पश्‍चिम बंगाल निकाय चुनाव: कलकत्ता हाईकोर्ट ने COVID-19 के उछाल के बीच 4 निकाय चुनावों को स्थगित करने की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

LiveLaw News Network

13 Jan 2022 12:13 PM GMT

  • पश्‍चिम बंगाल निकाय चुनाव: कलकत्ता हाईकोर्ट ने COVID-19 के उछाल के बीच 4 निकाय चुनावों को स्थगित करने की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

    कलकत्ता हाईकोर्ट ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल राज्य में COVID-19 मामलों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर सिलीगुड़ी , चंद्रनगर , बिधाननगर और आसनसोल नगरपालिका चुनाव स्थगित करने के लिए दायर जनहित याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया।

    कोर्ट ने राज्य सरकार और पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग द्वारा दायर एक रिपोर्ट को भी रिकॉर्ड पर लिया, जिसमें राज्य की 4 नगर पालिकाओं में COVID-19 स्थिति का विवरण दिया गया था, जिसमें 22 जनवरी, 2022 को नगरपालिका चुनाव होने वाले हैं ।

    चीफ जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और जस्टिस राजर्षि भारद्वाज की पीठ ने संबंधित पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद मौखिक रूप से कहा, "हम विचार करेंगे और आदेश पारित करेंगे। आदेश वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा"।

    याचिकाकर्ता की ओर से प्रस्तुतियां

    दूसरी ओर याचिकाकर्ता की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट बिकाश रंजन भट्टाचार्य ने तर्क दिया कि राज्य सरकार की दलीलें ज्यादा विश्वास नहीं दिलाती हैं क्योंकि इस तरह के उपाय किए जाने के बावजूद COVID -19 संक्रमण फैल सकता है। उन्होंने आगे कहा, "अगर इस तरह के लोगों का जमावड़ा होता है तो COVID-19 संक्रमण फैलने की संभावना होगी ।"

    उन्होंने प्रस्तुत किया कि राज्य में लगभग 40 प्रतिशत COVID-19 पॉजिटीविटी दर है और इस प्रकार आगामी नगरपालिका चुनावों को टाल दिया जाना चाहिए। उन्होंने आगे बताया कि राज्य सरकार और राज्य चुनाव आयोग द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट चिकित्सा अधिकारियों की राय को नहीं दर्शाती है। इस प्रकार उन्होंने चुनाव को एक महीने के लिए टालने की प्रार्थना की।

    इस बिंदु पर चीफ ज‌स्टिस ने पूछा, "एक बार चुनाव अधिसूचित हो जाने के बाद, राज्य द्वारा हस्तक्षेप की गुंजाइश क्या है?"

    जवाब में सीनियर एडवोकेट ने टिप्पणी की कि चुनाव स्थगित करने की राज्य चुनाव आयोग की शक्ति पर कोई सवाल नहीं है। उन्होंने तर्क दिया कि संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत न्यायालय असाधारण परिस्थितियों में नगरपालिका चुनावों को भी टाल सकता है। इस संबंध में, उन्होंने गोवा राज्य बनाम फौजिया इम्‍तियाज़ शेख में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा किया ।

    राज्य सरकार की ओर से प्रस्तुतियां

    राज्य सरकार की ओर से पेश वकील ने पीठ को अवगत कराया कि संबंधित नगर पालिकाओं में बड़ी संख्या में लोगों को पहले ही टीका लगाया जा चुका है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि आसनसोल में 98 फीसदी लोगों को वैक्सीन की पहली डोज दी जा चुकी है और 72 फीसदी लोगों को वैक्सीन की दूसरी डोज दी गई है और COVID-19 पॉजिटिविटी रेट 16.4 फीसदी है। चंद्रनगर में 98 प्रतिशत लोगों को पहली खुराक दी गई थी और 95 प्रतिशत लोगों को वैक्सीन की दूसरी खुराक दी गई थी और COVID -19 पॉजिटिविटी रेट 9 प्रतिशत है।

    कोर्ट को आगे बताया गया कि बिधाननगर में 161 प्रतिशत लोगों को पहली खुराक दी गई है और 109 प्रतिशत लोगों को वैक्सीन की दूसरी खुराक दी गई है और COVID-19 पॉजिटिविटी रेट 19.5 प्रतिशत है। सिलीगुड़ी में, 123 प्रतिशत लोगों को पहली खुराक दी गई है और 92 प्रतिशत लोगों को वैक्सीन की दूसरी खुराक दी गई थी और COVID-19 पॉजिटिविटी रेट 16.9 प्रतिशत है।

    इस बिंदु पर चीफ जस्टिस ने पूछा, "ऐसी स्थिति में, क्या चुनाव होने चाहिए?" जवाब में, वकील ने कहा कि वह इस मुद्दे पर राज्य सरकार से और निर्देश मांगेंगे।

    राज्य सरकार ने आगे कोर्ट को सूचित किया कि पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग अधिनियम, 1994 की धारा 5(1) के अनुसार, चुनाव की तारीखों को पहले ही अधिसूचित किया जा चुका है, राज्य सरकार की कोई और भूमिका नहीं है और इस तरह का कोई और मुद्दा क्योंकि चुनाव स्थगित करना केवल राज्य चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में आता है।

    राज्य चुनाव आयोग की ओर से प्रस्तुतियां

    राज्य चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता जयंत मित्रा ने पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग अधिनियम, 1994 की धारा 8 पर भरोसा किया और तर्क दिया कि चुनाव की तारीखें राज्य सरकार के परामर्श से राज्य चुनाव आयोग द्वारा तय की जाती हैं।

    इस बिंदु पर चीफ जस्टिस ने सवाल किया, "आप क्या प्रस्तुत करना चाहते हैं कि जब चुनाव स्थगित करने की बात आती है तो राज्य चुनाव आयोग के हाथ बंधे होते हैं?"

    जवाब में, वरिष्ठ वकील ने प्रस्तुत किया कि राज्य चुनाव आयोग को चुनाव स्थगित करने के संबंध में भी राज्य सरकार से परामर्श करना होगा। वरिष्ठ वकील मित्रा ने आगे कहा, "राज्य चुनाव आयोग स्वतः संज्ञान के निर्णय नहीं ले सकता है।"

    इस संबंध में गोवा राज्य बनाम फौजिया इम्त‌ियाज़ शेख में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भी भरोसा रखा गया था । इस बिंदु पर चीफ जस्टिस ने टिप्पणी की, "हम स्पष्ट रूप से प्रस्तुत‌ियां चाहते हैं .. क्या चुनाव आयोग के पास चुनाव स्थगित करने की शक्ति और अधिकार है?"

    जवाब में, राज्य चुनाव आयोग ने भी स्पष्ट रूप से न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया कि आयोग के पास तारीखों को अधिसूचित करने के बाद चुनाव की तारीखों को स्थगित करने की शक्ति नहीं है, जब तक कि राज्य सरकार ऐसी आपदा या आपात स्थिति की घोषणा नहीं करती है, जिसकी वजह से चुनाव आयोजित करना असंभव हो जाता है।

    इसके अलावा, चीफ जस्टिस ने वरिष्ठ वकील को संविधान के अनुच्छेद 243ZA का उल्लेख करने का निर्देश दिया, जिसमें कहा गया है, ""नगर पालिकाओं के सभी चुनावों के लिए निर्वाचक नामावली तैयार करने और उसके संचालन का अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण अनुच्छेद 243K में निर्दिष्ट राज्य चुनाव आयोग में निहित होगा।"

    तदनुसार, मुख्य न्यायाधीश ने टिप्पणी की, "इसके बावजूद, आपका स्टैंड यह है कि राज्य चुनाव आयोग इसे स्थगित नहीं कर सकता?"

    चीफ ज‌स्टिस ने राज्य चुनाव आयोग से आगे पूछा कि क्या चुनाव कराने के उद्देश्य से विभिन्न बूथों पर तैनाती के लिए COVID संक्रमण से मुक्त व्यक्ति पर्याप्त संख्या में उपलब्ध हैं। जवाब में कोर्ट को बताया गया कि पर्याप्त संख्या में मतदानकर्मी हैं। आगे यह भी कहा गया कि 12400 मतदान कर्मियों को तैनात किया गया है और 2800 मतदान कर्मियों को आपात स्थिति के लिए रिजर्व में रखा गया है। कोर्ट को यह भी बताया गया कि किसी मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति में पर्याप्त संख्या में चिकित्सा अधिकारी और आशा कार्यकर्ता भी तैनात किए गए हैं।

    वरिष्ठ वकील ने आगे कहा, "लोगों की सुरक्षा को खतरे में नहीं डालने के लिए सभी संभव कदम उठाए गए हैं।"

    केस शीर्षक- बिमल भट्टाचार्य बनाम पश्चिम बंगाल राज्य और अन्य

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