रिटायर्ड जज जस्टिस एसएन ढींगरा ने दिल्ली विधानसभा चुनावों में 'नकदी-उन्मुख योजनाओं' के मुद्दे पर राजनीतिक दलों के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की

Avanish Pathak

3 Feb 2025 2:30 PM IST

  • रिटायर्ड जज जस्टिस एसएन ढींगरा ने दिल्ली विधानसभा चुनावों में नकदी-उन्मुख योजनाओं के मुद्दे पर राजनीतिक दलों के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की

    दिल्ली विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों की ओर से मतदाताओं को नकद बांटने के वादों के मुद्दे पर में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), आम आदमी पार्टी (आप) और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) के खिलाफ रिटायर्ड जस्टिस एसएन ढींगरा ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। उनका आरोप है कि यह "भ्रष्ट आचरण" के दायरे में आता है। जस्टिस ढींगरा एक समय यान (सशक्त समाज) नामक संगठन के अध्यक्ष भी हैं।

    उन्होंने ने तर्क दिया है कि इस प्रकार की गतिविधियां न केवल चुनावी कानूनों का उल्लंघन करती हैं, बल्कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मतदाताओं के मौलिक अधिकारों, जिसमें निजता का अधिकार भी शामिल है, का भी उल्लंघन करती हैं और चुनावों के स्वतंत्र और निष्पक्ष संचालन को गंभीर रूप से बाधित करती हैं।

    इस याचिका में केंद्रीय चुनाव आयोग (ईसीआई) को निर्देश देने की मांग की गई है कि वह तीनों राजनीतिक दलों द्वारा मतदाताओं की स्पष्ट सहमति के बिना मौद्रिक योजनाओं की आड़ में कथित भ्रष्ट आचरण और अवैध डेटा एकत्र करने की गहन जांच करे।

    भाजपा, आप और कांग्रेस को मतदाताओं के व्यक्तिगत और चुनावी डेटा एकत्र करने से रोकने और किसी तीसरे पक्ष के साथ साझा या उपयोग न करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है।

    इसके अलावा यह भी निर्देश देने की मांग की गई है कि "नकदी-उन्मुख योजनाओं" को असंवैधानिक और स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों की भावना के खिलाफ घोषित किया जाए, क्योंकि इसे "चुनाव हेरफेर" के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

    इस याचिका में मतदाताओं को नकद वितरण के खिलाफ वादों के संबंध में राजनीतिक दलों के लिए नियम बनाने और चुनावी कानूनों के आगे उल्लंघन को रोकने के लिए निगरानी तंत्र को मजबूत करने के लिए ईसीआई को निर्देश देने की भी मांग की गई है।

    पीआईएल में आप की "मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना", भाजपा की "महिला समृद्धि योजना" और कांग्रेस की "प्यारी दीदी योजना" का उल्लेख किया गया है, जिसमें पार्टियों ने सत्ता में आने पर मतदाताओं को नकद लाभ देने का वादा किया है।

    याचिका में कहा गया है,

    "ये कार्रवाइयां जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के प्रावधानों का उल्लंघन करती हैं, खास तौर पर धारा 123(1) (भ्रष्ट आचरण), धारा 127ए (अनधिकृत चुनाव सामग्री), साथ ही भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 170 और 171 (चुनावों के दौरान रिश्वतखोरी और अनुचित प्रभाव डालने के अपराध)। इसके अलावा, ये कार्रवाइयां चुनाव आयोग की ओर से जारी किए गए सलाहकार दिशानिर्देशों की अवहेलना करती हैं।"

    केस टाइटलः जस्टिस (सेवानिवृत्त) एसएन ढींगरा, अध्यक्ष, समय यान (सशक्त समाज) बनाम भारतीय चुनाव आयोग और अन्य।

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