उन्होंने हड़ताल करने के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर क्यों किए? कलकत्ता हाईकोर्ट ने बेरहामपुर बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा

Shahadat

21 March 2023 5:31 AM GMT

  • उन्होंने हड़ताल करने के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर क्यों किए? कलकत्ता हाईकोर्ट ने बेरहामपुर बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा

    कलकत्ता हाईकोर्ट ने सोमवार को बेरहामपुर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सचिव से स्पष्टीकरण मांगा कि क्यों वे हड़ताल के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर रहे थे, जिसने बेरहामपुर में अदालतों को पंगु बना दिया और असंख्य वादियों को न्याय तक पहुंच से वंचित कर दिया।

    जस्टिस जॉयमाल्या बागची और जस्टिस अजय कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने कहा,

    “ऐसा प्रतीत होता है कि उक्त पदाधिकारी बेरहामपुर में काम पर हड़ताल करने और अदालतों को पंगु बनाने के पहले के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने वाले थे। प्रथम दृष्टया, ऐसा प्रस्ताव हरीश उप्पल (पूर्व कैप्टन) बनाम भारत संघ (2003) 2 एससीसी 45, हुसैन बनाम भारत संघ (2017) 5 एससीसी 702, कृष्णकांत ताम्रकार बनाम मध्य प्रदेश राज्य (2018) 17 एससीसी 27 और जिला बार एसोसिएशन, देहरादून बनाम ईश्वर शांडिल्य (2020) 17 एससीसी 672 में माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित निर्देशों के विपरीत है।

    सीनियर एडवोकेट दीपक कु. उक्त पदाधिकारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले सेनगुप्ता ने अदालत को सूचित किया कि बरहामपुर बार एसोसिएशन ने 13 फरवरी, 2023 के प्रस्ताव द्वारा काम बंद करने आह्वान को वापस ले लिया और न्यायिक कार्यवाही में भाग लेने का प्रस्ताव पारित किया।

    हालांकि, अदालत ने 31 जनवरी, 2023 के आदेश में अदालत के निर्देशों के विपरीत काम करने के लिए वर्तमान मामले में अभियुक्तों के बचाव पक्ष के वकीलों को कारण बताओ नोटिस जारी किया, जिसमें हत्या का मुकदमा शामिल था। इसमें स्पष्ट रूप से निर्देश दिया गया कि अभियोजन पक्ष के गवाह जो अदालत में मौजूद थे। लोक अभियोजक और बचाव पक्ष के वकील द्वारा ट्रायल कोर्ट की जांच की जानी चाहिए।

    ट्रायल जज की दिनांक 1 फरवरी, 2023 और 2 फरवरी, 2023 की रिपोर्ट से पता चला कि आरोपी वकीलों ने हड़ताल के लिए उपरोक्त बार संकल्प का हवाला देते हुए संबंधित गवाहों से क्रॉस एग्जामिनेशन करने से इनकार कर दिया।

    अभियुक्त-वकील हाईकोर्ट के समक्ष उपस्थित थे, उन्होंने दोहराया कि उन्होंने बार प्रस्ताव के संदर्भ में कार्य किया।

    अदालत ने कहा,

    "ऐसी परिस्थितियों में हम उक्त वकीलों को कारण बताने के लिए नियम जारी करने के लिए विवश हैं कि उन्हें 31.01.2023 के आदेश के जानबूझकर और अपमानजनक उल्लंघन का दोषी क्यों नहीं ठहराया जाएगा।"

    इस प्रकार अदालत ने 17 अप्रैल, 2023 तक जवाब में हलफनामे मांगे।

    केस टाइटल: मुकलसुर रहमान @ मिलन बनाम राज्य के मामले में जमानत के लिए पुन: आवेदन में

    कोरम: जस्टिस जॉयमाल्या बागची और जस्टिस अजय कुमार गुप्ता

    आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें




    Next Story