर्ष से पूरी तरह सहमत है कि किसी गैर-सहायता प्राप्त मान्यता प्राप्त स्कूल द्वारा ली जाने वाली फीस के निर्धारण में शिक्षा निदेशालय के हस्तक्षेप का दायरा केवल उस मामले तक सीमित है, जिसमें स्कूल कैपिटेशन शुल्क वसूलता है या मुनाफाखोरी करता है।

    कोर्ट ने कहा,

    "तदनुसार, यदि विद्यालयों द्वारा दाखिल किए जाने वाले शुल्क विवरण की जांच करने पर शिक्षा निदेशालय यह पाता है कि स्कूलों द्वारा एकत्रित राशि का व्यय DSEA, 1973 या उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों के प्रावधानों के अनुसार नहीं है तो शिक्षा निदेशालय द्वारा स्कूल के विरुद्ध उचित कार्रवाई की जा सकती है।"

    कोर्ट ने आगे कहा,

    "ऐसी कार्रवाई यह सुनिश्चित करने के लिए भी है कि संबंधित स्कूल मुनाफाखोरी, व्यावसायीकरण या कैपिटेशन पीस वसूलने में लिप्त न हो। साथ ही स्कूल द्वारा अर्जित लाभ/अधिशेष राशि का उपयोग केवल स्कूल की बेहतरी और शिक्षा से संबंधित अन्य उद्देश्यों के लिए किया जाए और इसे प्रबंधन के किसी अन्य व्यवसाय या व्यक्तिगत उपयोग के लिए उपयोग न किया जाए।"

    Title: RUMANA THROUGH FATHER MR HEMANT AND ORS v. BLUEBELLS INTERNATIONAL SCHOOL KAILASH AND ANR & other connected matters

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