''हमें ऑक्सीजन की कमी के कारण मरने वाले लोगों को मुआवजा देना होगा'' : दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को विवरण देने का निर्देश दिया

LiveLaw News Network

28 April 2021 8:00 AM GMT

  • हमें ऑक्सीजन की कमी के कारण मरने वाले लोगों को मुआवजा देना होगा : दिल्ली हाईकोर्ट ने  दिल्ली सरकार को विवरण देने का निर्देश दिया

    दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि वह ऑक्सीजन की कमी के कारण अस्पतालों व नर्सिंग होम में हुई मौतों के संबंध में रिपोर्ट दाखिल करें। इस संबंध में शपथ पत्र 4 दिनों के भीतर दायर किया जाए।

    कोर्ट ने आदेश दिया कि,''हम जीएनसीटीडी को निर्देश देते हैं कि वह सभी अस्पतालों और नर्सिंग होम से पूछताछ करके पता लगाए कि ऑक्सीजन की कमी के कारण उक्त अस्पतालों और नर्सिंग होम में कितनी मौत हुई है और उसके बाद एक रिपोर्ट दायर की जाए। ऐसी सभी मौतों का विवरण अर्थात रोगी का नाम, जिस वार्ड/कमरे में वे भर्ती थे, मृत्यु का समय और मृत्यु का कारण एक सारणीबद्ध रूप में इंगित किया जाना चाहिए। इस संबंध में हलफनामा 4 दिनों के भीतर दायर किया जाए।''

    न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की खंडपीठ कोरोना महामारी की स्थिति और राष्ट्रीय राजधानी में चिकित्सा ऑक्सीजन आपूर्ति की कमी से संबंधित याचिका पर विचार कर रही है।

    न्यायालय ने कल सुबह तक तरल और गैसीय ऑक्सीजन व रिफिलर्स की स्थिति प्रदान करने वाला एक हलफनामा भी दायर करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने ऑक्सीजन रिफिलर्स को सरकार के पोर्टल पर डेटा प्रदान करने का निर्देश भी दिया है।

    कोर्ट ने कहा कि,

    ''हम यह स्पष्ट करते हैं कि यदि कोई भी ऑक्सीजन रिफिलर्स पोर्टल पर डेटा प्रदान नहीं करता है, तो सख्त कार्रवाई न केवल दिल्ली सरकार बल्कि अदालत द्वारा भी की जाएगी।''

    मौत की संख्या का विवरण प्रदान करने के पहलू से निपटते हुए, बेंच ने मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए कहा किः

    ''हमें ऑक्सीजन की कमी के कारण मरने वाले लोगों को मुआवजा देना होगा। यह राज्य की जिम्मेदारी है।''

    तीन हितधारकों के बीच कल की बैठक

    वरिष्ठ अधिवक्ता तुषार राव ने तीन हितधारकों के बीच पीठ के आदेश के तहत कल की गई बैठक का जिक्र करते हुए अदालत को अवगत कराया कि कुछ सिलेंडर विक्रेता बैठक में शामिल नहीं हुए।

    यह सुझाव देते हुए कि एक ऐसी प्रणाली मिल सकती है जहां छोटे अस्पतालों को निरंतर आॅक्सीजन मिलती रहे, राव ने कहा किः

    ''छोटे अस्पताल भी सिलेंडर रिफिल करने वाले स्थानों के व्यक्तियों के साथ जुड़ रहे हैं और वहां भीड़ बढ़ रही है। ऐसे में हम बड़े अस्पतालों की तरफ इन गैस फिलिंग स्टेशनों को भी एक निरंतरता प्रदान कर सकते हैं।''

    शांति मुकुंद अस्पताल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने अदालत को बताया कि वह भी बैठक में शामिल हुए थे।

    इस बिंदु पर, दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव ने अदालत को सूचित किया कि हितधारकों के बीच एक मैराथन बैठक आयोजित की गई थी जिसमें यह चर्चा की गई थी कि मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए ताकि ऐसे अस्पताल अपने चिकित्सा कर्तव्यों पर भी ध्यान केंद्रित कर सकें।

    यह कहते हुए कि ऑक्सीजन के आवंटन कोटा के संबंध में एक आदेश खंडपीठ के समक्ष रखा जाएगा, यह भी बताया गया कि एक डेडिकेटिड नंबर होगा और मौजूदा अनुबंध संबंधी समझौतों का आदर किया जाएगा।

    न्यायमूर्ति विपिन सांघी ने कहा कि जब तक आदेश को अंतिम रूप नहीं दिया जाता है, तब तक ऐसे मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति बंद नहीं होनी चाहिए।

    वेंकटेश्वर अस्पताल की ओर से पेश अधिवक्ता सच्चिन पुरी ने अदालत के सामने पेश किया कि अस्पताल में ऑक्सीजन खत्म होने वाली है और सुबह से ही नोडल अधिकारी जवाब नहीं दे रहे हैं।

    इस पर ध्यान देते हुए, पीठ ने कहा किः

    ''यह शिकायत सभी की तरफ से आ रही है, तो इसमें कुछ सच्चाई जरूर होगी। लगातार कॉल और मैसेज का जवाब नहीं आने की शिकायतें मिली हैं।''

    दिल्ली सरकार के आदेश मात्र एडवाइजरी हैं, राहुल मेहरा ने बताया

    दिल्ली सरकार द्वारा 25 अप्रैल को जारी आदेश कि मरीजों का तुरंत इलाज होना चाहिए, पर पर तर्क देते हुए जीएनसीटीडी के लिए उपस्थित राहुल मेहरा ने खंडपीठ को अवगत कराया कि यह सिर्फ एक एडवाइजरी थी।

    इस बिंदु पर बेंच ने टिप्पणी करते हुए कहा कि,''यह वही है जो हम कह रहे हैं। यदि किसी अस्पताल द्वारा लापरहवाहपूर्ण व्यवहार किया जाता है तो आप आदेश देते हैं। लेकिन इन आदेशों को समान्य तौर पर पारित किया जाता है? यह इस धारणा को आगे बढ़ाता है कि इन आदेश के बिना अस्पताल अपना काम नहीं कर रहे हैं। आप अनावश्यक रूप से उन अस्पतालों पर दबाव डाल रहे हैं जो पहले से ही दबाव में हैं। जब भी कोई आदेश दिया जाता है तो कुछ पृष्ठभूमि होनी चाहिए।''

    जीएनसीटीडी के रुख पर सवाल उठाते हुए, बेंच ने मेहरा से पूछा, ''आप दूसरी तरफ, अस्पतालों और श्रमिकों को नहीं देख रहे हैं। और क्या आपके अपने दिल्ली सरकार अस्पताल इन्हें पूरा करने में सक्षम हैं?''

    मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति पर

    न्यायालय ने पूछा कि क्या राष्ट्रीय राजधानी में केवल 6 ऑक्सीजन आपूर्तिकर्ता थे, मेहरा ने अदालत को अवगत कराया कि एक प्रणाली स्थापित की जा रही है, ताकि आपूर्ति के बारे में अग्रिम रूप से अस्पतालों को योजना दी जा सके।

    सुनवाई के दौरान अग्रसेन अस्पताल और महादुर्गा चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से पेश वकील ने भी चिकित्सा ऑक्सीजन की कमी के मुद्दे पर प्रकाश डाला, जिसके कारण मरीजों को पर्याप्त उपचार नहीं दिया जा रहा है।

    कोर्ट को आश्वासन देते हुए मेहरा ने सुझाव दिया था कि इस मुद्दे से निपटने के लिए जीएनसीटीडी आज एक व्यावहारिक आदेश पास करेगी।

    मेहरा ने प्रस्तुत किया कि,

    ''हम आज एक व्यावहारिक आदेश पास करनेे वाले हैं। हमें इस मुद्दे को समझने की आवश्यकता है। अभी हम यह नहीं समझ पा रहे हैं कि कौन क्या दे रहा है। हम केवल एक सहयोगी भावना में हो सकते हैं।''

    सेठ एयर नामक आपूर्तिकर्ता ने दलील दी कि दिल्ली सरकार के पास ऑक्सीजन आपूर्ति के वितरकों के संबंध में कोई जवाब नहीं है,इस पर बेंच ने जीएनसीटीडी की खिंचाई करते हुए कहा कि,

    ''फिर से हम देख रहे हैं कि आप केवल लॉलीपॉप का वितरण कर रहे हैं। यह आदमी कह रहा है कि उसके पास 20 टन है, लेकिन यह नहीं पता कि कि किसको वितरित करे? और आप कहते हैं कि आपके पास ऑक्सीजन नहीं है।''

    इस तथ्य पर दिल्ली सरकार की ओर से पेश उदित राय ने अदालत को अवगत कराया कि आपूर्तिकर्ता की दलील पूरी तरह से गलत है और सरकार द्वारा किए गए सभी वादों को सम्मान किया गया है।

    वहीं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि गृह मंत्री ने दिल्ली सरकार द्वारा बैंकॉक से टैंकरों की खरीद के लिए उपयोग किए जाने वाले हवाई जहाजों के मामले में सहायता प्रदान करने के अनुरोध पर सहमति व्यक्त की है।

    इस बात पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कि दिल्ली सरकार अपने 22 अप्रैल के आदेश में दिल्ली में उपस्थित सभी गैस रिफिलरों पर ध्यान देने में विफल रही है, खंडपीठ ने कहा कि हालांकि इस तरह के गैस रिफिलर्स को पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति की जाती है,परंतु यह देखने के लिए कोई तंत्र विकसित नहीं किया गया है कि इन रिफिलर्स द्वारा आगे आपूर्ति अस्पतालों को की जा रही है या नहीं।

    सेठ एयर (आपूर्तिकर्ताओं में से एक) द्वारा महाराजा अग्रसेन अस्पताल में ऑक्सीजन की आपूर्ति में करने में विफल रहने की दलील को गंभीरता से लेते हुए पीठ ने कहा कि ''हम इस स्टैंड को पूरी तरह से गलत और अनुचित मानते हैं।''

    इसलिए बेंच ने आदेश दिया किः

    ''यह स्पष्ट है कि श्री सेठ उस ऑक्सीजन को डाइवर्ट कर रहे हैं और संभवतः काले बाजार में सिलेंडर बेच रहे हैं। हम जीएनसीटीडी को निर्देश देते हैं कि वह उनकी इकाई को संभालने के लिए अपने नियंत्रण में ले लें। हम श्री सेठ को निर्देश देते हैं कि वे जीएनसीटीडी के अधिकारियों के प्रबंधन के तहत संयंत्र चलाने में कोई बाधा उत्पन्न न करें।''

    बेंच ने यह भी कहा कि,''हम चाहते हैं कि यह इकाई कल तक संभाल ली जाए। इसे दूसरों के लिए एक उदाहरण बनाएं।''

    इसके अलावा, बेंच ने श्री सेठ से यह सुनिश्चित करने के लिए भी कहा कि अस्पतालों को ऑक्सीजन की आपूर्ति की जाए या फिर उन्हें हिरासत में ले लिया जाएगा।

    बेंच ने जीएनसीटीडी को निर्देश दिया है कि कल कोर्ट में एक हलफनामा दायर करके बताएं कि क्यों दिल्ली में सेठ एयर जैसे बड़े सप्लायर होने के बावजूद उनको दिल्ली सरकार के आदेश में शामिल नहीं किया गया था।

    दिल्ली सरकार के आचरण को भांपते हुए खंडपीठ ने मेहरा से कहा कि ''अपने हाउस को आॅर्डर में लाओ। अब बहुत हो गया है। यदि आप ऐसा नहीं कर सकते हैं, तो हमें बताएं, हम केंद्र सरकार को संभालने के लिए कहेंगे। लोग मर रहे हैं!''

    कोर्ट ने जीएनसीटीडी को कहा कि न केवल बड़े अस्पतालों बल्कि छोटे अस्पतालों में तरल ऑक्सीजन के वितरण के पहलू पर भी काम करें, वहीं ऑक्सीजन रिफिलर्स को सरकार के पोर्टल पर डेटा प्रदान करने का निर्देश दिया है।

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