CLAT UG 2025: दिल्ली हाईकोर्ट ने उत्तर कुंजी पर कुछ आपत्तियों को स्वीकार किया, NLU संघ को मेरिट सूची संशोधित करने का निर्देश दिया
Shahadat
23 April 2025 10:22 AM

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (NLU) के संघ को निर्देश दिया कि वह कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (CLAT) UG परीक्षा 2025 देने वाले चयनित उम्मीदवारों की अंतिम सूची को चार सप्ताह के भीतर पुनः प्रकाशित और पुनः अधिसूचित करे।
चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने विभिन्न नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में ग्रेजुएट लॉ कोर्स में एडमिशन के लिए पिछले साल दिसंबर में आयोजित CLAT UG परीक्षा 2025 के परिणामों को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक समूह पर फैसला सुनाया।
न्यायालय ने कहा,
"हम प्रतिवादी संघ को चार सप्ताह के भीतर मार्कशीट संशोधित करने और चयनित उम्मीदवारों की अंतिम सूची पुनः प्रकाशित करने का निर्देश देते हैं।"
न्यायालय ने कहा कि उसने उम्मीदवारों की कुछ आपत्तियों को स्वीकार कर लिया और कुछ आपत्तियों को खारिज कर दिया। इसने कहा कि जिन उम्मीदवारों ने विंडो अवधि के भीतर आपत्तियां दर्ज नहीं की, उनकी आपत्तियां स्वीकार नहीं की जा सकतीं।
इसके अलावा, न्यायालय ने कहा कि उसने निर्णय में अलग-अलग प्रश्नों का विस्तार से विश्लेषण किया, जिसे शीघ्र ही अपलोड किया जाएगा।
याचिकाओं पर निर्णय 09 अप्रैल को सुरक्षित रखा गया था। CLAT PG 2025 परीक्षा के परिणामों को चुनौती देने वाला एक और बैच पीठ के समक्ष विचाराधीन है।
ये याचिकाएं देश भर के विभिन्न हाईकोर्ट में दायर की गई थीं। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें दिल्ली हाईकोर्ट में ट्रांसफर कर दिया था। ट्रांसफर याचिका नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के संघ द्वारा दायर की गई थी।
दिसंबर, 2024 में आयोजित CLAT-2025 परीक्षा के परिणामों के खिलाफ दिल्ली, कर्नाटक, झारखंड, राजस्थान, बॉम्बे, मध्य प्रदेश और पंजाब एंड हरियाणा के हाईकोर्ट में याचिकाएं लंबित थीं।
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने मामलों को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में स्थानांतरित करने की इच्छा व्यक्त की थी, क्योंकि पहली याचिका वहाँ दायर की गई।
दिसंबर, 2024 में दिल्ली हाईकोर्ट के एकल जज ने पाया कि CLAT-UG 2025 परीक्षा के दो उत्तर गलत थे और उन्होंने कंसोर्टियम को याचिकाकर्ताओं के परिणामों को संशोधित करने के लिए कहा। जब कंसोर्टियम ने एकल पीठ के फैसले के खिलाफ अपील की तो खंडपीठ ने टिप्पणी की कि उन्हें प्रथम दृष्टया एकल पीठ के फैसले में कोई त्रुटि नहीं मिली।
केस टाइटल: कंसोर्टियम ऑफ नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज बनाम मास्टर आदित्य सिंह, माइनर और अन्य संबंधित मामले