'यहां पोक्सो एक्ट को क्यों जोड़ा गया? हिरासत में पूछताछ की क्या आवश्यकता है?: गुवाहाटी हाईकोर्ट ने 'बाल विवाह अधिनियम' के कई मामलों में अग्रिम जमानत दी

Avanish Pathak

14 Feb 2023 4:04 PM GMT

  • Gauhati High Court

    Gauhati High Court

    गुवाहाटी हाईकोर्ट ने बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के साथ-साथ पॉक्सो अधिनियम के तहत दर्ज विभिन्न मामलों में कुछ अभियुक्तों को अग्रिम जमानत देते हुए आज कहा कि ये ऐसे मामले नहीं हैं, जिनमें हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता होती है।

    जस्टिस सुमन श्याम ने मौखिक रूप से कहा,

    "यदि विवाह कानून का उल्लंघन करके किया जा रहा है तो कानून अपना काम करेगा। ये मामले समय से हो रहे हैं। हम केवल तभी विचार करेंगे कि तत्काल हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता है या नहीं। इस समय यह अदालत समझती है कि हिरासत में पूछताछ कोई मायने नहीं रखती। हम उन्हें उपस्थित होने और अपने बयान दर्ज करने के लिए कहेंगे। ये एनडीपीएस, तस्करी, चोरी की संपत्ति के मामले नहीं हैं।"

    इसके जवाब में, जब राज्य की ओर से पेश वकील ने तर्क दिया कि ये गंभीर मामले हैं, तो जस्टिस सुमन श्याम ने कहा,

    "पोक्सो, आप कुछ भी जोड़ सकते हैं। यहां पोक्सो क्या है? केवल इसलिए कि पोक्सो जोड़ा गया है, क्या इसका मतलब यह है कि जज यह नहीं देखेंगे कि वहां क्या है? ... हम यहां किसी को बरी नहीं कर रहे हैं। कोई भी आपको जांच करने से नहीं रोक रहा है।"

    इसके बाद जब इसी तरह का एक और मामला कोर्ट के सामने आया तो कोर्ट ने कोर्ट रूम में बैठे एक वकील की राय मांगी, जो बेंच की राय से सहमत था।

    पीठ ने आगे कहा,

    "ये हिरासत में पूछताछ के मामले नहीं हैं। आप (राज्य) कानून के अनुसार आगे बढ़ें, चार्जशीट दाखिल करें, अगर वे दोषी हैं, तो उन्हें दोषी ठहराया जाएगा। ऐसा करना लोगों के निजी जीवन में तबाही मचा रहा है, बच्चे हैं, वहां परिवार के सदस्य और बूढ़े लोग हैं।"

    जस्टिस श्याम ने यह भी कहा कि बाल विवाह एक बुरा विचार है, लेकिन सही समय आने पर अदालत इस पर अपना विचार देगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि फिलहाल एकमात्र मुद्दा यह है कि क्या उन्हें (आरोपियों को) गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया जाए।

    इसके अलावा, जब इसी तरह के आरोपों वाला एक और मामला अदालत के सामने आया, तो पीठ ने राज्य से पूछा कि धारा 376 आईपीसी को मामले में क्यों जोड़ा गया।

    "क्या यहां बलात्कार का कोई आरोप है?" जस्टिस श्याम कोर्ट ने मामले के रिकॉर्ड का अवलोकन करते हुए पूछा और आगे कहा कि मामले में 'अजीब आरोप' लगाए गए थे। इसके साथ ही आरोपी को अग्रिम जमानत दे दी गई।

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