जी मीडिया पत्रकार के खिलाफ अंतर-राज्यीय ई-पास पंजीकरण पर 'रियलिटी चेक' करने के लिए मामला दर्जः हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी पर रोक लगाई

LiveLaw News Network

5 Jun 2021 4:00 AM GMT

  • जी मीडिया पत्रकार के खिलाफ अंतर-राज्यीय ई-पास पंजीकरण पर रियलिटी चेक करने के लिए मामला दर्जः हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी पर रोक लगाई

    अंतर-राज्यीय आवागमन के लिए ई-पास पंजीकरण पर 'रियलिटी चेक' करने के लिए जी न्यूज के एक पत्रकार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के एक मामले पर विचार करते हुए हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने गुरुवार को राज्य पुलिस को उसके खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया है।

    न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने आदेश दिया कि सुनवाई की अगली तारीख तक याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई न की जाए।

    संक्षेप में मामला

    जी मीडिया समूह के पत्रकार अमन भारद्वाज पर भारतीय दंड संहिता की धारा 419 (वेष धारण द्वारा धोखाधड़ी के लिए सजा), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य के लिए जालसाजी), 471 (फर्जी दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को असली के रूप में उपयोग करना) के अलावा सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66 (डी) और आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 54 के तहत प्राथमिकी की गई है। इसी प्राथमिकी को रद्द करने की मांग करते हुए उसने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

    राज्य सरकार ने अप्रैल माह में हिमाचल प्रदेश से अंतर-राज्यीय आवाजाही के संबंध में निर्देश जारी करते हुए कहा था कि ई-पास पोर्टल पर पंजीकरण की प्रक्रिया के माध्यम से आवाजाही की निगरानी की जाएगी।

    इसके अलावा, पिछले महीने, 5 मई को, 7 मई से 'कोरोना कर्फ्यू' लगाने के लिए एक और अधिसूचना जारी की गई थी। इसी अधिसूचना में किसी भी तरह के अंतर-राज्यीय आवाजाही के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार के ई-पास वेब पोर्टल पर पंजीकरण के संबंध में भी दिशानिर्देश शामिल थे।

    याचिकाकर्ता द्वारा की गई दलीलें

    याचिकाकर्ता ने अपनी जमानत अर्जी में कहा कि एक जिम्मेदार पत्रकार होने के नाते और व्यापक जनहित में कार्य करते हुए प्रशासन द्वारा किए जा रहे दावों की सत्यता की एक व्यवस्थित जांच की गई थी, जिसमें दिनांक 05-05-2021 की अधिसूचना का अनुपालन करते हुए हिमाचल में प्रवेश करने वाले लोगों के पंजीकरण के सत्यापन को जांचा गया था। जिसके बाद 7 मई को खबर प्रसारित की थी।

    यह भी उल्लेख किया गया था कि याचिकाकर्ता द्वारा किए गए रियलिटी चेक से यह तथ्य सामने आया था कि इस प्रकार किए गए पंजीकरण और ई-पास को यांत्रिक तरीके से जारी किया जा रहा था और संबंधित अधिकारियों द्वारा इनके सत्यापन नहीं किए जा रहे थे।

    याचिकाकर्ता ने हिमाचल प्रदेश राज्य में प्रवेश करने के लिए दो ई-पास जारी करने के लिए पोर्टल पर पंजीकरण फॉर्म दाखिल किए थे और यह दोनों पंजीकरण दो प्रसिद्ध हस्तियों यानी अमिताभ बच्चन और डोनाल्ड ट्रम्प के नाम पर थे।

    उन्होंने यह भी प्रस्तुत किया कि उन्होंने जानबूझकर अपने स्वयं के सत्यापन विवरण यानी आधार कार्ड और टेलीफोन नंबर अपलोड किए और दो वाहन नंबरों का भी उल्लेख किया।

    याचिका में कहा गया कि, ''उनको आश्चर्य हुआ कि पास बना दिए गए थे। इससे इस तथ्य की पुष्टि होती है कि पास के दस्तावेजों को सत्यापित किए बिना यांत्रिक तरीके से पास जारी किए जा रहे थे।''

    याचिकाकर्ता ने कहा कि,''ऐसा इसलिए किया गया था क्योंकि याचिकाकर्ता को उम्मीद थी कि सत्यापन की प्रक्रिया के दौरान अधिकारियों द्वारा उल्लिखित नामों पर निश्चित रूप से ध्यान दिया जाएगा ... पंजीकरण की पूरी कवायद सच्चाई का पता लगाने के लिए एक सच्चे इरादे और व्यापक जनहित के लिए पंजीकरण की पूरी प्रक्रिया के पीछे की खामियां को उजागर करने के लिए की गई थी।''

    यह भी तर्क दिया गया था कि याचिकाकर्ता द्वारा पूरी प्रक्रिया की शुरूआत इस तथ्य को स्थापित करने के लिए की गई थी कि पंजीकरण किसी भी सक्षम प्राधिकारी द्वारा अपलोड किए गए दस्तावेजों के उचित सत्यापन के बिना यांत्रिक तरीके से किया जा रहा है, जिससे राज्य में अबाधित अंतर-राज्यीय वाहनों की आवाजाही हुई।

    याचिकाकर्ता ने भारत के संविधान के आर्टिकल 19 (1) (ए) के तहत अपने अधिकार का दावा करते हुए कहा कि प्रेस की स्वतंत्रता भारत के संविधान द्वारा गारंटीकृत भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का एक अनिवार्य हिस्सा है।

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