इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी में सभी न्यायालयों / न्यायाधिकरणों में A4 साइज़ के कागज का उपयोग करने की अनुमति दी

LiveLaw News Network

29 Nov 2020 12:48 PM GMT

  • Allahabad High Court expunges adverse remarks against Judicial Officer

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उच्च न्यायालय में सभी न्यायिक और प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए A4 साइज़ के पेपर के उपयोग की अनुमति दी है। साथ ही अन्य सभी अधीनस्थ न्यायालयों, न्यायाधिकरणों और जिला न्यायालयों में इसे भी इसे इस्तेमाल करने की अनुमति दी गई है।

    23 नवंबर, 2020 को वीडियो संचार, रजिस्ट्रार (जे) (निरीक्षण) ने बताया कि उच्च न्यायालय की प्रशासनिक समिति ने उत्तर प्रदेश में सभी न्यायिक मंचों के समक्ष सभी न्यायिक और प्रशासनिक कार्य के लिए A4 साइज़ के पेपर के उपयोग की अनुमति देने का संकल्प लिया है।

    इलाहाबाद उच्च न्यायालय के नियम, 1952, सामान्य नियम (सिविल), 1957 और सामान्य नियम (आपराधिक), 1977 में आवश्यक संशोधन के लिए नियम समिति के समक्ष मामले को रखने का संकल्प लिया गया।

    यह इंगित करना उचित है कि इस कम्यूनिकेशन में पेपर के दोनों ओर मुद्रण के मुद्दे पर कुछ नहीं कहा गया है।

    सौमित्र आनंद और अन्य बनाम रजिस्ट्रार जनरल एचसी और अन्य जनहित याचिका संख्या 665/2020, जिसमें एक पक्ष पर मुद्रण के साथ लीगल साइज़ के कागज के बजाय A4 शीट्स के उपयोग को एक तरफ मुद्रण के साथ लागू करने की दिशा में राज्य भर की अदालतें मांग की गई थी।

    गौरतलब है कि इस याचिका का निस्तारण इस बात के साथ किया गया था कि इस मामले पर प्रशासनिक पक्ष को गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। याचिकाकर्ताओं को तदनुसार उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल के समक्ष एक प्रतिनिधित्व करने के लिए निर्देशित किया गया था।

    उसके बाद, याचिकाकर्ताओं ने 28/07/2020 की एक डिमांड नोटिस दिया गया और बाद में हाईकोर्ट की रजिस्ट्री पर 15/10/2020 के एक रिमाइंडर नोटिस दिया गया।

    इन नोटिसों का जवाब देते हुए रजिस्ट्री ने सोमवार को कहा,

    "माननीय प्रशासनिक समिति ने दिनांक 05.11.2020 की बैठक में उक्त डिमांड नोटिस पर विचार किया है और हाईकोर्ट, इलाहाबाद और सभी में न्यायिक और प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए ए4 साइज़ के कागज के उपयोग की सीमा तक डिमांड नोटिस को स्वीकार करने का संकल्प लिया है।

    अन्य न्यायालयों, न्यायाधिकरणों और जिला न्यायालयों ने इलाहाबाद में उच्च न्यायालय के न्यायपालिका के अधीनस्थ और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के नियमों, 1952, सामान्य नियमों (सिविल), 1957 और सामान्य में आवश्यक संशोधनों के लिए माननीय नियम समिति के समक्ष मामले को रखने का संकल्प लिया। नियम (आपराधिक), 1977। इस मामले पर समिति की अगली बैठक में माननीय नियम समिति द्वारा विचार किया जाना है।"

    याचिकाकर्ता सौमित्र आनंद, सागर, शुभम मिश्रा, अनूप शुक्ला और विदित जायसवाल, विधि संकाय, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र हैं। वे एडवोकेट शशवत आनंद और अंकुर आज़ाद के माध्यम से उच्च न्यायालय गए थे।

    उक्त मामले में कोई सूचना नहीं मिलने पर उन्होंने हाल ही में 19/11/2020 को उच्च न्यायालय में एक ताजा जनहित याचिका दायर की थी।

    फाइलिंग एडवोकेट्स के अनुसार, अजीबोगरीब, उक्त संचार पेपर के दोनों ओर छपाई के मुद्दे पर चुप है।

    गौरतलब है कि दोनों साइड छपाई के साथ A4 आकार के कागज का उपयोग सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ देश के कई अन्य राज्यों के हाइकोर्ट ने भी शुरू किया है। इनमें केरल उच्च न्यायालय, कर्नाटक उच्च न्यायालय, त्रिपुरा उच्च न्यायालय आदि शामिल हैं।

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