शिक्षित होने के आधार पर पत्नी को भरण-पोषण से वंचित नहीं किया जा सकता: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

4 May 2022 12:20 PM GMT

  • शिक्षित होने के आधार पर पत्नी को भरण-पोषण से वंचित नहीं किया जा सकता: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि पत्नी को अच्छी तरह से शिक्षित होने के आधार पर भरण-पोषण से वंचित नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि पति अपनी पत्नी और बच्चों की देखभाल के लिए कानूनी और नैतिक रूप से जिम्मेदार है।

    जस्टिस राजेश भारद्वाज की खंडपीठ ने प्रिंसिपल जज (फैमिली कोर्ट) के आदेश को चुनौती देने वाली पति द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान उक्त टिप्पणी की। फैमिली कोर्ट ने अपने आदेश में पति को अपनी पत्नी को 2,500 रुपये का मासिक भरण-पोषण (सीआरपीसी की धारा 125 के तहत आवेदन दाखिल करने की तारीख से) और उसके बाद 3,600/- रुपये प्रति माह देने का निर्देश दिया था।

    पति का यह कहना था कि पत्नी अपनी शादी से कभी संतुष्ट नहीं रही, उसने उसे खुद ही छोड़ दिया। उसने कहा कि सीआरपीसी की धारा 125(4) के मद्देनजर, चूंकि पत्नी ने बिना किसी कारण के खुद ही वैवाहिक घर छोड़ दिया, इसलिए वह किसी भी भरण-पोषण की हक़दार नहीं है।

    आगे प्रस्तुत किया गया कि प्रतिवादी पत्नी अच्छी तरह से शिक्षित है और उसके पास हिंदी में मास्टर डिग्री है। उसके पिता वकील के पास क्लर्क के रूप में कार्यरत हैं और याचिकाकर्ता/पति को प्रति माह 4,000/- रुपये का मामूली वेतन मिल रहा है। इसलिए उसने मांग की कि फैमिली कोर्ट द्वारा भरण-पोषण दिए जाने का निर्देश खारिज किए जाने योग्य है।

    कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि रिकॉर्ड में ऐसा कुछ भी नहीं है जो यह दर्शाता हो कि प्रतिवादी पत्नी ने बिना किसी कारण के याचिकाकर्ता को छोड़ दिया था। कोर्ट ने पति के इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि चूंकि प्रतिवादी पत्नी अच्छी तरह से पढ़ी-लिखी है और उसने हिंदी में एमए किया है तो इसलिए वह भरण-पोषण की हकदार नहीं है।

    कोर्ट ने कहा,

    "याचिकाकर्ता एक सक्षम व्यक्ति है और माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा कई फैसलों में तय किए गए कानून के अनुसार, पति कानूनी और नैतिक रूप से अपनी पत्नी और बच्चों की देखभाल करने के लिए जिम्मेदार है ... सीआरपीसी की धारा 125 परिवार में अभाव रोकने के लिए है।"

    नतीजतन, कानून के आधार पर मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को तौलते हुए अदालत ने पाया कि याचिकाकर्ता की आय को देखते हुए पत्नी को दिया गया भरण-पोषण उचित था और किसी भी अवैधता से ग्रस्त नहीं था। इस प्रकार, याचिका खारिज की जाती है।

    केस का शीर्षक - लवदीप सिंह बनाम गुरप्रीत कौर [सीआरआर (एफ) -314-2022]

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