वर्चुअल अदालतें नागरिकों को न्यायपालिका की ओर से यह बताने का प्रयास हैं कि "हम आपके समय को महत्व देते हैं": ज‌स्ट‌िस चंद्रचूड़ ने केरल हाईकोर्ट की ई-परियोजनाओं का उद्घाटन किया

LiveLaw News Network

16 Jun 2020 8:56 AM GMT

  • वर्चुअल अदालतें नागरिकों को न्यायपालिका की ओर से यह बताने का प्रयास हैं कि हम आपके समय को महत्व देते हैं: ज‌स्ट‌िस चंद्रचूड़ ने केरल हाईकोर्ट की ई-परियोजनाओं का उद्घाटन किया

    जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने लाइव टेलीकास्ट के जर‌िए उच्च न्यायालय की ई-समिति के अनुरूप उच्च न्यायालयों के ई-मॉड्यूल का उद्घाटन किया।

    उन्होंने वर्चुअल अदालतों को नागरिक-केंद्रित करार दिया और कहा कि यह न्यायपालिका की ओर से नागरिकों को यह बताने का प्रयास है कि "हम आपके समय को महत्व देते हैं"।

    ई-मॉड्यूल के उद्घाटन में "उच्च न्यायालय, जिला न्यायालयों और वर्चुअल अदालतों में ई-फाइलिंग और इंटरऑपरेबल बेल मॉड्यूल" का परिचय भी शामिल था।


    इंस्टैंट ई-मॉड्यूल में बेल एप्लीकेशन ई-फाइलिंग, मोटर एक्सिडेंट क्‍लेम अपील (एमएसीए), भूमि अधिग्रहण अपील (एलएए) के लिए शुरू की गई ई-परियोजनाएं शामिल हैं और साथ ही इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रमाणित दस्तावेजों और अन्य दस्तावेजों की प्राप्ति भी शामिल है।

    सत्र की शुरुआत जस्टिस एम मुश्ताक के संबोधन से हुई, जिन्होंने ई-मॉड्यूल को सफल बनाने के लिए विभिन्न हितधारकों के प्रयासों पर विस्तार से प्रकाश डाला।

    जस्टिस मुश्ताक: यह कार्यक्रम लोगों के लिए है और उस प्रक्रिया में हम वकीलों सहित सभी हितधारकों को शामिल करते हैं। यह वकीलों की सहायता है कि हमने इस ई-मॉड्यूल को तैयार किया है। ट्यूटोरियल भी वकीलों ने तैयार किए गए हैं। बार के युवा वकीलों को धन्यवाद।

    ज‌स्टिस मुश्ताक के संबोधन के बाद जस्टिस राजा विजयराघवन वी, पीबी सुरेश कुमार और शाजी पी चैली ने ई-मॉड्यूल की बुनियादी विशेषताओं को रेखांकित किया। सभी माननीय न्यायाधीश केरल हाईकोर्ट की ई-समिति के सदस्य भी हैं।

    जस्टिस राजा विजयराघवन ने बेल ई-मॉड्यूल के फायदे और तकनीकी की जानकारी दी।

    उन्होंने कहा, इसकी सहायता से "संसाधनों को बचाया जाएगा और प्रयास कम होंगे। पुलिस अधिकारियों को यह आदेश उपलब्ध कराया जाएगा। पुलिस काफी पैसे बचा सकती है। जजों को भी जल्दी डेटा मिल पाएगा।"


    जस्टिस पीबी सुरेश कुमार: दोष-दूर करने की प्रक्रिया (ओं) को स्वचालित किया जाएगा, इससे न्यायिक समय की बचत होगी, जिसका उपयोग मामलों के निस्तारण के लिए किया जा सकता है। मॉड्यूल के लागू होने के बाद, हम MACA का निस्तारण तेजी से कर पाएंगे।

    जस्टिस शाजी पी चैली: भूमि अधिग्रहण की लंब‌ित अपीलें बहुत ज्यादा हैं। ई-फाइलिंग मॉड्यूल के जर‌िए पेंडेंसी को खारिज किया जा सकता है। एक बार जब हमने इसे विकसित कर लिया, तो हमने महसूस किया कि सिस्टम जुड़े मामलों का पता लगा सकता है और जजों के समक्ष उन्हें पोस्ट कर सकता है।

    श्री लोकनाथ बेहरा, IPS और डीजीपी, केरल और केरल के परिवहन आयुक्त श्री अजित कुमार भी परिचयात्मक वीडियो का हिस्सा थे।

    श्री एमआर अजित कुमार: ई-चालान प्रणाली की सुंदरता यह है कि यह त्वरित और पारदर्शी है और एक ही मंच पर सभी डेटा प्रस्तुत करता है। इससे आपराधिक न्याय वितरण प्रणाली में तेजी लाने में मदद मिलती है।

    जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने ई-फंक्शन का उद्घाटन भाषण दिया। चंद्रचूड़ जे सुप्रीम कोर्ट की ई-समिति के अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने अपने भाषण में वर्तमान दौर में ई-फाइलिंग को एक परिवर्तनकारी प्रौद्योगिकी के रूप में चिन्हित किया, जिसका उद्देश्य "न्याय उपलब्‍ध" कराना है।

    चंद्रचूड़ जे: ई-फाइलिंग का महत्व? आपको जो उत्तर मिलेगा, वह यह होगा कि फाइलिंग पेपर से होने के बजाय अब इलेक्ट्रॉनिक मोड में परिवर्तित हो गई है। हालांकि ऐसे देखने वास्तव में महत्व को कम करना है। इस काम का महत्व यह है कि ई-फाइलिंग सभी स्रोतों की डिजिटल जानकारी सुनिश्चित करेगा।

    अदालतों के डिजिटलीकरण के लिए शीर्ष अदालतों द्वारा इस्तेमाल हो रहे फ्री एंड ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन की चर्चा करते हुए, जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि देश भर में हाईकोर्ट को अपनी स्वयं की आवश्यकताओं के अनुकूल, स्वयं के डिजिटल कामकाज को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए पर्याप्त मार्ग प्रदान किया गया है।


    इसके बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने तीन ई-मॉड्यूलों के महत्व पर प्रकाश डाला, जिन्हें केरल उच्च न्यायालय में पेश किया गया है - जमानत, मोटर दुर्घटना दावा और भूमि अधिग्रहण अपील। उन्होंने कहा कि डिजिटाइज‌िंग बेल एप्‍लिकेशन वास्तविक समय में जांच सुनिश्चित करेंगे, MACA डिजिटलीकरण "मेटा डेटा" का पता लगाना सुनिश्चित करेगा और LAA के डिजिटलीकरण से न्याय के बेहतर और त्वरित निस्तारण की ओर अग्रसर हुआ जा सकेगा।

    उन्होंने कहा, मुझे याद है कि जब मैं प्रैक्टिसिंग वकील था, तो प्रमाणित प्रति प्राप्त करना कितना मुश्किल था। प्रमाणित प्रति प्राप्त करने के लिए इस ई-माड्यूल की सुविधा परिवर्तनकारी है।

    अंत में, जस्टिस एकेजे नांबियार ने समापन भाषण में डिजिटल मॉड्यूल को क्रियान्‍वित करने में केरल उच्च न्यायालय की सक्रियता की सराहना किया।

    उन्होंने कहा, यह एक ऐसी चीज है जिस पर हमें गर्व है। हम एक कठिन समय के नागरिकों तक पहुंचने में सक्षम हैं। इसके अलावा, इससे कम्प्यूटरीकरण के हमारे प्रयासों में गति आई है। हम बदलाव लाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं और हम भविष्य तक पहुंचेंगे।

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