खरीदारों को कामर्शियल स्पेस सौंपने में विफलता 'सेवा में कमी': राज्य उपभोक्ता आयोग, दिल्ली

Praveen Mishra

28 Dec 2024 10:30 AM

  • खरीदारों को कामर्शियल स्पेस सौंपने में विफलता सेवा में कमी: राज्य उपभोक्ता आयोग, दिल्ली

    दिल्ली राज्य आयोग ने माना है कि शिकायतकर्ताओं द्वारा दर्ज किए गए पार्श्वनाथ डेवलपर्स द्वारा कामर्शियल स्पेस देने में चूक 'सेवा में कमी' है। सदस्य बिमला कुमारी की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि खरीदारों को अनिश्चित काल तक इंतजार नहीं कराया जा सकता है और इस तरह पर्याप्त मुआवजा दिया जाता है।

    मामले की पृष्ठभूमि:

    शिकायतकर्ताओं ने राजस्थान में डेवलपर कंपनी के निर्माण परियोजना- पार्श्वनाथ सिटी सेंटर भिवाड़ी में एक कार्यालय स्थान आवंटित करने के लिए आवेदन किया। उक्त परियोजना को करार की तारीख से 30 माह के भीतर पूरा किया जाना था। शिकायतकर्ताओं ने 22,38,807/- रुपये का भुगतान किया। हालांकि, विपरीत पक्ष ने परियोजना को छोड़ दिया। शिकायतकर्ताओं ने उक्त मुद्दे के बारे में डेवलपर को कई संचार किए। चूंकि, पहले ही नौ साल की देरी हो चुकी थी, शिकायतकर्ताओं द्वारा एक कानूनी नोटिस भी भेजा गया था जिसमें भुगतान की गई पूरी राशि वापस करने की मांग की गई थी। संतोषजनक उत्तर न मिलने पर शिकायतकर्ताओं ने उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज कराकर उचित मुआवजे की प्रार्थना की।

    विकासकर्ता ने अनुरक्षणीयता, सीमा आदि के आधार पर शिकायत पर आपत्तियां उठाईं। यह तर्क दिया गया था कि कब्जा सौंपने के लिए निर्धारित समय केवल अस्थायी था। कब्जे में देरी रियल एस्टेट क्षेत्र में वैश्विक आर्थिक मंदी के कारण हुई थी।

    आयोग का निर्णय:

    मुद्दा 1: क्या कामर्शियल स्पेस की खरीद, शिकायतकर्ता को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत 'उपभोक्ता' बना देगा?

    पीठ ने कहा कि शिकायतकर्ताओं द्वारा अपनी आजीविका कमाने के उद्देश्य से कामर्शियल स्पेस बुक किया गया था। डेवलपर कंपनी ऐसा कोई दस्तावेज उपलब्ध कराने में विफल रही है जिससे पता चले कि शिकायतकर्ता संपत्तियों की बिक्री के व्यवसाय में लगे हुए हैं। इसलिए, शिकायतकर्ता उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत एक 'उपभोक्ता' है।

    मुद्दा 2: क्या डेवलपर कंपनी की ओर से 'सेवा में कमी' है?

    पीठ ने अरिफुर रहमान खान और अन्य बनाम डीएलएफ सदर्न होम्स प्राइवेट लिमिटेड और अन्य के फैसले पर भरोसा किया। [2019 की सिविल अपील 6239] और यह देखा कि हालांकि कब्जा 30 महीने के भीतर सौंप दिया जाना आवश्यक था, लेकिन आज तक ऐसा नहीं किया गया है। आगे यह देखा गया कि शिकायतकर्ताओं को अनिश्चित काल तक इंतजार नहीं कराया जा सकता है और इसलिए, डेवलपर कंपनी दोषपूर्ण सेवाएं प्रदान करने के लिए उत्तरदायी है।

    आयोग ने शिकायतकर्ता को राहत देते हुये ब्याज के साथ 22,38,807/- रुपये की पूरी राशि की वापसी @ 6% साथ ही मानसिक पीड़ा और उत्पीड़न के लिए लागत के रूप में 1,00,000 रुपये तथा मुकदमेबाजी लागत के रूप में 50,000 रुपये देने का निर्देश दिया।

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