जब पीड़िता गवाह के कठघरे में जाने से बच रही हो तो ऐसा आचरण अभियुक्त को जमानत दिलाने के लिए पर्याप्त: पोक्सो मामले में जेएंडके एंड एल हाईकोर्ट ने कहा

Avanish Pathak

3 Jun 2023 9:47 PM IST

  • जब पीड़िता गवाह के कठघरे में जाने से बच रही हो तो ऐसा आचरण अभियुक्त को जमानत दिलाने के लिए पर्याप्त: पोक्सो मामले में जेएंडके एंड एल हाईकोर्ट ने कहा

    जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने पोक्सो मामले में एक अभियुक्त को जमानत देते हुए कहा कि सिर्फ इसलिए कि अभियोजिका खुद को अदालत में पेश होने से दूर रखती है, जमानत की याचिका को अनिश्चित काल के लिए नहीं टाला जा सकता है।

    जस्टिस संजय धर ने कहा,

    "अभियोजन पक्ष का यह मामला नहीं है कि अभियुक्तों के आचरण के कारण मुकदमे में देरी हो रही है, लेकिन यह एक ऐसा मामला है जहां पीड़िता गवाह के कटघरे में आने से बच रही है। पीड़िता का यह आचरण याचिकाकर्ता को जमानत का अधिकार देने के लिए पर्याप्त है।"

    अदालत अपहरण और यौन उत्पीड़न के अपराधों के एक मामले में जमानत की अर्जी पर सुनवाई कर रही थी। आरोपी को अप्रैल 2020 में गिरफ्तार किया गया था और उसकी पहली जमानत अर्जी को ट्रायल कोर्ट ने इस आधार पर खारिज कर दिया था कि पीड़िता का बयान दर्ज किया जाना बाकी है।

    बाद में हाईकोर्ट ने भी याचिकाकर्ता की जमानत अर्जी खारिज कर दी, हालांकि उसे एक बार फिर ट्रायल कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का अवसर प्रदान किया। जब याचिकाकर्ता ने फिर से ट्रायल कोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो याचिका को एक बार फिर इस तथ्य के कारण खारिज कर दिया गया कि पीड़िता का बयान दर्ज नहीं किया गया था।

    मामले की जांच करने पर जस्टिस धर ने कहा कि जिस अपराध के लिए याचिकाकर्ता पर आरोप लगाया गया है, उसके लिए अधिकतम सजा 5 साल की है और आरोपी ने तीन साल से अधिक हिरासत में बिता लिया है।

    पीठ ने कहा,

    धारा 436-ए यह तय करती है कि एक विचाराधीन कैदी को उस अपराध में निर्दिष्ट कारावास की अधिकतम सजा अवधि के आधे से अधिक की अवधि के लिए हिरासत में नहीं रखा जा सकता है, जिसमें उसे हिरासत में लिया गया है और उक्त अवधि की समाप्ति पर, वह अदालत द्वारा जमानत के साथ या बिना जमानत के व्यक्तिगत मुचलके पर रिहा किया जाना है।

    अभियोजन पक्ष की दलीलों कि सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद जांच एजेंसी अभियोजन पक्ष का पता लगाने में असमर्थ है, अदालत ने कहा,

    "यह POCSO अधिनियम की धारा 8 के तहत एक अपराध के लिए निर्दिष्ट कारावास की अधिकतम अवधि के आधे से अधिक बिता चुके याचिकाकर्ता के पक्ष में अर्जित वैधानिक अधिकार से इनकार करने का एक कारण नहीं बन सकता है।"

    केस टाइटल: रवि कुमार बनाम यूटी ऑफ जेएंडके

    साइटेशन: 2023 लाइवलॉ (जेकेएल) 148

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