प्रशासनिक विलंब और सीनियरिटी: जब सीनियरों की अपेक्षा जूनियर को वरीयता देना भेदभावपूर्ण हो जाता है: दिल्ली हाईकोर्ट
Shahadat
10 Nov 2025 10:11 PM IST

जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस मधु जैन की दिल्ली हाईकोर्ट की खंडपीठ ने माना कि कर्मचारियों की नियुक्ति में प्रशासनिक विलंब के कारण उनकी पदोन्नति हेतु अर्हक सेवा अवधि में कमी आई। इसलिए कर्मचारी पदोन्नति के पात्र हैं, क्योंकि यह विलंब भारतीय आयुध निर्माणी सेवा (UOI) की प्रशासनिक प्रक्रिया के कारण हुआ था, न कि अधिकारियों की स्वयं की किसी गलती के कारण।
पृष्ठभूमि तथ्य
प्रतिवादी और उनके एक सहकर्मी का चयन भारतीय आयुध निर्माणी सेवा (IOFS) 2006 बैच में अधिकारी के रूप में हुआ था। हालांकि, प्रक्रियागत विलंब के कारण उन्हें अपने अन्य बैचमेट की तुलना में नियुक्ति पत्र बहुत देर से प्राप्त हुए। बैचमेट ने 31 दिसंबर, 2007 को अपना पदभार ग्रहण किया, जबकि प्रतिवादी और उनके सहकर्मी छह महीने की देरी के बाद 30 जून, 2008 को कार्यभार ग्रहण कर सके।
बाद में जूनियर प्रशासनिक ग्रेड (JAG) में पदोन्नति के दौरान अर्हक सेवा अवधि की एक विशिष्ट अवधि ही पात्रता थी। सेवा मानदंडों में छूट प्रदान करने के बाद उनके जूनियर अधिकारी को पदोन्नत कर दिया गया। हालांकि, प्रतिवादी और उनके सहयोगी को अयोग्य घोषित कर दिया गया, क्योंकि छह महीने की देरी ने उन्हें अधिकतम दो वर्ष की छूट अवधि से बाहर कर दिया।
उन्हें उस देरी के लिए दंडित किया जा रहा था, जो उनकी गलती के कारण नहीं थी। इसलिए उन्होंने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण के समक्ष इस फैसले को चुनौती दी। न्यायाधिकरण ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया। इसने सरकार को निर्देश दिया कि उन्हें उसी तिथि से काल्पनिक पदोन्नति प्रदान की जाए, जिस तिथि से किसी अन्य अधिकारी को पदोन्नत किया गया। इससे व्यथित होकर भारत संघ ने न्यायाधिकरण के आदेश को चुनौती देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
भारत संघ ने तर्क दिया कि प्रतिवादियों पर समीक्षा डीपीसी में विधिवत विचार किया गया लेकिन उन्हें पदोन्नति के लिए अयोग्य पाया गया। संघ संघ ने इस बात पर ज़ोर दिया कि एसआरओ नंबर 227/2002 और एसआरओ नंबर 01(ई)/2014 के अनुसार, एक अधिकारी को सीनियर समय वेतनमान में चार वर्ष के साथ समूह 'ए' सेवा के 13 वर्ष पूरे करने होंगे। यह तर्क दिया गया कि अर्हक सेवा में अधिकतम दो वर्ष की छूट अनुमन्य है लेकिन प्रतिवादी अधिकारियों की सेवा अवधि निर्धारित सीमा से अधिक कम रही। दूसरी ओर, प्रतिवादी अधिकारियों ने तर्क दिया कि उनका चयन 2006 के उसी बैच में हुआ था, जिसमें उनके जूनियर अधिकारी थे और उनकी नियुक्ति तिथि में देरी का कारण सरकार द्वारा उन्हें नियुक्ति पत्र जारी करने में की गई देरी थी।
न्यायालय के निष्कर्ष
न्यायालय ने पाया कि चयन प्रक्रिया में ये अधिकारी सीनियर थे। उनके कार्यभार ग्रहण करने में देरी के कारण पदोन्नति के लिए उनकी अर्हक सेवा अवधि में कमी आई। यह भी पाया गया कि संघ संघ के प्रशासनिक कारणों से जूनियर अधिकारी को नियुक्ति पत्र दोनों अधिकारियों को जारी किए जाने से पहले ही जारी कर दिया गया। इसके अलावा, यह देरी संघ संघ की प्रशासनिक प्रक्रिया के कारण हुई, न कि अधिकारियों की स्वयं की किसी गलती के कारण।
न्यायालय ने माना कि एक जूनियर अधिकारी को सेवा में छूट देना, जिससे उसकी पदोन्नति आसान हो गई, जबकि उसके सीनियर अधिकारियों को यह लाभ नहीं दिया गया, जो सरकार की अपनी देरी के कारण नुकसान में थे, भेदभावपूर्ण था।
परिणामस्वरूप, याचिका में कोई दम न पाते हुए कोर्ट ने न्यायाधिकरण के निर्देशों को बरकरार रखा। उपरोक्त टिप्पणियों के साथ भारत संघ द्वारा दायर याचिका को न्यायालय ने खारिज कर दिया।
यह निर्देश दिया गया कि अधिकारियों को उनके जूनियर अधिकारी की पदोन्नति की तिथि अर्थात 30-06-2020 से जूनियर प्रशासनिक ग्रेड में काल्पनिक पदोन्नति प्रदान की जाए। साथ ही सभी परिणामी लाभ भी दिए जाएं। आदेश का पालन करने की अवधि आठ सप्ताह बढ़ा दी गई।
Case Name : Union of India & Anr. vs. Amit Kumar Yadav & Ors.

