'आपको उस पर गर्भपात के लिए दबाव नहीं डालना चाहिए': गुजरात हाईकोर्ट ने गर्भपात की याचिका की अनुमति देते हुए नाबालिग लड़की के पिता से कहा

Avanish Pathak

8 Sep 2023 11:15 AM GMT

  • आपको उस पर गर्भपात के लिए दबाव नहीं डालना चाहिए: गुजरात हाईकोर्ट ने गर्भपात की याचिका की अनुमति देते हुए नाबालिग लड़की के पिता से कहा

    गुजरात हाईकोर्ट ने 17 साल की एक लड़की को लगभग 17 सप्ताह की गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति प्रदान की। हालांकि कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा है कि लड़की के पिता को अपनी बेटी पर गर्भपात कराने के लिए दबाव नहीं बनाना चाहिए।

    जस्टिस समीर जे दवे की पीठ ने यह टिप्पणी तब की जब उसने लड़की की मेडिकल रिपोर्ट और पुलिस तथा मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज किये गये उसके बयानों पर गौर किया।

    कोर्ट ने कहा,

    "आप अपनी बेटी पर दबाव डाल रहे हैं? मैंने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज किए गए उसके बयान को देखा है। पीड़िता की मां को गर्भावस्था के बारे में पता था, और लड़के/आरोपी के माता-पिता को भी लड़की की गर्भावस्था के बारे में पता था...बाद में गर्भावस्था के बारे में जानने के बाद आप (लड़की के पिता) पुलिस स्टेशन गए।''

    इस पर, लड़की के पिता की ओर से पेश वकील ने गर्भपात के लिए दबाव डालते हुए कहा कि पीड़िता 18 साल से कम उम्र की है और लड़के की उम्र लगभग 22 साल है, जो लड़की की तुलना में बहुत अधिक परिपक्व है और उसने उसे अपने पास रखा है। यह जानते हुए भी कि वह गर्भवती थी, संबंध बनाए रखा।

    पीठ ने आगे कहा,

    "आपको लड़की द्वारा पुलिस और मजिस्ट्रेट के सामने दिए गए बयानों के बारे में जानकारी नहीं है, इसलिए आप ऐसी दलीलें दे रहे हैं। फिलहाल मैं आपको वो बयान नहीं दिखा सकता।"

    मामले में लड़की के पिता की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि लड़की और आरोपी/लड़का (उम्र 22 वर्ष) ने शारीरिक संबंध बनाए, जिसके कारण वह गर्भवती हो गई।

    अदालत के समक्ष लड़की के पिता के वकील ने कहा कि आरोपी ने यह जानते हुए भी संबंध बनाए रखा कि वह गर्भवती है और पिता को गर्भावस्था के बारे में तब पता चला जब उसने लड़की के मोबाइल में प्रेग्नेंसी किट की पिक्चर देखी।

    इसके अलावा, वकील ने यह भी कहा कि यदि गर्भावस्था को समाप्त नहीं किया गया तो लड़की के परिवार की छवि खराब हो जाएगी और इससे परिवार की अन्य लड़कियों की शादी की संभावनाएं भी प्रभावित होंगी। उन्होंने अदालत को यह भी बताया कि माता-पिता अपनी बेटी की शादी आरोपी/लड़के से करने के इच्छुक नहीं थे।

    इसके जवाब में बेंच ने वकील से पूछा कि अगर लड़की 18 साल की होने के बाद आरोपी से शादी करने का फैसला करती है तो पिता क्या करेगा क्योंकि तब उसे अपने जीवन से जुड़े फैसले लेने का अधिकार होगा।

    कोर्ट ने कहा, "उन्हें (माता-पिता को) लड़की पर (गर्भपात गिराने के लिए) दबाव नहीं डालना चाहिए, जैसा कि पुलिस के कागजात से पता चलता है..."

    इसके जवाब में, वकील ने कहा कि चूंकि लड़की 18 वर्ष से कम उम्र की थी, इसलिए उसके वैध अभिभावक उसके माता-पिता थे और वे उसकी गर्भावस्था को समाप्त करने के संबंध में निर्णय ले सकते थे।

    इसके अलावा, जब अदालत ने आरोपी के वकील से पूछा कि वह क्या कहना चाहता है तो उन्होंने तर्क दिया कि लड़की और लड़का दोनों गर्भावस्था के बारे में जानते थे और लड़की गर्भावस्था को समाप्त करने के लिए तैयार नहीं थी और आरोपी, जो वर्तमान में न्यायिक हिरासत में है, उससे शादी करने को तैयार था। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि लड़की की इच्छा जानने के लिए उसे नारी निकेतन भेजा जाना चाहिए।

    हालांकि, न्यायालय ने कहा कि वह बंदी प्रत्यक्षीकरण क्षेत्राधिकार का प्रयोग करने को तैयार नहीं है। इसके अलावा, मामले की सामग्री, तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए, अदालत ने अंततःयाचिका को स्वीकार कर लिया और गर्भावस्था के चिकित्सीय समापन के लिए मंजूरी दे दी।

    केस टाइटल- XYZ बनाम गुजरात राज्य

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