''आपको लगता है कि सबकुछ आपके दरवाजे पर मिल जाएगा'': दिल्ली हाईकोर्ट ने ऑक्सीजन लाने के लिए टैंकरों की व्यवस्था न करने पर दिल्ली सरकार को फटकारा

LiveLaw News Network

24 April 2021 11:45 AM GMT

  • आपको लगता है कि सबकुछ आपके दरवाजे पर मिल जाएगा: दिल्ली हाईकोर्ट ने ऑक्सीजन लाने के लिए टैंकरों की व्यवस्था न करने पर दिल्ली सरकार को फटकारा

    दिल्ली हाईकोर्ट ने शनिवार को दिल्ली सरकार से कहा कि वह ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए क्रायोजेनिक टैंकों की खरीद के लिए व्यवस्थित कदम उठाए और शहर के विभिन्न COVID19 अस्पतालों में उनके आवागमन की पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था करे।

    यह निर्देश न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की खंडपीठ ने दिया है। पीठ ऑक्सीजन की कमी का हवाला देते हुए महाराजा अग्रसेन अस्पताल द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

    यह देखते हुए कि दिल्ली सरकार द्वारा क्रायोजेनिक टैंकों की व्यवस्था नहीं होने के कारण मुख्य रूप से ऑक्सीजन की आपूर्ति प्रभावित हुई है, बेंच ने केंद्र से कहा कि वह शहर के भीतर ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति के लिए राज्य की सहायता करने पर विचार करे।

    खंडपीठ ने आदेश दिया है कि, ''नागरिकों को इस तरह मरने नहीं दिया जा सकता ... यदि क्रायोजेनिक टैंक की आपूर्ति कम हैं, तो हम उम्मीद कर रहे हैं कि केंद्र जीएनसीटीडी के साथ समन्वय करके इस पर काम कर सकता है,इस काम को पूरी तरह से केंद्र पर नहीं छोड़ जा सकता है।''

    क्रायोजेनिक टैंकरों की कमी

    सुनवाई के दौरान, केंद्र और दिल्ली सरकार परिवहन के लिए क्रायोजेनिक टैंकरों की कमी के कारण ऑक्सीजन की आपूर्ति के संबंध में आपस में भिड़ रहे थे।

    जहां केंद्र ने जोर देकर कहा कि दिल्ली को अन्य राज्यों की तरह अपने स्वयं के टैंकों की व्यवस्था करनी चाहिए, वहीं दिल्ली सरकार ने प्रस्तुत किया कि दिल्ली एक औद्योगिक राज्य नहीं है और इसलिए उसके पास क्रायोजेनिक टैंक नहीं हैं।

    एसजी मेहता ने जोर देकर कहा, ''अगर दिल्ली सरकार को टैंकरों के साथ कोई समस्या है, तो उन्हें सीधे आपूर्तिकर्ताओं से बात करनी होगी। हर राज्य यही कर रहा है।''

    डिवीजन बेंच ने केंद्र से आवंटन के बाद, ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए अपने स्वयं के क्रायोजेनिक टैंकरों की व्यवस्था नहीं करने के लिए दिल्ली सरकार की खिंचाई भी की।

    बेंच ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि,

    ''समस्या यह है कि आपको लगता है कि आवंटन कर दिया गया है, इसलिए सबकुछ आपके दरवाजे पर परोसा जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं है कि ऐसे कैसे काम हो सकता है। आवंटन के बाद ऑक्सीजन एकत्रित करने के लिए क्या आपने टैंकरों के लिए कोई प्रयास किया है?

    प्रत्येक राज्य अपने स्वयं के टैंकरों की व्यवस्था कर रहा है, यदि आपके पास अपने स्वयं के टैंक नहीं हैं, तो उन्हें व्यवस्थित करें। आपको यह करना होगा, केंद्र सरकार के अधिकारियों से संपर्क करें। हम अधिकारियों के बीच संपर्क की सुविधा के लिए यहां नहीं हैं।''

    दिल्ली सरकार की ओर से पेश डॉ आशीष वर्मा ने खंडपीठ को बताया कि वे टैंकरों की खरीद के लिए सभी संभव कदम उठा रहे हैं, हालांकि, शहर में नाइट्रोजन और आर्गन टैंकर भी कम हैं क्योंकि यह एक औद्योगिक शहर नहीं है।

    इससे असहमत होते हुए कोर्ट ने जवाब दिया,

    ''यदि आवंटन 3 दिन पहले किया गया था, तो आपने टैंकरों की तलाश के लिए विकल्प का उपयोग क्यों नहीं किया? आपका राजनीतिक प्रमुख खुद एक प्रशासनिक अधिकारी रहा है, वह जानते हैं कि कैसे काम करना होता है।''

    अस्पतालों को लगातार ऑक्सीजन की कमी का सामना करना पड़ रहा

    अस्पताल महाराजा अग्रसेन की तरफ से पेश अधिवक्ता आलोक कुमार अग्रवाल ने दावा किया कि उनके पास 306 मरीज हैं, लगभग 100 गंभीर हैं। हालांकि, वह ऑक्सीजन की कमी का सामना कर रहे हैंै जिसके कारण, वे रोगियों को डिस्चार्ज करने के लिए मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार उनकी सहायता के लिए आई है लेकिन इतने सारे मरीजों के लिए आपूर्ति पर्याप्त नहीं है।

    सुनवाई के दौरान, एक अन्य अस्पताल ने हस्तक्षेप करने की मांग की और प्रस्तुत किया कि कल रात 25 लोगों की जान चली गई क्योंकि दिल्ली सरकार ने ऑक्सीजन के लिए उनकी मांग पूरी नहीं की।

    हस्तक्षेप करने वाले अस्पताल के वकील एडवोकेट सचिन दत्ता ने शिकायत करते हुए बताया कि दिल्ली सरकार के अधिकारी जमीनी स्तर पर अनुपलब्ध हैं।

    दत्ता ने शिकायत करते हुए कहा कि,''मरीजों की मौत हो रही है, श्री मेहरा को अपना हाउस आर्डर में रखने की जरूरत है ... श्री मेहरा, आपके अधिकारी जमीन स्तर पर पूरी तरह उदासीन हैं।''

    इस मौके पर, दिल्ली सरकार के वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा कि केंद्र ने 480 मीट्रिक टन ऑक्सीजन उपलब्ध कराने के अपने वादे को पूरा नहीं किया है।

    अधिवक्ता मेहरा ने खंडपीठ को बताया कि,

    ''कल हमारे लिए आवंटन 480 मीट्रिक टन कर दिया गया था,उसके बावजूद भी हमें 292 मीट्रिक टन प्राप्त हुआ। 100 मीट्रिक टन कम पड़ गया ... कुछ अस्पताल ने हमसे 10 मीट्रिक टन के लिए संपर्क किया, हम उन्हें केवल 1 मीट्रिक टन ही दे पा रहे हैं, अस्पताल कैसे काम करेंगे? मैं यहां अलार्म या सनसनी पैदा नहीं कर रहा हूं, लेकिन अगर अभी कुछ नहीं किया गया, तो एक ऐसी स्थिति पैदा होगी, जिसमें बहुत सारे जीवन खो जाएंगे।''

    ऑक्सीजन की मांग को पूरा करने के लिए उठाए गए कदम

    सुनवाई के दौरान, एएसजी चेतन शर्मा ने अदालत को सूचित किया कि चिकित्सा ऑक्सीजन की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए सिस्टम की हर नश को निचोड़ा जा रहा है, हालांकि, वे अंतराल को पूरा करने में ढुलाई संबंधी समस्याओं का सामना कर रहे हैं।

    न्यायालय ने पूछा कि कैसे सरकार संसाधन वितरित कर रही है, इस पर केंद्र के नोडल अधिकारी पीयूष गोयल ने बताया कि पूरी आपूर्ति-श्रृंखला पर फिर से काम किया जा रहा है।

    गोयल ने बेंच को बताया, ''यह पहली बार है कि जब ट्रेनें कुछ इस तरह का काम कर रही हैं (ऑक्सीजन की आपूर्ति का परिवहन)। इतिहास में पहली बार वायु सेना के विमान द्वारा टैंकरों को इधर-उधर भेजा जा रहा है। केंद्र ने इसकी सुविधा दी है।''

    Next Story