वाराणसी जिला जज ने ज्ञानवापी विवाद संबंधित सभी लंबित मुकदमों को समेकित किया, सुनवाई एक साथ होगी

Avanish Pathak

23 May 2023 8:19 AM GMT

  • वाराणसी जिला जज ने ज्ञानवापी विवाद संबंधित सभी लंबित मुकदमों को समेकित किया, सुनवाई एक साथ होगी

    वाराणसी की जिला अदालत ने विभिन्न अदालतों में लंबित ज्ञानवापी संबंधित सभी आठ मुकदमों को समेकित करने के लिए दायर एक आवेदन को स्वीकार कर लिया है। अब इन सभी मामलों की सुनवाई जिला जज की अदालत एक साथ करेगी।

    जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने आज यह आदेश पारित करते हुए कहा कि सभी मामलों पर सुनवाई एक साथ की जानी चाहिए। उन्हें समेकित किया जाना चाहिए।

    उन्होंने कहा,

    "मेरा विचार है कि न्याय के हित में यह समीचीन होगा कि उपरोक्त सभी मुकदमों की एक साथ सुनवाई की जाए और उन्हें समेकित किया जाए। इन सभी मुकदमों और कार्यवाहियों का निर्णय ऐसे किसी भी मुकदमे में साक्ष्य या कार्यवाही के आधार पर किया जाएगा और सिविल सूट नंबर 693/2021 (नया नंबर ओएस नंबर -18/2022) श्रीमती राखी सिंह और अन्य बनाम यूपी राज्य और अन्य प्रमुख मामला होगा और प्रमुख मामले में ही सबूत दर्ज किए जाएंगे।"

    यह आदेश धारा 4ए सीपीसी [जैसा कि 1976 के उत्तर प्रदेश अधिनियम 57 द्वारा डाला गया है ] के मद्देनजर पारित किया गया है, जिसमें कहा गया है कि जब दो या दो से अधिक मुकदमे या कार्यवाही एक ही अदालत में लंबित हों और अदालत की राय हो कि न्याय के हित में यह समीचीन है तो वह एक आदेश के जर‌िए संयुक्त सुनवाई का निर्देश दे सकता है, जिसमें ऐसे सभी वादों और कार्यवाहियों का निर्णय ऐसे सभी वादों या कार्यवाहियों में साक्ष्य के आधार पर किया जा सकता है।

    महत्वपूर्ण बात यह है कि जिला न्यायाधीश ने सुप्रीम कोर्ट के 11 नवंबर, 2022 के उस आदेश को भी ध्यान में रखा, जिसमें शीर्ष अदालत ने कहा था कि यदि इसी तरह के मुकदमों के संबंध में वाराणसी के जिला जज के समक्ष आवेदन किया जाता है, तो यह यह निर्धारित करना जिला जज पर होगा कि क्या उन मुकदमों का समेकन न्यायसंगत है।

    वादी संख्या 2 से 5 (लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास, और रेखा पाठक) ने वाद संख्या 18/2022 में ज्ञानवापी विवाद से संबंधित मामलों को जिला न्यायाधीश की अदालत में स्थानांतरित करने की याचिका दायर की थी।

    उनका मामला था कि चूंकि ये सभी वाद समान प्रकृति के हैं, इसलिए समय और धन बचाने और कानूनी प्रकृति की कठिनाइयों से बचने के लिए उन्हें एक साथ सुना जाना चाहिए।

    यह ध्यान दिया जा सकता है कि वादा संख्या 18/2022 को पिछले साल 5 हिंदू महिला श्रद्धालुओं ने दायर किया गया था, जिहोंने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की पश्चिमी दीवार के पीछे बने एक हिंदू मंदिर में पूजा की मांग की है।

    सात मामलों में से छह सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में लंबित हैं और एक सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की फास्ट-ट्रैक अदालत में लंबित है।

    यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि फास्ट ट्रैक कोर्ट के समक्ष लंबित मामला भगवान विश्वेश्वर विराजमान (स्वयंभू) ने अपने अगले मित्र किरण सिंह के माध्यम से दायर किया था, जो कि विश्व वैदिक सनातन संघ (वीवीएसएस) की अंतर्राष्ट्रीय महासचिव हैं। उन्होंने ज्ञानवापी परिसर का कब्जा 'भगवान आदि विश्वेश्वर विराजमान' को सौंपने की मांग की है।

    किरन सिंह वाद संख्या 18/2022 में पहली वादी थीं। हालांकि उक्त मुकदमा दायर होने के बाद वह मई 2022 में मतभेदों के बाद अन्य चार महिला वादियों (एडवोकेट हरि शंकर जैन द्वारा समर्थित) से अलग हो गईं। इसके बाद, उन्होंने एक नया मुकदमा दायर किया, जो वर्तमान में फास्ट ट्रैक कोर्ट के समक्ष लंबित है।

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