दिव्यांगता श्रेणी में आरक्षण का आदान-प्रदान कर सकती है सरकार: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट
Amir Ahmad
17 Sept 2025 12:04 PM IST

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 (RPwD Act) की धारा 34 के तहत राज्य सरकार विकलांगता श्रेणियों के बीच आरक्षण का आदान-प्रदान कर सकती है। कोर्ट ने कहा कि वाणिज्य संकाय के पदों से दृष्टिबाधित उम्मीदवारों को बाहर करना अवैध नहीं है।
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बिभु दत्ता गुरु की खंडपीठ ने यह फैसला दृष्टिबाधित उम्मीदवार की याचिका खारिज करते हुए दिया, जिसने वाणिज्य संकाय में सहायक प्रोफेसर के पद पर आरक्षण की मांग की थी।
मामले की पृष्ठभूमि
छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) ने 23.01.2019 को असिस्टेंट प्रोफेसर के 1384 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया, जिसमें वाणिज्य विषय के 184 पद शामिल थे। याचिकाकर्ता एक दृष्टिबाधित उम्मीदवार था। उसने आवेदन किया और लिखित परीक्षा उत्तीर्ण की। हालांकि अंतिम चयन सूची में उसका नाम नहीं था।
याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मांग की कि CGPSC को वाणिज्य संकाय में दृष्टिबाधित उम्मीदवारों के लिए 2% आरक्षण प्रदान करने का निर्देश दिया जाए। उसने तर्क दिया कि 2014 के पिछले विज्ञापन में दृष्टिबाधित उम्मीदवारों को वाणिज्य पदों के लिए आरक्षण दिया गया था। हालांकि, 2019 के विज्ञापन में उन्हें मनमाने ढंग से बाहर कर दिया गया।
सिंगल जज ने पहले ही यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी थी कि पदों की पहचान करना नियुक्ति प्राधिकरण के अधिकार क्षेत्र में आता है। कोर्ट ने कहा कि वाणिज्य संकाय में काम की प्रकृति के लिए बड़े पैमाने पर लेखन और संख्यात्मक कार्य की आवश्यकता होती है। इसलिए आरक्षण केवल 'एक हाथ' (OA) और 'एक पैर' (OL) श्रेणियों के उम्मीदवारों को दिया जाना सही था।
डिवीजन बेंच ने सिंगल जज का फैसला बरकरार रखते हुए कहा कि RPwD Act, 2016 की धारा 34 के तहत, सरकार के पास यह अधिकार है कि यदि किसी पद की प्रकृति किसी विशेष श्रेणी के रोजगार की अनुमति नहीं देती है, तो वह रिक्तियों का आदान-प्रदान कर सकती है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता ने भर्ती प्रक्रिया में बिना किसी आपत्ति के भाग लिया था और असफल होने के बाद वह इसे चुनौती नहीं दे सकता। कोर्ट ने मदन लाल बनाम जम्मू-कश्मीर राज्य के मामले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया कि एक उम्मीदवार जो चयन प्रक्रिया में भाग लेता है, वह केवल इसलिए इसे चुनौती नहीं दे सकता, क्योंकि परिणाम उसके पक्ष में नहीं था।
इस आधार पर कोर्ट ने अपील खारिज की और पुष्टि की कि वाणिज्य संकाय पदों में OA और OL श्रेणियों तक आरक्षण का विस्तार करना कानूनी और वैध है।

