"क्या आप अपने जैसे नागरिकों की भी वैसे ही देखभाल करते हैं जैसे गायों की देखभाल करते हैं?: गुजरात हाईकोर्ट ने डीएम से मांगा जवाब
LiveLaw News Network
7 Aug 2021 2:37 PM IST
गुजरात हाईकोर्ट ने शुक्रवार को गिर-सोमनाथ के जिलाधिकारी से पूछा कि क्या राज्य की ओर से गौवंश की जिस देखभाल का दावा किया जा रहा है, उसके अधिकार क्षेत्र के नागरिकों के लिए भी उतनी ही देखभाल की जा रही है?
जस्टिस परेश उपाध्याय की बेंच गुजरात प्रिवेंशन ऑफ अ सोशल एक्टिविटीज एक्ट, 1985 के तहत डीएम द्वारा पारित निरोध आदेश को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, क्योंकि उन्होंने मवेशियों को इस तरह से बांध दिया है कि वे पानी नहीं पी सकते है।
बेंच ने मौखिक रूप से टिप्पणी की (गुजराती में)
"गायों की रक्षा करना ठीक है..लेकिन क्या बच्चों के लिए भी इसी तरह की देखभाल की जा रही है?"
महत्वपूर्ण रूप से कोर्ट ने अपने 28 जून के आदेश में इसी तरह का सवाल पूछा था और 23 जुलाई तक जवाब मांगा था।
हालांकि, जब तक जवाब नहीं आया कोर्ट ने फिर से वही सवाल किया और डीएम को अपनी बात कहने का समय दिया।
कोर्ट ने कहा कि वह अदालत के सवालों का 13 अगस्त तक उत्तर दें।
याचिकाकर्ता के खिलाफ मामला यह था कि उस पर गाय की बच्चों की उचित देखभाल नहीं करने के लिए मामला दर्ज किया गया था [इस पर मवेशियों को इस तरह से बांधने का आरोप लगाया गया था कि वे पानी नहीं पी सकते थे] और बाद में उनके खिलाफ पासा अधिनियम लगाया गया।
उनके मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि हिरासत में लेने वाले प्राधिकारी ने अधिनियम की धारा 2 (बीबीबी) के अर्थ में याचिकाकर्ता को 'क्रूर व्यक्ति' के रूप में मानते हुए शक्तियों का प्रयोग किया।
अदालत ने कहा,
"दो एफआईआर और अन्य सामग्री जो रिकॉर्ड में है, इस पर इस न्यायालय द्वारा विचार किया गया है। सामग्री और लड़ने वाले पक्षों के तर्कों पर संयुक्त रूप से विचार करने पर प्रथम दृष्टया, आक्षेपित आदेश टिकाऊ नहीं है।"
इसके अलावा, न्यायालय ने हिरासत में लेने वाले प्राधिकारी को अन्य बातों के साथ-साथ यह उल्लेख करते हुए जवाब दाखिल करने का अवसर दिया कि क्या वर्तमान मामले में गौवंश के लिए राज्य की ओर से जिस देखभाल का दावा किया गया है, उसी तरह की देखभाल उसके अधिकार क्षेत्र के तहत क्षेत्र के नागरिकों के लिए की जा रही है।
इसके साथ ही जिलाधिकारी गिर-सोमनाथ द्वारा पारित आक्षेपित निरोध आदेश का निष्पादन अगले आदेश तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
जवाब की मांग करते हुए अदालत ने इस प्रकार निर्देश दिया:
"यदि सुनवाई की अगली तारीख से पहले हिरासत में लेने वाले प्राधिकारी द्वारा ऐसा कोई जवाब दायर किया जाता है, तो अंतिम आदेश दर्ज करते समय इस न्यायालय द्वारा भी विचार किया जाएगा। जब तक वह अभ्यास नहीं किया जाता है, तब तक याचिकाकर्ता को संरक्षित करने की आवश्यकता होती है। आगे निष्पादन इसलिए आक्षेपित निरोध आदेश को निलंबित करने की आवश्यकता है।"
केस का शीर्षक - अस्पक हनीफभाई पांजा (पाटनी) थ्रू अनीस हनीफभाई पांजा (पाटनी) बनाम गुजरात राज्य
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