कॉन्ट्रैक्ट वर्कर के इलाज से रेलवे का पल्ला झाड़ने पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट सख्त, स्वतः संज्ञान लेकर शुरू की कार्यवाही

Amir Ahmad

29 Aug 2025 4:36 PM IST

  • कॉन्ट्रैक्ट वर्कर के इलाज से रेलवे का पल्ला झाड़ने पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट सख्त, स्वतः संज्ञान लेकर शुरू की कार्यवाही

    छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रेलवे विभाग द्वारा गंभीर रूप से घायल कॉन्ट्रैक्ट वर्कर के इलाज का खर्च उठाने से इंकार करने पर स्वतः संज्ञान लिया। यह युवक रेलवे कोचिंग डिपो में मरम्मत कार्य के दौरान ओवरहेड वायर की चपेट में आकर गंभीर रूप से झुलस गया था और फिलहाल जीवन के लिए संघर्ष कर रहा है।

    सूत्रों के अनुसार रेलवे अधिकारियों ने जिम्मेदारी से किनारा करते हुए दावा किया कि कॉन्ट्रैक्ट वर्करों के लिए मुआवज़ा या इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है और पूरा खर्च ठेकेदार कुमार इंजीनियरिंग भिलाई (प्रतिवादी 6) पर ही डाला।

    इस पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बिभु दत्ता गुरु की खंडपीठ ने तीखी टिप्पणी की,

    “इस स्तर पर अदालत की प्राथमिक चिंता केवल पीड़ित को हरसंभव चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना है। वित्तीय बोझ इलाज में बाधा नहीं बनना चाहिए।”

    मामले की शुरुआत मीडिया रिपोर्ट से हुई, जिसमें बताया गया कि पीड़ित युवक मुलमुला अकलतरा गांव का निवासी है और रेलवे कोचिंग डिपो के इलेक्ट्रिकल विभाग में काम करता था। हादसे के बाद उसे अपोलो अस्पताल बिलासपुर में भर्ती कराया गया। उसकी आर्थिक रूप से कमजोर परिवार इलाज के खर्च को उठाने में असमर्थ था और मदद के लिए डिविजनल रेलवे मैनेजर ऑफिस व कोचिंग डिपो के चक्कर काट रहा था।

    रेलवे का तर्क है कि घायल युवक उसका प्रत्यक्ष कर्मचारी नहीं है। उसने कथित रूप से बिना अनुमति के कोच पर चढ़कर कार्य किया, जिससे करंट लगने की घटना हुई।

    फिर भी अदालत ने दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (SECR) के महाप्रबंधक (प्रतिवादी 2) को तीन दिन के भीतर व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। इसमें यह स्पष्ट करना होगा कि अब तक घायल को क्या आर्थिक सहायता दी गई और आगे क्या कदम उठाए जाएंगे। साथ ही अदालत ने यह भी पूछा कि इस गंभीर लापरवाही के लिए जिम्मेदार कौन है। यदि गलती ठेकेदार की है तो रेलवे ने उसके खिलाफ क्या कार्रवाई की है।

    मामले की अगली सुनवाई 2 सितंबर को होगी।

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