ATM द्वारा फ़्राड (Fraud) की जांच और ग्राहक के दायित्वों को सुनिश्चित करने में विफलता के लिए जिला आयोग, उत्तरी दिल्ली ने SBI को जिम्मेदार ठहराया
Praveen Mishra
18 Dec 2023 7:07 PM IST
जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग-1 की उत्तरी दिल्ली ने भारतीय स्टेट बैंक को धोखाधड़ी और अनधिकृत एटीएम लेनदेन की एक श्रृंखला की जांच करने में नाकाम होने के लिए जिम्मेदार ठहराया। इसके अलावा, आरबीआई द्वारा निर्धारित शिकायतकर्ता के दायित्वों को निर्देशित करने में विफल रही और इस प्रकार एसबीआई के द्वारा सेवा में कमी की गई।
पूरा मामला:
श्री लालियां सांगी (शिकायतकर्ता) का भारतीय स्टेट बैंक में बचत बैंक खाता था। एक दिन, उसे उसके पंजीकृत मोबाइल नंबर पर अनधिकृत एटीएम कार्ड लेनदेन के कई अलर्ट मिले। मुंबई में किए गए कई लेनदेन के माध्यम से कुल 1,84,587 रुपये की राशि निकाली गई। शिकायतकर्ता ने इन धोखाधड़ी वाले लेनदेन की सूचना एसबीआई को दी और पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई। एसबीआई ने शिकायतकर्ता से एफआईआर की एक कॉपी और एक एटीएम लेनदेन विवाद फॉर्म का अनुरोध किया। शिकायतकर्ता द्वारा एफआईआर दर्ज करने, संबंधित दस्तावेज जमा करने और एसबीआई को कई बार याद दिलाने के बावजूद कोई जवाब नहीं मिला। शिकायतकर्ता ने एसबीआई को लीगल नोटिस भेजकर रिफंड और मुआवजे की मांग की। लेकिन एसबीआई ने इसके लिए शिकायतकर्ता को जिम्मेदार ठहराते हुये इनकार कर दिया। परेशान होकर , शिकायतकर्ता ने जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग-1, उत्तरी दिल्ली में उपभोक्ता शिकायत दर्ज की।
एसबीआई ने दलील दी कि शिकायतकर्ता की लापरवाही के कारण ऐसा हुआ और इसके लिए एसबीआई को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। यह तर्क दिया गया कि शिकायतकर्ता समय पर रिपोर्ट करने में विफल रहा और बिना सबूत के एसबीआई पर दोष लगा रहा। एसबीआई ने खुद को निर्दोष बताते हुये शिकायतकर्ता के इरादों पर सवाल उठाया।
आयोग की टिप्पणियां:
जिला आयोग ने शिकायतकर्ता द्वारा घटना की समय पर सूचना देने और धोखाधड़ी वाले लेनदेन की तुरंत जांच करने में एसबीआई की लापरवाही का उल्लेख किया। इसके अलावा, यह कहा कि एसबीआई ने बिना कोई सबूत पेश किए शिकायतकर्ता को दोषी ठहराने का प्रयास किया, जिससे एसबीआई के दलीलों पर संदेह पैदा होता है। जिला आयोग ने भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि तीसरे पक्ष के द्वारा उल्लंघन के मामले में ग्राहकों का कोई दायित्व नहीं होता है, जब घटना की सूचना 3 कार्य दिवसों (Working days) के भीतर बैंक को दी जाती है और देरी के साथ इसी तरह के मामलों में ग्राहकों दायित्व सीमित होता है।
जिला आयोग ने दिये गए निर्देशों और एसबीआई की प्रतिक्रिया की समीक्षा करने के बाद, निष्कर्ष निकाला कि यह अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन में शिकायतकर्ता का दायित्व का मूल्यांकन करने के लिए कोई उपाय करने में विफल रहा। इसके अलावा, यह भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी निर्देशों का पालन करने में भी विफल रहा, जिसका उद्देश्य ग्राहकों के दायित्व की रक्षा करना है।
नतीजतन, जिला आयोग ने एसबीआई को आदेश की तारीख से 9% ब्याज के साथ 1,84,587 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया और मानसिक संकट के लिए मुआवजे के रूप में 1,00,000 रुपये दिए।
केस टाइटल: लल्लियां सिंह बनाम शाखा प्रबंधक, भारतीय स्टेट बैंक
केस नंबर: सी सी नंबर 84/2021
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