जिला आयोग, विशाखापत्तनम ने व्हर्लपूल इंडिया लिमिटेड और रिलायंस रिटेल लिमिटेड को वारंटी के तहत कवर किए गए रेफ्रिजरेटर में समस्याओं को ठीक न करने के लिए जिम्मेदार ठहराया
Praveen Mishra
21 Dec 2023 6:02 PM IST
जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग-1, विशाखापत्तनम (आंध्र प्रदेश) की अध्यक्ष श्रीमती डी. गुडला तनुजा, श्री वर्री कृष्ण मूर्ति (सदस्य) और श्रीमती रहीमुन्निसा बेगम (सदस्य) की खंडपीठ ने व्हर्लपूल इंडिया लिमिटेड और रिलायंस रिटेल लिमिटेड को खराब रेफ्रिजरेटर की बिक्री और बाद में समस्याओं का हल करने या वारंटी अवधि के भीतर इसे बदलने में उनकी विफलता के लिए उत्तरदायी ठहराया।
पूरा मामला:
शिकायतकर्ता सूरनापुड़ी श्रीदेवी ने एक स्थानीय रिलायंस रिटेल लिमिटेड स्टोर से 28,079 रुपये की राशि का भुगतान करके एक व्हर्लपूल रेफ्रिजरेटर खरीदा। उपयोग करते ही, शिकायतकर्ता को रेफ्रिजरेटर के साथ समस्याओं का सामना करना पड़ा। रेफ्रिजरेटर व्हर्लपूल द्वारा प्रदान की गई 10 साल की वारंटी द्वारा कवर किया गया था, शिकायतकर्ता ने रेफ्रिजरेटर में समस्याओं के बारे में विक्रेता से शिकायत की। बाद में, विक्रेता ने मरम्मत करने के लिए एक टेकनीशियन भेजा लेकिन समस्या बनी रही। इसके बाद, शिकायतकर्ता ने व्हर्लपूल के कस्टमर केयर नंबर से संपर्क किया, और आरआर सर्विसेज के एक अभियंता ने घर जा कर निरीक्षण किया, लेकिन समस्याओं को ठीक करने में विफल रहा। बाद में, सेवा प्रदाता ने एक मेल भेजा जिसमें कहा गया कि शिकायतकर्ता द्वारा किए गए अनुरोध को एक शाखा को फॉरवर्ड कर दिया गया था और एक अन्य संदेश में कहा गया कि "अनुरोध लंबित है - स्पेयर पार्ट की प्रतीक्षा है। छह महीने बाद भी समस्याओं का हल नही किया गया। परेशान होकर, शिकायतकर्ता ने जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग-1, विशाखापत्तनम, आंध्र प्रदेश में उपभोक्ता शिकायत दर्ज की।
जवाब में, विक्रेता ने आरोपों से इनकार करते हुये तर्क दिया कि वारंटी नियम और शर्तों में उसकी कोई भागीदारी नहीं है, क्योंकि वारंटी शिकायतकर्ता और निर्माता, व्हर्लपूल के बीच एक अग्रीमेंट है। यह तर्क दिया गया कि उनके खिलाफ कार्रवाई का कोई कारण नहीं है। यह तर्क दिया गया कि स्टोर केवल एक रिटेल विक्रेता है और यह भारतीय अनुबंध अधिनियम की धारा 220 के तहत संरक्षित है। दूसरी ओर, व्हर्लपूल ने तर्क दिया कि शिकायतकर्ता रेफ्रिजरेटर में कथित विनिर्माण दोषों का प्रदर्शन करने वाले दस्तावेजी सबूत या एक अनुमोदित प्रयोगशाला से एक रिपोर्ट प्रदान करने में विफल रहा। इसके अतिरिक्त, यह दावा किया गया कि यह मुफ्त में बिक्री के बाद सेवाओं की पेशकश करने के लिए बाध्य नहीं था और यदि शिकायतकर्ता निर्माता से सेवा लेने का विकल्प चुनता है, तो यह एक भुगतान सेवा होगी।
सेवा प्रदाता जिला आयोग के समक्ष उपस्थित हुआ लेकिन उसने अपनी प्रस्तुतियों का लिखित संस्करण दाखिल नहीं किया।
आयोग की टिप्पणियां:
जिला आयोग ने कहा कि व्हर्लपूल और विक्रेता दोनों रेफ्रिजरेटर में समस्याओं को सुधारने के बजाय एक दूसरे पर आरोप लगा रहे थे। इसके अलावा, जिला आयोग ने विक्रेता द्वारा प्रस्तुत एक मेल पर ध्यान दिया, जिसमें संकेत दिया गया था कि व्हर्लपूल ने शिकायतकर्ता को उत्पाद बदलने की बात कही थी, लेकिन शिकायतकर्ता 10,000 रुपये के अतिरिक्त मुआवजे की मांग कर रहा था। जिला आयोग ने इसे व्हर्लपूल द्वारा एक विनिर्माण दोष की स्वीकृति के रूप में माना।
जिला आयोग ने विक्रेता द्वारा दिए गए तर्क का उल्लेख करते हुए कि यह भारतीय अनुबंध अधिनियम की धारा 220 द्वारा संरक्षित है, माना कि विक्रेता और व्हर्लपूल के बीच एक स्पष्ट समझौता था, जहां विक्रेता ने वारंटी अवधि के दौरान अपने स्टोर के माध्यम से बेचे जाने वाले सामानों के लिए उपभोक्ताओं को बिक्री के बाद सेवाएं प्रदान करने पर सहमति व्यक्त की थी। जिला आयोग ने कहा कि पार्टियों ने वारंटी अवधि के दौरान बिक्री के बाद सेवा प्रदान किए बिना एक-दूसरे के खिलाफ आरोप-प्रत्यारोप का सहारा लिया, जिससे शिकायतकर्ता को मानसिक पपरेशानी हुई।
नतीजतन, जिला आयोग ने सेवा में कमी के लिए विक्रेता और व्हर्लपूल को जिम्मेदार ठहराया और उन्हें निर्देश दिया कि वे या तो शिकायतकर्ता को राशि वापस करें या बादल कर एक नया रेफ्रिजरेटर दें। इसके अलावा, आयोग ने उन्हें मानसिक पीड़ा के लिए शिकायतकर्ता को 50,000 रुपये और मुकदमे की लागत के लिए 10,000 रुपये का मुआवजा देने का भी निर्देश दिया।
केस टाइटल: सूरनापुड़ी श्रीदेवी बनाम रिलायंस रिटेल लिमिटेड बनाम अन्य,
केस नंबर: सीसी/31/2023
शिकायतकर्ता के वकील: व्यक्तिगत रूप से शिकायतकर्ता
प्रतिवादी के वकील: हरि मेहर, एस बरनी
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