उपभोक्ता आयोग ने असंतोषजनक कोचिंग पर FIITJEE को छात्र की फीस लौटाने का आदेश दिया

Praveen Mishra

24 Nov 2025 4:35 PM IST

  • उपभोक्ता आयोग ने असंतोषजनक कोचिंग पर FIITJEE को छात्र की फीस लौटाने का आदेश दिया

    दिल्ली राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने प्रतिष्ठित कोचिंग संस्थान FIITJEE Ltd. की अपील को खारिज करते हुए जिला आयोग के उस आदेश को बरकरार रखा है, जिसमें छात्र द्वारा मात्र दो क्लास के बाद कोर्स छोड़ने पर फीस न लौटाने को सेवा में कमी और अनुचित व्यापार व्यवहार माना गया था। आयोग की पीठ में अध्यक्ष न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल और सदस्य बिमला कुमारी शामिल थीं।

    मामले के अनुसार, शिकायतकर्ता मानस मेहरा ने FIITJEE के दो वर्षीय वीकेंड JEE (Advanced) 2021 कार्यक्रम में प्रवेश लिया था और 4,01,493 रुपये की फीस अदा की थी। लेकिन केवल दो क्लास अटेंड करने के बाद उन्होंने कोचिंग की गुणवत्ता असंतोषजनक पाई और 25 मई 2019 से कोर्स छोड़ने तथा आनुपातिक रिफंड की मांग की। FIITJEE ने “नो-रिफंड क्लॉज” का हवाला देते हुए अनुरोध ठुकरा दिया और कानूनी नोटिस के बावजूद केवल 24,780 रुपये वापस किए, वह भी बिना किसी स्पष्ट कारण के।

    शिकायतकर्ता ने जिला आयोग में याचिका दायर कर FIITJEE पर सेवा में कमी का आरोप लगाया। जिला आयोग ने फैसला सुनाते हुए कहा कि नो-रिफंड क्लॉज मनमाना, एकतरफा और अव्यावहारिक है, क्योंकि छात्र ने केवल दो क्लास ही की थीं और संस्थान ने लगभग पूरी दो साल की फीस रोक रखी थी। आयोग ने FIITJEE को 3,20,000 रुपये ब्याज सहित लौटाने और 25,000 रुपये मुआवजे के रूप में देने का आदेश दिया।

    अपील में FIITJEE ने तर्क दिया कि छात्र ने स्वयं नो-रिफंड क्लॉज पर सहमति दी थी और उपभोक्ता आयोग अनुबंध की शर्तों को दरकिनार नहीं कर सकता। साथ ही, छात्र कोचिंग में किसी कमी को साबित नहीं कर सका। परंतु राज्य आयोग ने इन तर्कों को अस्वीकार कर दिया। आयोग ने कहा कि FIITJEE सुप्रीम कोर्ट के Islamic Academy of Education फैसले के अनुसार अग्रिम फीस के अप्रयुक्त हिस्से को सुरक्षित रखने के नियमों का पालन नहीं कर पाया। साथ ही, संस्था कोई ऐसा प्रमाण भी प्रस्तुत नहीं कर सकी जिससे यह साबित हो सके कि छात्र की सीट खाली रह गई या उसे वास्तविक वित्तीय हानि हुई।

    राज्य आयोग ने स्पष्ट रूप से कहा कि FIITJEE द्वारा फीस रोकना अनुचित व्यापार व्यवहार है और बिना सेवा दिए शुल्क लेना कानूनन स्वीकार्य नहीं है। इसलिए जिला आयोग का आदेश सही पाया गया और संस्था को रिफंड तथा मुआवजा देने का निर्देश कायम रखा गया।

    आयोग ने FIITJEE की अपील पूरी तरह खारिज कर दी।

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