UPVAT Rules | छूट/कटौती का लाभ देने से पहले अपनाना होगा सख्त रुख: इलाहाबाद हाईकोर्ट

Shahadat

25 Nov 2023 6:26 AM GMT

  • UPVAT Rules | छूट/कटौती का लाभ देने से पहले अपनाना होगा सख्त रुख: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि यद्यपि संदेह की स्थिति में टैक्स लगाने की व्याख्या निर्धारिती के पक्ष में की जानी चाहिए। हालांकि, छूट और कटौतियों का लाभ देने से पहले सख्त रुख अपनाने की जरूरत है।

    जस्टिस शेखर बी. सराफ ने कहा,

    “टैक्स लगाने के क़ानून में क़ानून का सामान्य नियम यह है कि किसी भी संदेह की स्थिति में करदाता को लाभ दिया जाना चाहिए। हालांकि, दी जाने वाली छूट और कटौती के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों के अनुसार, यह जांचने के लिए सख्त दृष्टिकोण अपनाया जा सकता है कि निर्धारिती इस तरह के लाभ के लिए पात्र है या नहीं।''

    विभाग ने वाणिज्यिक कर न्यायाधिकरण के फैसले को चुनौती देते हुए पुनर्विचार दायर किया, जिसमें मूल्य वर्धित कर नियमों के नियम 9 के अनुसार निर्धारिती का कारोबार इस आधार पर कम कर दिया गया कि सीमेंट यूपी राज्य के बाहर से आयात किया गया।

    विभाग के वकील ने तर्क दिया कि निर्धारिती यह साबित करने में विफल रहा कि सामान आयात किया गया और कार्य अनुबंध का विशिष्ट निष्पादन किया गया। अत: उ.प्र. के नियम 9(1)(ई) के अंतर्गत लाभ मूल्य वर्धित कर नियम, 2008, निर्धारिती पर लागू नहीं होंगे। इसके अलावा, मेसर्स कम्फर्ट सिस्टम्स बनाम आयुक्त वाणिज्य कर, उ.प्र. में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले से अंतर निकाला गया, क्योंकि उस मामले में कोई विवाद नहीं है कि कार्य अनुबंध में उपयोग के लिए सामान यूपी राज्य के बाहर से आयात किया गया है।

    हालांकि, निर्धारिती के वकील ने प्रस्तुत किया कि मेसर्स कम्फर्ट सिस्टम्स का अनुपात वर्तमान मामले पर लागू है। मेसर्स कम्फर्ट सिस्टम्स में यह माना गया कि जब ट्रिब्यूनल विशिष्ट निष्कर्ष पर आता है कि माल पहले से मौजूद कार्य अनुबंध को पूरा करने के उद्देश्य से राज्य में लाया गया और माल वास्तव में राज्य के बाहर से आ रहा है तो इसका लाभ नियमों के नियम 9(1)(ई) के तहत अपेक्षित कटौती निर्धारिती को उपलब्ध होगी।

    कोर्ट ने कहा कि ट्रिब्यूनल ने विशेष रूप से नोट किया कि सामान यूपी राज्य के बाहर से आयात किया जा रहा है और राज्य के भीतर किए जा रहे प्रोजेक्ट में इस्तेमाल किया जा रहा है। न्यायालय ने माना कि चूंकि उपरोक्त तथ्य में कोई "विकृति" नहीं है, वैट नियमों का नियम 9(1)(ई) लागू होगा।

    न्यायालय ने माना कि भले ही संदेह की स्थिति में कर कानूनों को निर्धारिती के पक्ष में पढ़ा जाना चाहिए, हालांकि छूट और कटौती का लाभ देने के लिए सख्त दृष्टिकोण का पालन करने की आवश्यकता है।

    चूंकि यह तथ्य निर्विवाद है कि माल राज्य के बाहर से परिवहन किया गया, इसलिए विभाग द्वारा दायर संशोधन खारिज कर दिया गया।

    केस टाइटल: आयुक्त, वाणिज्य कर, उ.प्र. बनाम एस/एस सान्या कंस्ट्रक्शन एंड डेवलपर्स प्रा. लिमिटेड [बिक्री/व्यापार कर संशोधन नंबर- 94/2023]

    संशोधनवादी के वकील: बिपिन कुमार पांडे और प्रतिवादी के वकील:शुभम अग्रवाल

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