हम सर्च इंजन हैं, सोशल मीडिया इंटरमीडियरी नहीं; IT Rules 2021 के खिलाफ संरक्षण के लिए Google ने दिल्ली हाईकोर्ट में अपील दायर की

LiveLaw News Network

2 Jun 2021 7:36 AM GMT

  • हम सर्च इंजन हैं, सोशल मीडिया इंटरमीडियरी नहीं; IT Rules 2021 के खिलाफ संरक्षण के लिए Google ने दिल्ली हाईकोर्ट में अपील दायर की

    Google LLC ने इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस एंड डिजिटल एथिक्स कोड) रूल्स 2021 (आईटी रूल्स 2021) के तहत "सोशल मीडिया इंटरमीडियरी" (SMI) घोषित किए जाने के खिलाफ अंतरिम सुरक्षा की मांग करते हुए आज दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया । याचिका पर चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की खंडपीठ सुनवाई कर रही थी।

    Google ने स‌िंगल जज बेंच के आदेश के खिलाफ अपील में अदालत का रुख किया है, जिसने उसे एक महिला याचिका द्वारा "अपमानजनक" होने के कारण "आपत्तिजनक" के रूप में चिन्हित की गई सामग्री को हटाने का निर्देश दिया था।

    गूगल ने कहा कि इस विशेष याचिकाकर्ता के संबंध में जारी निर्देशों से उसे कोई समस्या नहीं है, वह सिंगल जज द्वारा जारी किए गए व्यापक, "टेम्पलेट निर्देशों" से व्यथित है।

    सिंगल जज के आदेश के तहत, Google को आईटी नियम, 2021 के तहत "सोशल मीडिया इंटरमीडियरी" के रूप में वर्गीकृत किया गया था - जिसे वर्तमान मामले में पिछले 2009 के नियमों के साथ जोड़ दिया गया था - और पोस्ट को हटाने के लिए निर्देशित किया गया था, और इस तरह के अन्य चिन्हित पोस्ट को, विश्व स्तर पर, 24 घंटे में हटाने के लिए निर्देश‌ित किया गया था।

    साल्वे ने जोर देकर कहा कि वे किसी भी "जबरदस्ती की कार्रवाई" के खिलाफ अंतरिम सुरक्षा चाहते हैं, जो ऐसी पोस्ट को हटाने में उनकी विफलता के खिलाफ हो सकती है क्योंकि वे SMI नहीं हैं।

    साल्वे ने मुख्य रूप से कहा कि, "सबसे पहले, हम एक सर्च इंजन हैं और सोशल मीडिया इंटरमीडियरी नहीं हैं, इसलिए हम आईटी रूल्स, 2021 में महत्वपूर्ण सोशल मीडिया इंटरमीडियरी की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आते हैं।"

    उन्होंने आगे तर्क दिया कि, "दूसरी बात, कुछ सामग्री भारतीय कानून में आपत्तिजनक हो सकती है लेकिन भारत के बाहर आपत्तिजनक नहीं हो सकती है, इसलिए वैश्‍विक स्तर पर सामग्री को हटाने के लिए एक व्यापक आदेश जारी नहीं किया जा सकता है।

    तीसरा, सिंगल जज द्वारा टेम्पलेट निर्देश जारी किए गए हैं। यह एक बहुत खराब मिसाल कायम करेगा। एक बहुत ही पिन पॉइंट वाली शिकायत की गई थी, अगर कोई हमारे पास आता तो हम उसका निपटारा कर देते। विद्वान जज ने 2009 के नियमों को भी उलझा दिया है।"

    Google द्वारा चुनौती दिए गए आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस अनूप जयराम भंभानी की सिंगल जज पीठ ने एक मामले में पारित किया था, जहां याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि फेसबुक और इंस्टाग्राम पर उसके निजी सोशल मीडिया एकाउंट पर पोस्ट की गई उसकी तस्वीरों को उसकी बिना जानकारी और बिना सहमति के अवैध रूप से एक अश्लील वेबसाइट पर पोस्ट किया गया था।

    याचिकाकर्ता का मामला था कि कि उसकी प्राइवेसी सेटिंग्स एक्टिव होने के बावजूद, ऐसी तस्वीरें ली गईं। इसलिए, यह प्रस्तुत किया गया था कि इस तरह का आचरण आईटी अधिनियम की धारा 67 के तहत दंडनीय था, और आईपीसी और आईटी अधिनियम के तहत शरारत के अर्थ के अंतर्गत आता था।

    पीठ ने निर्देश दिया था कि "अपमानजनक सामग्री को हटाने...के निर्देश को भारत में प्रभावी होना चाहिए, एक सर्च इंजन को दुनिया भर में सर्च रिजल्ट को अवरुद्ध करना चाहिए, क्योंकि ऐसा आदेश जारी करने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा यदि वह वादी की अपूरणीय क्षति को रोकने की कोई वास्तविक संभावना नहीं है।"

    [गूगल एलएलसी बनाम एक्स और अन्य]

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