अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया ने 'फांसी घर' विवाद पर विशेषाधिकार समिति के समन के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया
Shahadat
10 Nov 2025 10:18 PM IST

आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ने "फांसी घर" विवाद पर दिल्ली विधानसभा की विशेषाधिकार समिति द्वारा उन्हें जारी समन को चुनौती देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया।
उनकी याचिका पर मंगलवार को जस्टिस सचिन दत्ता सुनवाई करेंगे।
फांसी घर का उद्घाटन केजरीवाल और सिसोदिया ने 22 अगस्त, 2022 को विधानसभा परिसर के अंदर किया था, जब वे क्रमशः मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के रूप में कार्यरत थे।
इस याचिका में विशेषाधिकार समिति द्वारा 9 सितंबर को जारी नोटिस और केजरीवाल तथा सिसोदिया को "फांसी घर की प्रामाणिकता की पुष्टि" के लिए पेश होने के लिए जारी समन को चुनौती दी गई।
याचिका के अनुसार, फांसी घर के उद्घाटन के तीन साल से भी ज़्यादा समय और सातवीं विधानसभा के भंग होने के कई महीनों बाद इस संरचना की प्रामाणिकता से संबंधित मुद्दा पहली बार 5 अगस्त को दिल्ली की आठवीं विधानसभा में उठाया गया।
याचिका में कहा गया कि 'फांसी घर' स्वतंत्रता संग्राम और स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा दिए गए बलिदान से संबंधित प्रतीकात्मक स्मारक के रूप में स्थापित किया गया और उद्घाटन सार्वजनिक जानकारी का विषय था।
याचिका में आगे कहा गया कि विधानमंडल के पास मामलों की जांच करने, कानून बनाने या सार्वजनिक निगरानी के लिए समितियां गठित करने की शक्तियां हो सकती हैं, लेकिन दिल्ली विधानसभा परिसर में ईंट-पत्थर की डिज़ाइन और जीर्णोद्धार न तो कानून बनाने के लिए है और न ही सार्वजनिक निगरानी के लिए।
याचिका में आगे कहा गया कि विशेषाधिकार समिति को उन ऐतिहासिक तथ्यों की प्रामाणिकता की जांच करने का अधिकार नहीं है, जिन्हें पूर्व अध्यक्ष और उपाध्यक्ष ने ध्यान में रखा था और उद्घाटन समारोह में उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों के विरुद्ध कार्यवाही करने का भी अधिकार नहीं है।
याचिका में कहा गया,
"यद्यपि याचिकाकर्ताओं ने 09.09.2025 के नोटिस का जवाब दिया था लेकिन उस पर उचित विचार नहीं किया गया और 04.11.2025 के बैठक समन के नोटिस में याचिकाकर्ताओं द्वारा अपने-अपने उत्तरों में उठाई गई आपत्तियों या आधारों का कोई उल्लेख नहीं है।"
आप नेताओं ने तर्क दिया कि कार्यवाही अधिकार क्षेत्र के अभाव, प्रक्रियागत अवैधताओं, संवैधानिक कमियों और विधायी शक्ति के दुरुपयोग से ग्रस्त है।
इसमें कहा गया,
"ये संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 के तहत याचिकाकर्ताओं के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं और इन्हें रद्द किया जाना चाहिए।"
Title: ARVIND KEJRIWAL & ANR v. LEGISLATIVE ASSEMBLY, NCT OF DELHI & ORS

