'कोई भी अपने बच्चे को वह सब कुछ नहीं दे सकता जो एक मां दे सकती है': केरल हाईकोर्ट ने दिव्यांग बच्चे को मां से मिलाया

Sharafat

22 July 2023 8:45 AM GMT

  • कोई भी अपने बच्चे को वह सब कुछ नहीं दे सकता जो एक मां  दे सकती है: केरल हाईकोर्ट ने दिव्यांग बच्चे को मां से मिलाया

    केरल हाईकोर्ट ने एक दिव्यांग बच्चे को उसकी मां से मिलाते हुए कहा कि कोई भी बच्चे को वह सब नहीं दे सकता जो एक मां उसे दे सकती है।

    जस्टिस पीबी सुरेश कुमार और जस्टिस सीएस सुधा की खंडपीठ ने यह सुनिश्चित करने के लिए माता-पिता के अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल किया कि बच्चे को "दूसरों की दया पर" नहीं छोड़ा जाना चाहिए।

    मामले की आधार यह है कि याचिकाकर्ता-मां बच्चे के जन्म के बाद अपने पति से अलग रह रही थी। बच्चा अपने पिता के साथ रहता था, जिसने ऑटिज्म, सेरेब्रल पाल्सी, मानसिक मंदता और एकाधिक विकलांगता वाले व्यक्तियों के कल्याण के लिए राष्ट्रीय ट्रस्ट अधिनियम, 1999 (इसके बाद, 'अधिनियम, 1999') की धारा 14 के तहत एक आदेश प्राप्त किया था, जिसमें उन्हें बच्चे का संरक्षक और उनकी दूसरी पत्नी (छठी प्रतिवादी) को वैकल्पिक अभिभावक के रूप में नियुक्त किया गया था।

    पिता की मृत्यु के बाद याचिकाकर्ता ने बच्चे की कस्टडी की मांग की, जिसे इस बीच स्थानीय अधिकारियों ने ग्रेस होम चैरिटेबल सोसाइटी (पांचवें प्रतिवादी) को सौंप दिया। 5वें प्रतिवादी ने जिला प्रशासन और ग्राम पंचायत की सहमति पर जोर दिया, हालांकि, इससे इनकार कर दिया गया, इसलिए यह याचिका दायर की गई।

    कोर्ट ने कहा कि धारा 14 किसी भी तरह से विकलांग व्यक्तियों के माता-पिता के उनके आश्रित विकलांग बच्चों की देखभाल के अधिकारों को प्रभावित नहीं करती है, यदि वे अन्यथा अयोग्य नहीं हैं। अदालत ने याचिकाकर्ता को एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया कि क्या वह बच्चे की देखभाल करने की स्थिति में होगी। अंततः याचिकाकर्ता को फिट पाते हुए कोर्ट ने आदेश दिया कि बच्चे को उसे सौंप दिया जाए।

    केस टाइटल : संथा कुमारी बनाम केरल राज्य एवं अन्य।

    केस नंबर: WP(CRL.) NO. 296/2023

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