तीन साल पहले रिश्वत लेने वाले न्यायिक अधिकारी के खिलाफ अंतिम निर्णय क्यों नहीं लिया गया?: पंजाब और हरियाणा एचसी ने रजिस्ट्रार जनरल से पूछा
LiveLaw News Network
11 Aug 2021 7:05 AM GMT
![P&H High Court Dismisses Protection Plea Of Married Woman Residing With Another Man P&H High Court Dismisses Protection Plea Of Married Woman Residing With Another Man](https://hindi.livelaw.in/h-upload/images/750x450_punjab-and-haryana-hcjpg.jpg)
Punjab & Haryana High Court
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने शुक्रवार को रजिस्ट्रार जनरल से पूछा कि एक आपराधिक मामले का फैसला करते समय रिश्वत लेने के लिए गंभीर आरोप का दोषी पाए जाने वाले न्यायिक अधिकारी के संबंध में कोई अंतिम निर्णय क्यों नहीं लिया गया।
अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश-सह-विशेष न्यायाधीश, सीबीआई, पटियाला अर्थात् हेमंत गोपाल पर अपीलकर्ता के खिलाफ एक आपराधिक मामले का फैसला करते हुए अवैध रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया था। तदनुसार, उन्हें एक न्यायिक अधिकारी के अशोभनीय तरीके से कार्य करने के लिए सेवा से निलंबित कर दिया गया था।
आरोपों में कहा गया है,
"आपने घोर कदाचार किया, न्यायिक गरिमा के खिलाफ काम किया, न्यायपालिका की छवि को जनता की नज़रों में गिराया।"
इस पृष्ठभूमि में आवेदक ने (निलंबित) विशेष न्यायाधीश द्वारा पारित दोषसिद्धि के फैसले के संचालन पर रोक लगाने के लिए हाईकोर्ट का रुख किया था।
यह आरोप लगाया गया कि निलंबित न्यायिक अधिकारी ने उनके खिलाफ बरी करने का आदेश पारित करने के एवज में याचिकाकर्ता से एक करोड़ रुपये की अवैध आर्थिक सहायता की मांग की थी।
उसने आगे सह-आरोपी परमिंदर सिंह से 40 लाख रुपये का अवैध परितोषण स्वीकार किया था, जिसके कारण सह-आरोपी को बरी कर दिया गया था।
जांच अधिकारी-सह-जिला एवं सत्र न्यायाधीश, पंचकूला द्वारा दिनांक 31.03.2018 की जांच रिपोर्ट के तहत अधिकारी को गंभीर कदाचार का दोषी पाया गया था।
इसके अलावा, कानूनी और विधायी मामलों के विभाग के विधि अधिकारी सुशील कुमार ने भी अवैध परितोषण के उपरोक्त भुगतान की सुविधा प्रदान की थी, जिसके कारण उन्हें पाँच दिसंबर, 2014 की जांच रिपोर्ट में भी दोषी पाया गया था।
आवेदक के वकील ने हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया कि यद्यपि न्यायिक अधिकारी हेमंत गोपाल को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था, लेकिन हाईकोर्ट ने तीन साल बीत जाने के बावजूद उसके खिलाफ लंबित जांच के संबंध में अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया।
न्यायमूर्ति अरविंद सिंह सांगवान ने उठाई गई शिकायत का संज्ञान लेते हुए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को नोटिस जारी किया और एजेंसी को सुनवाई की अगली तारीख यानी 24 अगस्त से पहले अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने आगे कहा,
"इस बीच, इस न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को इस न्यायालय की स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया जाता है कि 31.03.2018 की जांच रिपोर्ट के आधार पर उक्त अधिकारी के खिलाफ कोई अंतिम निर्णय क्यों नहीं लिया गया है।"
ऑर्डर डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें