महिला ने इस्लाम अपनाकर एक मुस्लिम से शादी कीः जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट ने दंपति को अपने तरीके से जीवन जीने की अनुमति देते हुए संरक्षण दिया
LiveLaw News Network
22 May 2021 5:15 PM IST
जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट ने गुरुवार (20 मई) को अलग-अलग धर्म से संबंध रखने वाले एक विवाहित जोड़े को सुरक्षा प्रदान करने का आदेश दिया है। इस मामले में महिला ने आरोप लगाया था कि दंपति को उसके परिवार के सदस्यों से जान से मारने की धमकी मिल रही है क्योंकि उसने इस्लाम स्वीकार कर लिया और एक मुस्लिम से शादी कर ली है।
न्यायमूर्ति अली मोहम्मद माग्रे की खंडपीठ ने जम्मू एंड कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश (जे एंड के) को पुलिस महानिदेशक के माध्यम से यह सुनिश्चित करने का निर्देश जारी किया है कि याचिकाकर्ताओं को निजी प्रतिवादियों द्वारा या उनके कहने पर किसी के द्वारा भी परेशान/हमला/अपहरण/कोई नुकसान न पहुंचाया जाए।
मामले के तथ्य
महिला (याचिकाकर्ता नंबर 1) ने प्रस्तुत किया कि उसने अपनी मर्जी से, पूरी समझ के साथ और याचिकाकर्ता नंबर 2 (मुस्लिम पुरुष) सहित किसी के भी दबाव के बिना अधिकृत व्यक्तियों के समक्ष इस्लाम में धर्मांतरण की घोषणा की है।
आगे कहा कि उसने बालिग होने के कारण याचिकाकर्ता नंबर 2 (मुस्लिम व्यक्ति) से अपनी स्वतंत्र इच्छा से शादी की है और इस संबंध में आवश्यक आवश्यकताओं को कानून के अनुसार पूरा किया है।
उसने यह दावा करने के लिए कि पुरुष और महिला दोनों विवाह योग्य हैं, स्कूल शिक्षा बोर्ड द्वारा जारी किए गए जन्म प्रमाण पत्र को रिकॉर्ड पर पेश किया।
उसने आगे कहा कि वह बहुत मुश्किल से जम्मू में रहने वाले अपने दोस्तों की मदद से इस अदालत के समक्ष पेश होने में कामयाब रही है और उसने आरोप लगाया कि उसके व याचिकाकर्ता नंबर दो के जीवन को लगातार खतरा बना हुआ है क्योंकि उसने अपने रिश्तेदारों की मर्जी के खिलाफ याचिकाकर्ता नंबर दो से विवाह किया है। इतना ही नहीं उसके रिश्तेदारों के कहने पर बड़ी संख्या में लोग याचिकाकर्ताओं को मारने के लिए तैयार थे।
कोर्ट की टिप्पणियां
मामले के अजीबोगरीब तथ्यों और परिस्थितियों में याचिकाकर्ताओं के जीवन की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कोर्ट ने कहा कि,
''यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिवादी नंबर 1 से 5 को निर्देशित करना आवश्यक हो गया है कि ताकि याचिकाकर्ताओं का उत्पीड़न/हमला/अपहरण न किया जाए और उन्हें अपने विवाहित जीवन को उनकी पसंद के अनुसार जीने की अनुमति दी जाए। वहीं भारत के संविधान में निहित गारंटी के संदर्भ में उनके अधिकारों की रक्षा की जा सके।''
अदालत ने एसएसपी बडगाम और एसएचओ पुलिस स्टेशन चदूरा को निर्देश दिया है कि वह कोर्ट के निर्देशों को उनकी मूल भावना में लागू करें। वहीं पुलिस स्टेशन सतवारी, जम्मू के एसएचओ को भी निर्देश दिया गया है कि यदि कोई मामला दर्ज किया गया है तो याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई कठोर कदम न उठाया जाए।
इसी के साथ मामले को आगे की सुनवाई के लिए 28 मई को पोस्ट किया गया है।
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