सार्वजनिक पार्कों का किसी अन्य उद्देश्य के लिए उपयोग करना न्यासभंग जैसा: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने सामुदायिक भवन को गिराने का निर्देश दिया

LiveLaw News Network

6 Sep 2021 6:51 AM GMT

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    MP High Court

    मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने पारिस्थितिक संतुलन के लिए बफर जोन के रूप में खाली जमीन के महत्व को कायम रखते हुए पार्क में बने सामुदायिक हॉल को गिराने का निर्देश दिया है।

    चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की खंडपीठ ने कहा, "एक बार जब कोई सार्वजनिक पार्क नागरिकों/निवासियों को समर्पित हो जाता है, तो इसे नगरपालिका द्वारा जनता की ओर से ट्रस्ट में रखा जाता है और इसे किसी अन्य उपयोग में नहीं लाया जा सकता है। नगर निकाय द्वारा किसी अन्य उद्देश्य के लिए इसके उपयोग में परिवर्तन न्यासभंग करने के समान होगा।"

    कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि उक्त स्थान को हमेशा केवल एक पार्क के रूप में बनाए रखा जाना चाहिए और किसी अन्य उद्देश्य के लिए उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

    पृष्ठभूमि

    अधिवक्ता एमके त्रिपाठी के माध्यम से दायर रिट याचिका में बुरहानपुर में एक आवासीय कॉलोनी में स्थित एक सार्वजनिक पार्क की जमीन पर सामुदायिक हॉल के निर्माण को रोकने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी। याचिका में आगे नगर निगम, बुरहानपुर के मेयर द्वारा की गई अवैधताओं की जांच की मांग की गई थी।

    एक बार पहले भी कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए प्रतिवादियों को अगले आदेश तक कोई और निर्माण करने से रोक दिया था। यह भी देखने में आया था कि आम सड़क पर मेयर ने खुद अपने घर के सामने एक शेड का निर्माण कर अतिक्रमण कर रखा है। इसलिए कोर्ट ने आम रास्ते से इस तरह के अतिक्रमण को हटाने का भी निर्देश दिया।

    सरकारी वकील दर्शन सोनी ने प्रस्तुत किया कि विचाराधीन सामुदायिक हॉल का निर्माण कानूनी नहीं था और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के अनुमोदन के बिना किया जा रहा था। कोर्ट ने आयुक्त, नगर निगम बुरहानपुर के खिलाफ अवैध निर्माण करने के आरोप में की गई कार्रवाई की भी जानकारी मांगी थी।

    जांच - परिणाम

    कोर्ट ने बैंगलोर मेडिकल ट्रस्ट बनाम बीएस मुदप्पा और अन्य (1991) में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया जहां सार्वजनिक पार्कों के संरक्षण पर जोर दिया गया था। आदेश में सार्वजनिक पार्क की उपयोगिता को एक नर्सिंग होम के खिलाफ चुनौती दी गई थी और कहा गया था- "मौजूदा समय में जब शहरीकरण बढ़ रहा है, ग्रामीण पलायन बड़े पैमाने पर हो रहा है और भीड़भाड़ वाले क्षेत्र तेजी से बढ़ रहे हैं, खुले स्थान और सार्वजनिक पार्क का न होना, स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं। हो सकता है कि इसका ध्यान एक नर्सिंग होम द्वारा रखा जाए। लेकिन यह स्वयंसिद्ध है कि रोकथाम इलाज से बेहतर है। पार्क को हटाने से जो नुकसार होता है उसे नर्सिंग होम बनाकर प्राप्त नहीं किया जा सकता है। इसलिए, यह कहना कि निचले स्तर के एक पार्क के लिए आरक्षित जगह को निजी नर्सिंग होम में इस्तेमाल कर सामाजिक कल्याण को बढ़ावा दिया जा रहा था, दोनों के वास्तविक चरित्र और उनकी उपयोगिता से बेखबर होकर किया जा रहा है।"

    कोर्ट ने मध्य प्रदेश नगर पालिका अधिनियम, 1961 की धारा 279 को का उल्लेख किया, जिसके तहत नगर परिषद को लोगों के उपयोग और रोजगार के लिए खुली जगह, पार्क, खेल के मैदान, आम जगहें, स्विमिंग टैंक और सुविधाओं जैसे मनोरंजन के स्थान प्रदान करने के लिए कहा गया है। 1961 के अधिनियम की धारा 282 राज्य सरकार को सार्वजनिक उपयोगिता के लिए एक क्षेत्र आरक्षित करने की अनुमति देती है। ऐसे आरक्षण के बाद किसी भी निर्माण की अनुमति नहीं दी जा सकती है, जब तक कि राज्य सरकार द्वारा अनुमति न हो।

    उच्च न्यायालय ने आगे कहा, "यह सामान्य बात है कि सभी स्थानीय निकायों और न्यायालयों को नगर नियोजन कानून का निर्माण करते समय पर्यावरणीय कारकों को ज्यादा महत्व देना चाहिए। इसलिए किसी भी शक्ति का प्रयोग करते हुए, ऐसे प्राधिकरण को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इसके परिणाम का पारिस्थितिक तंत्र को दरकिनार करने जैसे प्रभाव न हो। पार्कों और खेल के मैदानों के लिए खुली जगहों का आरक्षण सार्वभौमिक रूप से मान्यता प्राप्त वैधानिक शक्तियों का वैध अभ्यास है, जो शहरीकरण के दुष्प्रभावों से इलाके के निवासियों की सुरक्षा से तर्कसंगत रूप से संबंधित है।"

    कई अन्य उल्लेखनीय निर्णयों और हितकर सिद्धांतों का उल्लेख करते हुए, न्यायालय ने कहा कि सरकारी अधिकारियों/प्रतिवादियों से यह अपेक्षा की जाती है कि किसी शहर की योजना और विकास के अपने सभी दायित्वों का निर्वहन करने में, उन्हें नियमों और अधिनयम में परिकल्पित प्रावधानों को उचित महत्व देना चाहिए और ऐसा करने में, निवासियों और विशेष रूप से बच्चों के मनोरंजन और स्वास्थ्य गतिविधियों के लिए आवश्यक पार्क, उद्यान, खेल के मैदान और मनोरंजन के मैदान के लिए पर्याप्त स्थान को छोड़ने की आवश्यकता का अनिवार्य रूप से पालन करना चाहिए।

    अदालत ने आगे कहा, "इस तरह के खुले स्थान बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए फेफड़े और वेंटिलेटर का कार्य करते हैं।"

    शीर्षक: प्रीति सिंह बनाम मध्य प्रदेश राज्य

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