विक्की मिड्दुखेरा हत्याकांड: सिद्धू मूसेवाला के मैनेजर ने अग्रिम जमानत की मांग करते हुए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट का रुख किया

Shahadat

1 July 2022 6:51 AM GMT

  • विक्की मिड्दुखेरा हत्याकांड: सिद्धू मूसेवाला के मैनेजर ने अग्रिम जमानत की मांग करते हुए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट का रुख किया

    दिवंगत गायक-राजनेता सिद्धू मूसेवाला के मैनेजर शगनप्रीत सिंह (वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया में) ने युवा अकाली नेता विक्की मिद्दुखेड़ा की हत्या के मामले में अग्रिम जमानत की मांग करते हुए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दायर की।

    सिंह ने एक ओर याचिका को भी स्थानांतरित करने की मांग की है, जिसमें उसने गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई और सतविंदर सिंह उर्फ ​​गोल्डी बरार से जीवन के लिए संभावित खतरे का हवाला देते हुए सुरक्षा के लिए प्रार्थना की है।

    जस्टिस अनूप चितकारा की बेंच ने 30 जून को मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 4 जुलाई, 2022 तक जांच पर स्टेटस रिपोर्ट मांगी।

    हालांकि, अदालत ने सिंह को कोई राहत देने से इनकार कर दिया, क्योंकि यह नोट किया गया कि फिलहाल वह ऑस्ट्रेलिया में रह रहा है और इस तरह सुनवाई की अगली तारीख तक किसी भी अंतरिम राहत की तत्काल आवश्यकता नहीं है।

    गौरतलब है कि बिश्नोई के करीबी रहे गोल्डी बराड़ ने पिछले महीने सिद्धू मूसेवाला की हत्या की जिम्मेदारी ली थी। यह दावा किया गया था कि चूंकि मूसेवाला और उसके मैनेजर शगुनप्रीत (वर्तमान आवेदक) की मिड्दुखेड़ा की हत्या में सक्रिय भूमिका थी, इसलिए उसकी मौत का बदला लेने के लिए मूसेवाला को मारा गया।

    कथित तौर पर लॉरेंस बिश्नोई गिरोह ने फेसबुक पोस्ट में पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या की जिम्मेदारी ली थी, क्योंकि वह विक्रमजीत सिंह मिड्दुखेड़ा की मौत का बदला लेना चाहता था। विक्की लॉरेंस बिश्नोई के कॉलेज फ्रेंड था।

    मूसेवाला की हत्या के तुरंत बाद लॉरेंस बिश्नोई के गिरोह के मेंबर गोल्डी बरार (वर्तमान में कनाडा में) ने फेसबुक पोस्ट में इस घटना की जिम्मेदारी ली, जिसमें मूसवाला और उसके मैनेजर शगुनप्रीत पर विक्की की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया गया था। मूसेवाला को ऑटोमैटिक असॉल्ट राइफल से कम से कम 30 बार गोली मारी गई, जब वह अपनी एसयूवी कार से कहीं जा रहा था।

    अब गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई और सतविंदर सिंह उर्फ ​​गोल्डी बराड़ से जीवन के लिए संभावित खतरे का हवाला देते हुए शगुनप्रीत ने हाईकोर्ट का रुख किया। उसने कहा कि मृतकों पर हमले के आरोपी व्यक्तियों से भी पूछताछ की जा रही है और वे सलाखों के पीछे हैं। आज तक किसी भी आरोपी ने यह नहीं कहा कि याचिकाकर्ता हमले में शामिल था।

    अपनी याचिका में उसने यह भी कहा कि पुलिस वस्तुतः उसे फंसा रही है और जैसे ही वह अपने घर आता तो उसे फौरन गिरफ्तारी का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए उसे अग्रिम जमानत दी जाए।

    इसे देखते हुए उन्होंने न्यायालय के समक्ष प्रार्थना की कि उसकी याचिका को स्वीकार किया जाए और उसे भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) 1860 की धारा 302, 34 और धारा 25, 27 और आर्म्स एक्ट 1959 की धारा 120बी और 473 के तहत अग्रिम जमानत दी जाए।

    उपस्थिति:

    याचिकाकर्ताओं के लिए: विनोद घई, कनिका आहूजा, एडवोकेट गौरव दत्ता, एडवोकेट एडवर्ड ऑगस्टीन जॉर्ज, सीनियर एडवोकेट मनीष मोदी एडवोकेट सृष्टि शर्मा के साथ।

    शिकायतकर्ताओं के लिए: सिदकमीत सिंह संधू, एएजी, पंजाब। एडवोकेट पारस तलवार, एडवोकेट दीपांशु, मेहता, एडवोकेट तुशन रावल, शिकायतकर्ता (ओं) के लिए।

    केस टाइटलः शगुन प्रीत सिंह बनाम पंजाब राज्य

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