Customs Act | दिल्ली हाईकोर्ट ने BSNL को माल की गलत घोषणा के लिए ₹12.63 करोड़ के जुर्माने को चुनौती देने की अनुमति दी
Shahadat
15 Nov 2025 9:09 AM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने BSNL (भारत संचार निगम लिमिटेड) को आयातित माल की गलत घोषणा के लिए सीमा शुल्क विभाग (Customs) द्वारा उस पर लगाए गए ₹12,63,01,812/- के जुर्माने को चुनौती देने की अनुमति दी।
जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह और जस्टिस शैल जैन की खंडपीठ ने कहा कि सार्वजनिक स्वायत्त सेवा प्रदाता ने CESTAT से संपर्क करने में देरी का कोई वैध औचित्य नहीं दिखाया। हालांकि, "इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि BSNL ने स्वैच्छिक घोषणा की थी, प्रथम दृष्टया BSNL के इस तर्क में कुछ दम प्रतीत होता है कि वह गुण-दोष के आधार पर सुनवाई का हकदार है।"
बता दें, BSNL ने कुछ उपकरण आयात किए, जिन्हें सीमा शुल्क टैरिफ शीर्ष 85176290 के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया। हालांकि, विभाग द्वारा जारी स्पष्टीकरण के अनुसार, वर्गीकरण सीमा शुल्क टैरिफ शीर्ष 85177090 के अंतर्गत होना था। तदनुसार, BSNL ने अपनी सभी क्षेत्रीय इकाइयों को अंतर शुल्क का भुगतान करने का निर्देश दिया।
हालांकि, जानबूझकर गलत बयान देने के लिए कंपनी पर कस्टम एक्ट, 1962 की धारा 28(4) के तहत जुर्माना लगाया गया।
यद्यपि BSNL ने इस आदेश को चुनौती दी, लेकिन CESTAT ने 652 दिनों की देरी और कंपनी द्वारा स्पष्टीकरण न देने का हवाला देते हुए अपील पर विचार करने से इनकार कर दिया।
हाईकोर्ट के समक्ष, BSNL ने तर्क दिया कि जुर्माना लगाना उचित नहीं होगा, क्योंकि (i) यह एक सार्वजनिक निकाय है, और (ii) मिलीभगत या जानबूझकर बयान देने का कोई आरोप नहीं हो सकता, क्योंकि कस्टम द्वारा कोई नोटिस जारी किए जाने से पहले ही अंतर शुल्क का भुगतान स्वैच्छिक कर दिया गया था।
हाईकोर्ट ने इस बात पर सहमति जताई,
"BSNL एक सार्वजनिक स्वायत्त सेवा प्रदाता है और उसने स्वयं अंतर शुल्क की घोषणा की है और स्वेच्छा से उसका भुगतान किया। इसलिए इस अदालत की राय में BSNL गुण-दोष के आधार पर सुनवाई का हकदार है।"
हालांकि, न्यायालय ने कहा कि CESTAT के आदेश में कोई त्रुटि नहीं है, क्योंकि कंपनी देरी के बारे में उचित स्पष्टीकरण नहीं दे पाई। इसलिए कोर्ट ने BSNL की अपील को 20,000 रुपये के जुर्माने के साथ बहाल कर दिया।
Case title: BSNL v. Commissioner Of Customs

