1984 Anti-Sikh Riots: Congress नेता जगदीश टाइटलर ने हत्या के मामले में ट्रायल पर रोक के लिए दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया
Shahadat
12 Nov 2024 9:17 AM IST
कांग्रेस (Congress) नेता जगदीश टाइटलर ने सोमवार (11 नवंबर) को दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया और 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान तीन व्यक्तियों की हत्या से संबंधित मामले में उनके खिलाफ चल रही निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की।
टाइटलर ने हाईकोर्ट में उनके खिलाफ हत्या के आरोप तय करने को चुनौती देने वाली याचिका के लंबित रहने तक निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की।
जस्टिस मनोज कुमार ओहरी की एकल पीठ ने मामले की सुनवाई की, लेकिन कोई औपचारिक रोक आदेश पारित नहीं किया गया। न्यायालय ने कहा कि निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका में दलीलें जारी रहेंगी, लेकिन इस बीच कोई रोक आदेश नहीं दिया गया।
टाइटलर ने प्रार्थना की कि ट्रायल कोर्ट के समक्ष मामले की सुनवाई के लिए उनकी आपराधिक पुनर्विचार याचिका की सुनवाई के बाद की तारीख तय की जाए, जो कि निर्णय के लिए लंबित है और 29 नवंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।
उनकी याचिका में कहा गया,
"यह अत्यंत सम्मानपूर्वक प्रस्तुत किया जाता है कि शीर्षक वाली आपराधिक पुनर्विचार याचिका ने अभियोजन पक्ष की मंशा और प्रतिवादी CBI द्वारा की गई जांच पर पर्याप्त प्रश्न उठाए। इसलिए इस माननीय न्यायालय द्वारा एलडी ट्रायल कोर्ट को शीर्षक वाली याचिका के लंबित रहने तक शीर्षक वाले मामले में आगे न बढ़ने का आदेश/निर्देश न्याय के हित में समीचीन है।"
उन्होंने तर्क दिया कि हालांकि उनके खिलाफ आरोप तय करने वाले तत्कालीन न्यायाधीश के रिटायरमेंट के बाद ट्रायल कोर्ट खाली था, लेकिन CBI और पीड़ित द्वारा लगातार अनुरोध के बाद अभियोजन पक्ष के गवाह की चीफ एक्जामिनेश लिंक जज के समक्ष दर्ज की गई थी।
टाइटलर की ओर से सीनियर एडवोकेट अरविंद निगम पेश हुए। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) का प्रतिनिधित्व एसपीपी अनुपम एस शर्मा ने किया।
टाइटलर के खिलाफ हत्या और अन्य अपराधों के लिए आरोप तय किए गए, जिसमें गैरकानूनी तरीके से एकत्र होना, दंगा करना और दुश्मनी को बढ़ावा देना शामिल है। टाइटलर ने इन आरोपों में खुद को निर्दोष बताया।
जस्टिस नानावती आयोग की सिफारिश के आधार पर केंद्र सरकार ने CBI को टाइटलर और कई अन्य के खिलाफ मामलों की फिर से जांच करने का निर्देश दिया था।
तदनुसार, CBI ने नवंबर 2005 में फिर से FIR दर्ज की थी। हालांकि, CBI द्वारा आरोपपत्र में उनके खिलाफ कोई कार्रवाई की सिफारिश नहीं की गई। बाद में पिछले साल मई में उनके खिलाफ पूरक आरोपपत्र दायर किया गया।
टाइटलर का कहना है कि उनके खिलाफ आरोप तय करने का आदेश गलत, अवैध है और ट्रायल कोर्ट द्वारा विवेक का इस्तेमाल नहीं किया गया।
उन्होंने कहा कि वर्तमान मामला डायन-शिकार और उत्पीड़न का क्लासिक मामला है, जिसमें उन्हें चार दशक से भी पहले किए गए कथित अपराध के लिए मुकदमे का सामना करना पड़ रहा है।
केस टाइटल: जगदीश टायलर बनाम सीबीआई और अन्य।