उत्तराखंड हाईकोर्ट के जज ने आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी से जुड़े मामले में दिल्ली एम्स की रिट याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग किया
Brij Nandan
15 May 2023 1:38 PM IST
उत्तराखंड हाईकोर्ट के जज जस्टिस राकेश थपलियाल ने व्हिसलब्लोअर भारतीय वन सेवा (IFS) अधिकारी संजीव चतुर्वेदी से जुड़े मामले में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) की नैनीताल खंडपीठ के एक आदेश के खिलाफ अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), दिल्ली की ओर से दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया।
जब ये मामला 10 मई को चीफ जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस राकेश थपलियाल की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया, तो पीठ द्वारा मामले को एक अन्य पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का आदेश पारित किया गया, जिसके जस्टिस थपलियाल सदस्य नहीं हैं।
पूरा मामला
एम्स दिल्ली ने फरवरी 2023 के केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (सीएटी) की नैनीताल खंडपीठ के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें उसने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और एम्स को ऐसे सभी भ्रष्टाचार के मामलों के रिकॉर्ड पेश करने का आदेश दिया था, जिनकी चतुर्वेदी ने जांच की थी। हालांकि, उन्होंने बाद में चतुर्वेदी को संस्थान के मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) के पद से हटाए जाने के बाद बंद कर दिया गया।
ये आदेश चतुर्वेदी की याचिका पर दिया गया था, जिन्होंने दावा किया था कि जून 2012 से अगस्त 2014 तक सीवीओ के रूप में अपने दो साल के कार्यकाल के दौरान, उन्होंने एम्स के वरिष्ठ अधिकारियों और डॉक्टरों से जुड़े भ्रष्टाचार के कई मामलों का पता लगाया और उनकी जांच की थी। हालांकि, उसके बाद पद से हटाए जाने के बाद वित्तीय वर्ष 2015-16 में उनकी वार्षिक प्रदर्शन मूल्यांकन रिपोर्ट में उन्हें जीरो ग्रेडिंग प्रदान की गई।
उन्होंने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि उनकी प्रदर्शन मूल्यांकन रिपोर्ट को 'बदले की कार्रवाई' के रूप में डाउनग्रेड किया गया था क्योंकि उन्होंने प्रभावशाली लोगों से संबंधित भ्रष्टाचार के मामलों की जांच शुरू की थी। इसलिए फरवरी 2023 में कैट (नैनीताल बेंच) ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और एम्स को 'न्याय के हित में' इन मामलों के रिकॉर्ड पेश करने का निर्देश दिया।
अब कैट के उसी आदेश को चुनौती देते हुए एम्स ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय का रुख किया था।
संबंधित समाचार में, संयुक्त सचिव स्तर और उससे ऊपर के अधिकारियों के लिए केंद्र की 360 डिग्री मूल्यांकन प्रणाली को चुनौती देने वाली केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) की नैनीताल पीठ के समक्ष चतुर्वेदी की याचिका और पार्श्व प्रवेश के माध्यम से सरकार में निजी पेशेवरों की भर्ती, दो साल 2020-21 में तत्कालीन कैट चीफ समेत ट्रिब्यूनल के सदस्यों ने सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था।
भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने भी IFS अधिकारी चतुर्वेद से संबंधित एक मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। जस्टिस केएम जोसेफ भी, जब वे उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस यूयू ललित थे, उन्होंने भी अतीत में उनसे जुड़े मामलों की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था।