आईपीसी की धारा 326 के तहत लकड़ी की छड़ी को 'हथियार' माना जा सकता है: केरल हाईकोर्ट

Sharafat

10 Aug 2023 2:30 AM GMT

  • आईपीसी की धारा 326 के तहत लकड़ी की छड़ी को हथियार माना जा सकता है: केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया कि क्या आईपीसी की धारा 326 (जानबूझकर खतरनाक तरीकों या हथियारों से गंभीर चोट पहुंचाना) को आकर्षित करने के लिए 'लकड़ी की छड़ी' को 'हथियार' माना जा सकता है।

    जस्टिस ज़ियाद रहमान एए ने कहा कि प्रावधान में अभिव्यक्ति " कोई भी उपकरण जो हथियार के रूप में उपयोग किया जाता है " धारा 326 को व्यापक दायरा देता है। यहां, न्यायालय ने कहा कि 'लकड़ी की छड़ी' को उसके मूल रूप में हथियार नहीं माना जा सकता, लेकिन इसे हथियार का एक उपकरण माना जा सकता है, यदि इसका उपयोग गंभीर चोट पहुंचाने के लिए किया गया हो।

    न्यायालय ने इस प्रकार कहा,

    "अभिव्यक्ति "कोई भी उपकरण जो हथियार के रूप में उपयोग किया जाता है, उक्त प्रावधान को काफी व्यापक दायरा देता है, जिसमें कोई भी उपकरण आ सकता है , जिसमें सामान्य परिस्थितियों में हथियार की विशेषताएं नहीं हों, बशर्ते उसका उपयोग एक हथियार के रूप में किया गया हो।"

    इस प्रकार जोर किसी भी "हथियार के रूप में उपयोग किए जाने वाले उपकरण" पर है और यह आवश्यक नहीं है कि उपकरण अपने मूल रूप में एक हथियार हो।

    अदालत याचिकाकर्ता की अग्रिम जमानत की अर्जी पर सुनवाई कर रही थी, जिसने कथित तौर पर शिकायतकर्ता के घर में घुसकर उस पर लकड़ी के डंडे से हमला किया और गंभीर चोट पहुंचाई।

    याचिकाकर्ता पर आईपीसी की धारा 294(बी) (अश्लील हरकतें), 447 (आपराधिक अतिचार), 324 (खतरनाक साधनों या हथियारों से जानबूझकर चोट पहुंचाना) और 326 (स्वेच्छा से खतरनाक तरीके से गंभीर चोट पहुंचाना) के तहत अपराध करने का आरोप लगाया गया था।

    याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि आईपीसी की धारा 326 के तहत अपराध नहीं बनता क्योंकि लकड़ी की छड़ी को हथियार के रूप में नहीं माना जा सकता। यह तर्क दिया गया कि किसी भी हथियार के अभाव में आईपीसी की धारा 325 के तहत अपराध जमानती है।

    न्यायालय ने कहा कि वह याचिकाकर्ता के ऐसे तर्क को स्वीकार नहीं कर सकता क्योंकि आईपीसी की धारा 326 हथियार का विवरण नहीं देती है और गंभीर चोट पहुंचाने के लिए इस्तेमाल किए गए किसी भी उपकरण को हथियार माना जा सकता है। इस प्रकार अदालत ने याचिकाकर्ता की अग्रिम जमानत खारिज कर दी।

    केस टाइटल : विनीश बनाम केरल राज्य

    ऑर्डर पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें




    Next Story