नाम बदलने की प्रक्रिया पूरी होने तक औरंगाबाद के लिए नए नाम का उपयोग नहीं करने के लिए अधिकारियों को निर्देश देंगे: बॉम्बे हाईकोर्ट में महाराष्ट्र सरकार ने कहा

Shahadat

25 April 2023 4:59 AM GMT

  • नाम बदलने की प्रक्रिया पूरी होने तक औरंगाबाद के लिए नए नाम का उपयोग नहीं करने के लिए अधिकारियों को निर्देश देंगे: बॉम्बे हाईकोर्ट में महाराष्ट्र सरकार ने कहा

    बॉम्बे हाईकोर्ट में महाराष्ट्र सरकार ने सोमवार को कहा कि वह संबंधित अधिकारियों को निर्देश देगी कि जब तक उनके नाम बदलने की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती, तब तक वे औरंगाबाद जिले और राजस्व अधिकारियों का आधिकारिक संचार में नाम नहीं बदलेंगे।

    एक्टिंग चीफ जस्टिस एसवी गंगापुरवाला और जस्टिस संदीप वी मार्ने की खंडपीठ ने कहा,

    "हम रिकॉर्ड करेंगे कि आप निर्देश जारी करेंगे कि संबंधित अधिकारियों द्वारा प्रक्रिया पूरी होने तक संबंधित राजस्व और जिला अधिकारियों के नाम नहीं बदले जाएंगे।"

    राज्य का प्रतिनिधित्व एडवोकेट जनरल बीरेंद्र सराफ ने किया।

    अदालत औरंगाबाद का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर करने को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

    याचिकाकर्ता के सीनियर एडवोकेट यूसुफ मुच्छला ने आरोप लगाया कि इतिहास को संशोधित करने के लिए महाराष्ट्र में मुस्लिम नाम वाले सभी शहरों के नाम बदलने का अभियान चल रहा है। उन्होंने तर्क दिया कि वर्तमान पीढ़ी को अपमानित करने के लिए इतिहास को हथियार नहीं बनाया जाना चाहिए।

    मुच्छला ने तर्क दिया,

    “सुप्रीम कोर्ट ने माना कि वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियां अतीत की कैदी नहीं रह सकती… वर्षों पहले उस समय के प्रचलित राजनीतिक लोकाचार के अनुसार, कुछ घटनाएं हुई हैं, कुछ ने निश्चित अत्याचार किया होगा। और अब क्यों इतिहास को वर्तमान पीढ़ी से बदला लेने और उन्हें अपमानित महसूस कराने के लिए हथियार बना दिया गया है। इसीलिए यहां अनुच्छेद 21 का उल्लंघन किया गया।”

    हालांकि, एजी ने इस विवाद का खंडन किया और प्रस्तुत किया कि पूरे राज्य द्वारा उच्च सम्मान वाले व्यक्तित्व पर शहर का नामकरण धार्मिक रंग नहीं है।

    केंद्र ने औरंगाबाद और उस्मानाबाद शहरों का नाम बदलने की अधिसूचना जारी कर दी है, लेकिन जिला और राजस्व प्राधिकरणों के नाम बदलने की प्रक्रिया चल रही है।

    याचिकाकर्ताओं ने प्रस्तुत किया कि प्रक्रिया पूरी नहीं होने के बावजूद औरंगाबाद में अधिकारियों ने प्रस्तावित नाम छत्रपति संभाजीनगर का उपयोग करना शुरू कर दिया है।

    पिछले हफ्ते, उस्मानाबाद का नाम बदलकर धाराशिव करने को चुनौती देने वाली अन्य जनहित याचिका में एजी ने बयान दिया कि नाम बदलने की प्रक्रिया पूरी होने तक अधिकारी नए नाम का उपयोग नहीं करेंगे। अदालत ने सोमवार को औरंगाबाद के संबंध में उसी बयान को रिकॉर्ड पर लिया।

    अदालत ने अंतिम निर्णय के लिए 7 जून को जनहित याचिका पोस्ट की।

    मामले की पृष्ठभूमि

    पिछले साल राज्य सरकार ने औरंगाबाद का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर करने का प्रस्ताव रखा और केंद्र की मंजूरी मांगी।

    वर्तमान जनहित याचिका इसके खिलाफ इस आधार पर दायर की गई कि यह निर्णय लेते समय जनभावनाओं पर विचार नहीं किया गया और राज्य ने संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन किया। इसने आगे आरोप लगाया कि मुसलमानों के प्रति नफरत फैलाने और राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए नाम बदला जा रहा है।

    इस साल फरवरी में केंद्र की मंजूरी के बाद औरंगाबाद शहर का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने पहले वर्तमान याचिकाकर्ता की याचिका और केंद्र की मंजूरी के खिलाफ अन्य याचिका खारिज कर दी थी, क्योंकि यह मुद्दा बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष लंबित है।

    एजी ने पिछले साल अदालत को सूचित किया कि राज्य सरकार ने औरंगाबाद जिले और राजस्व प्राधिकरणों के नाम बदलने के संबंध में आपत्तियां मांगी और राज्य को उन्हें संसाधित करने में कम से कम 10 जून तक का समय लगेगा।

    औरंगाबाद का नाम मुगल बादशाह औरंगजेब के नाम पर पड़ा है।

    केस नंबर- पीआईएल/93/2022 [सिविल]

    केस टाइटल- मोहम्मद मुश्ताक अहमद बनाम भारत संघ

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