‘जब अदालत लोगों के लिए बोलती है, तो वह सरकार विरोधी हो जाती है?’: केरल हाईकोर्ट ने न्यायाधीशों पर साइबर हमले की निंदा की
Manisha Khatri
13 May 2023 10:15 AM IST

Kerala High Court
केरल हाईकोर्ट ने शुक्रवार को सार्वजनिक महत्व के मामलों को उठाने के लिए न्यायाधीशों के खिलाफ शुरू किए जा रहे साइबर हमलों की निंदा की।
जस्टिस ने कहा,‘‘...समस्या यह है, जब अदालत लोगों के लिए बोलती है, तो यह सरकार विरोधी हो जाती है। मुझे नहीं पता कि ऐसा कैसे होता है। हम साइबर हमलों का सामना कर रहे हैं। हम किस तरह की व्यवस्था बना रहे हैं जहां न्यायाधीश जोर से बात नहीं कर सकते? चूंकि हमने इस मामले में स्वतः संज्ञान लिया है, इसलिए हम पर हमला किया गया है...यह सुनिश्चित करना भी राज्य का कर्तव्य है कि न्यायपालिका भी अपना काम करने में सक्षम हो।’’
जस्टिस रामचंद्रन तनूर में दुखद नाव दुर्घटना और पुलिस हिरासत में लाए गए एक मरीज द्वारा एक युवा सर्जन की हत्या करने के मामले में स्वतः कार्रवाई शुरू करने के लिए उनकी पीठ के खिलाफ किए गए कुछ सोशल मीडिया पोस्ट का जिक्र कर रहे थे। प्रतिकूल टिप्पणियों को कोर्ट की रजिस्ट्री द्वारा न्यायालय के ध्यान में लाया गया था।
जज ने खुलासा किया कि इन घटनाओं ने उन्हें भावनात्मक रूप से परेशान कर दिया था, साथ ही यह भी कहा कि न्यायपालिका पर कुछ व्यक्तियों द्वारा ‘बाएं, दाएं और केंद्र’ से हमला किया जा रहा है। जज ने उल्लेख किया कि हमला करने वालों में कुछ ‘वेश में व्यक्ति’ भी शामिल थे।
जस्टिस रामचंद्रन ने कहा,
‘‘सिस्टम को इस तरह नहीं चलना चाहिए। जहां तक हमारा संबंध है, हमारे पास एक बहुत ही स्वस्थ बार है। मैं पिछले 32 वर्षों से इस बार का हिस्सा रहा हूं। मैं इस बार को जानता हूं। लेकिन उन व्यक्तियों को नहीं जो इस तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। बार में एक स्वस्थ चर्चा हो रही है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कल, वरिष्ठ सरकारी वकील एस कन्नन ने हमें सूचित किया कि यंग हाउस सर्जन की मौत के मामले में सरकार हमारे साथ है। यह समस्या नहीं है। मुद्दा यह है कि अन्य स्व-नियुक्त लोग भी हैं, जो अधिकारियों के रूप में आने और चलने की कोशिश करते हैं।’’
अदालत ने प्रथम दृष्टया कुछ सरकारी अधिकारियों की ओर से चूक पाई थी जिसके कारण ये दुखद घटनाएं हुईं। बेंच ने स्पष्ट किया कि वह अधिकारियों को माइक्रो-मैनेज करने की कोशिश नहीं कर रही है, हालांकि, उसकी जिम्मेदारी राज्य, लोगों और संविधान के प्रति है और जब प्रभारी व्यक्ति अपने कर्तव्यों का पालन करने में विफल होते हैं तो यह कदम उठाएगी। इस प्रकार, राज्य को इन दो मामलों को प्रतिकूल मुकदमों के रूप में नहीं मानना चाहिए। कोर्ट ने कहा,‘‘तथ्य यह है कि 22 लोग मारे गए हैं और एक युवा डॉक्टर की हत्या कर दी गई है, जो यह इंगित करता है कि एक समस्या है जिसे हल किया जाना चाहिए।’’
कोर्ट ने दृढ़ता से कहा, ‘‘हम अब तक बहुत सहिष्णु रहे हैं, जिसे अब कमजोरी माना जा रहा है। लक्ष्मण रेखा को तोड़ दिया गया है। हमारी आवाज को दबाया नहीं जा सकता है। दूसरे क्या कहते हैं, इससे हमें डर नहीं लगता।’’
केस टाइटल- सू मोटो बनाम केरल राज्य

