'पीड़िता सुबह-सुबह आरोपी को वीडियो कॉल करती थी,यह तथ्य उसकी सहमति दर्शाता है': कर्नाटक हाईकोर्ट ने बलात्कार के आरोपी को जमानत दी

LiveLaw News Network

29 Nov 2021 2:00 AM GMT

  • पीड़िता सुबह-सुबह आरोपी को वीडियो कॉल करती थी,यह तथ्य उसकी सहमति दर्शाता  है: कर्नाटक हाईकोर्ट ने बलात्कार के आरोपी को जमानत दी

    Karnataka High Court

    कर्नाटक हाईकोर्ट (धारवाड़ बेंच) ने एक बलात्कार के आरोपी को यह कहते हुए जमानत दे दी है कि पीड़िता, एक विवाहित महिला है,जो खुद आरोपी को सुबह-सुबह वीडियो कॉल करती थी और इसी दौरान आरोपी ने कथित तौर पर उसके निजी अंगों के स्क्रीनशॉट लिए थे।

    जस्टिस शिवशंकर अमरणावर ने आरोपी बसनगौड़ा उर्फ बसवराज को सशर्त जमानत देते हुए कहा कि,

    ''पीड़िता याचिकाकर्ता को वीडियो कॉल करने के लिए अपने पति के मोबाइल फोन का उपयोग कर रही थी। सच यह है कि पीड़िता याचिकाकर्ता को सुबह 4 से 5 बजे के बीच वीडियो कॉल करती थी और यह तथ्य उक्त कृत्य के लिए उसकी सहमति को दर्शाता है।''

    प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोप्पल ने अपने 07.08.2021 के आदेश के तहत याचिकाकर्ता की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी,जिसके बाद उसने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। आरोपी को येलबर्ग पुलिस स्टेशन की पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 354सी (ताक-झांक करने), 506 (आपराधिक धमकी), 376 (बलात्कार), 450 (घर में जबरन घुसना) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (आईटी एक्ट) की धारा 67 (इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील सामग्री प्रकाशित करना या प्रसारित करना) के तहत किए गए अपराधों के लिए गिरफ्तार किया था।

    पीड़िता की शिकायतः

    आरोपी और पीड़िता एक ही गांव के रहने वाले हैं और पीड़िता की एक दूसरे व्यक्ति से शादी होने से पहले उनके बीच आपसी सहमति से शारीरिक संबंध बने थे।

    पीड़िता की शादी के बाद भी याचिकाकर्ता-आरोपी ने कथित तौर पर पीड़िता के साथ यौन संबंध बनाए और नियमित रूप से सुबह 4 से 5 बजे के बीच वीडियो कॉल करके उसे अपने निजी अंग दिखाने के लिए कहा और उन्हें अपने मोबाइल में कैद कर लिया।

    आरोप लगाया गया है कि जैसे ही पीड़िता ने 15 दिनों के लिए याचिकाकर्ता-आरोपी को फोन नहीं किया तो उसने पीड़िता के निजी अंगों की तस्वीरें उसके पति को भेज दी। इसी के बाद शिकायत की गई थी।

    याचिकाकर्ता की दलीलेंः

    याचिकाकर्ता-आरोपी ने प्रस्तुत किया कि पीड़ित महिला की शादी से पहले उसके व पीड़िता के बीच प्रेम संबंध थे और महिला की शादी के बाद भी यह रिश्ता जारी रहा। यह भी इंगित किया गया कि पीड़िता की उम्र 25 साल है और दोनों के बीच आपसी रजामंदी से संबंध थे। इसके अलावा, यह भी दलील दी गई कि पीड़िता याचिकाकर्ता को सुबह 4 से 5 बजे के बीच वीडियो कॉल करती थी और यह तथ्य उसकी सहमति को दर्शाता है।

    अभियोजन पक्ष ने इस आधार पर याचिका का विरोध किया कि यह एक जघन्य अपराध है। आगे प्रस्तुत किया गया कि आरोप पत्र के अनुसार प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता के खिलाफ मामला बनता है और अगर उसे जमानत दी जाती है तो वह शिकायतकर्ता को धमकी देगा और अभियोजन पक्ष के गवाहों से छेड़छाड़ करेगा।

    कोर्ट का निष्कर्षः

    अदालत ने कहा कि, ''पीड़ित महिला द्वारा शिकायत में लगाए गए आरोपों को देखने के बाद यह पता चलता है कि पीड़िता की शादी सीडब्ल्यू 5 से होने से पहले उसके व याचिकाकर्ता के बीच प्रेम संबंध था और उनके बीच कई बार आपसी सहमति से शारीरिक संबंध बने थे। इतना ही नहीं विवाह के बाद भी याचिकाकर्ता और पीड़िता के बीच उक्त संबंध जारी रहा।''

    इसके अलावा, कोर्ट ने यह भी कहा कि,'' यह आरोप लगाया गया है कि जब पीड़िता वीडियो कॉल के माध्यम से अपने निजी अंगों को दिखाती थी, तो याचिकाकर्ता स्क्रीनशॉट ले लेता था। पीड़िता अपने पति के मोबाइल फोन का उपयोग याचिकाकर्ता को वीडियो कॉल करने के लिए कर रही थी। यह भी सच है कि पीड़िता याचिकाकर्ता को सुबह 4 से 5 बजे के बीच वीडियो कॉल करती थी और यह तथ्य उक्त कृत्य के लिए उसकी सहमति दर्शाता है।''

    कोर्ट ने सावधानीपूर्वक यह भी कहा कि, ''क्या पीड़िता ने याचिकाकर्ता की धमकी के तहत सहमति दी थी, यह ट्रायल का मामला है?''

    अदालत ने पाया कि याचिकाकर्ता का आपराधिक इतिहास और याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोपित अपराध आजीवन कारावास की सजा के साथ दंडनीय नहीं हैं। वहीं आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत आरोपित अपराध तीन साल की कैद और 5 लाख रुपये के जुर्माने के साथ दंडनीय है।

    तदनुसार, यह माना गया कि मामले के तथ्यों और परिस्थितियों और वकील की दलीलों को देखते हुए जमानत देने के लिए वैध आधार बनता है।

    हाईकोर्ट ने क्षेत्राधिकार न्यायालय की संतुष्टि के लिए आरोपी को एक लाख रुपये की राशि के निजी मुचलके व एक जमानतदार पेश करने की शर्त पर जमानत दे दी है।

    अदालत ने निर्देश दिया है कि याचिकाकर्ता अभियोजन पक्ष के गवाहों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेगा। वह सभी तारीखों पर न्यायालय में उपस्थित होगा और मामले के शीघ्र निस्तारण में सहयोग करेगा।

    केस का शीर्षक- बसनगौडा उर्फ बसवराज बनाम कर्नाटक राज्य, आपराधिक याचिका संख्या 102000/2021

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