पति की चेतावनी के बावजूद, मौका देखकर देर रात पत्नी का बार-बार दूसरे आदमी को फोन करना वैवाहिक क्रूरता : केरल हाईकोर्ट
LiveLaw News Network
20 Feb 2022 12:48 PM IST
केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में एक जोड़े को तलाक की डिक्री मंज़ूर करते हुए कहा है कि पति की चेतावनी को अनदेखा करते हुए एक पत्नी द्वारा किसी दूसरे पुरुष को गुप्त फोन कॉल करना, वैवाहिक क्रूरता के समान है।
जस्टिस कौसर एडप्पागथ ने अपने आदेश में यह भी कहा कि जब तक वैवाहिक जीवन को बहाल नहीं किया जाता है, तब तक केवल समझौता करना क्रूरता की माफी के समान नहीं होगा।
''पति की चेतावनी की अवहेलना करते हुए पत्नी द्वारा किसी अन्य पुरुष को बार-बार अवसर देखकर फोन कॉल करना, वह भी देर रात में वैवाहिक क्रूरता के समान है।''
इस मामले में हाईकोर्ट के समक्ष पति ने अपील दायर कर फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। पति ने व्यभिचार और क्रूरता के आधार पर विवाह भंग करने की मांग करते हुए फैमिली कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन उसके आवेदन को खारिज कर दिया गया था।
पति का तर्क यह था कि शादी की शुरुआत से ही पत्नी ने उसके जीवन को नर्क बनाकर कई तरह अनैतिकता की है। यह भी आरोप लगाया गया कि उसकी पत्नी का शादी से पहले भी दूसरे प्रतिवादी के साथ अवैध संबंध था,जिसने उसे शादी के बाद भी जारी रखा।
पति की ओर से पेश हुए एडवोकेट टी.एम.रमन कार्था ने आगे कहा कि बीएसएनएल की तरफ से पेश सीडी के प्रिंटआउट का अवलोकन करने से पता चलता है कि पत्नी और दूसरे प्रतिवादी के बीच लगातार फोन कॉल हुई हैं, जो उनके बीच एक अपवित्र संबंध का सुझाव दे रही हैं।
पत्नी की ओर से पेश अधिवक्ता एम.बी.संदीप ने इन दावों का खंडन किया और तर्क दिया कि वह कभी-कभार ही किसी विशेष अवसर पर दूसरे प्रतिवादी को फोन करती थी।
कोर्ट ने कहा कि केवल इस कारण से कि पत्नी दूसरे प्रतिवादी को नियमित कॉल करती थी, इस निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सकता है कि उनका रिश्ता अवैध है और उनके बीच गलत संबंध थे।
आगे यह भी कहा गया कि व्यभिचार के आरोप को प्रमाणित करने के लिए उच्च स्तर की संभावना होनी चाहिए। संभावनाओं की अधिकता के बावजूद भी पति द्वारा पेश किए गए सबूत व्यभिचार को साबित करने के लिए अपर्याप्त पाए गए हैं।
हालांकि यह देखा गया कि ऐसे कई उदाहरण मिले है, जहां पत्नी ने देर रात भी फोन कॉल किए हैं। उदाहरण के लिए, 28/2/2013 को, उसने 10 कॉल किये, जिनमें से 5 मिस्ड कॉल रात 10ः40 से रात 10ः55 के बीच किये गए थे।
जस्टिस एडप्पागथ ने कहा कि यद्यपि उक्त साक्ष्य पत्नी की ओर से व्यभिचार का अनुमान लगाने के लिए पर्याप्त नहीं है, प्रासंगिक प्रश्न यह है कि क्या इस तरह की कॉल करना मानसिक क्रूरता का गठन करेगा?
कोर्ट ने आगे कहा कि शादी की शुरुआत से ही वैवाहिक संबंध सौहार्दपूर्ण नहीं थे। वास्तव में वे तीन बार अलग हुए और फिर से मिले और कई बार मध्यस्थता और सुलह से गुजरना पड़ा। पार्टियों ने अंततः फिर से साथ रहने का फैसला किया था। ऐसी परिस्थिति में पत्नी को अपने व्यवहार के प्रति अधिक सतर्क रहना चाहिए था।
आदेश में कहा गया कि
''पति के अनुसार, उसकी चेतावनी के बावजूद उसकी पत्नी ने दूसरे प्रतिवादी से फोन पर बातचीत करना जारी रखा। जो यह दर्शाता है कि पति द्वारा दूसरे प्रतिवादी के साथ उसकी टेलीफोन पर हुई बातचीत के बारे में पत्नी से सवाल करने के बाद भी, और यह महसूस करने के बाद भी कि उसके पति को यह सब पसंद नहीं है, उसने दूसरे प्रतिवादी के साथ लगभग हर दिन टेलीफोन कॉल पर बातचीत करना जारी रखा। इतना ही नहीं एक ही दिन में कई-कई बार टेलीफोन पर बातचीत की गई।''
सिंगल बेंच ने यह भी नोट करना उचित समझा कि साक्ष्य के दौरान, पत्नी ने बयान दिया था कि वह दूसरे प्रतिवादी को केवल कभी-कभी फोन करती थी।
दस्तावेजी साक्ष्य कुछ और साबित कर रहे हैं। इसलिए, पति द्वारा आरोपित क्रूरता का तत्व इस मामले में पाया गया है।
साथ ही पति-पत्नी दोनों ने एक-दूसरे पर समझौता भंग करने का आरोप लगाया।
कोर्ट ने कहा कि
''किसी भी तरह से यह विवाद में नहीं है कि समझौते का उल्लंघन हुआ है। सवाल यह नहीं है कि उल्लंघन किसने किया है। सवाल यह है कि क्या दोनों पक्षों द्वारा समझौते का पालन किया गया है और क्या वैवाहिक संबंधों को सामान्य तरीके से फिर से शुरू किया गया था? जब तक वैवाहिक जीवन को फिर से सामान्य तरीके से शुरू नहीं किया जाता है, तब तक केवल समझौता करना क्रूरता की माफी नहीं होगी।''
समझौते के बाद पति और पत्नी के बीच दाम्पत्य जीवन को उसकी वास्तविक भावना में फिर से शुरू करने का संकेत देने के लिए रिकॉर्ड पर कोई भी सामग्री नहीं थी।
ऐसी परिस्थितियों में, अदालत ने जोड़े को तलाक देने के लिए इसे उपयुक्त मामला पाया।
साइटेशन -2022 लाइव लॉ (केरल) 90
आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें