उपहार अग्निकांड: दिल्ली की अदालत ने अंसल बंधुओं की सजा निलंबित करने की मांग वाली याचिका खारिज की

LiveLaw News Network

4 Dec 2021 7:11 AM GMT

  • उपहार अग्निकांड: दिल्ली की अदालत ने अंसल बंधुओं की सजा निलंबित करने की मांग वाली याचिका खारिज की

    दिल्ली की एक अदालत ने रियल एस्टेट कारोबारी सुशील अंसल, गोपाल अंसल और अन्य द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया। इसमें वर्ष 1997 में हुई उपहार अग्निकांड के संबंध में सबूतों से छेड़छाड़ मामले में उनकी सात साल की जेल की सजा को निलंबित करने की मांग की गई थी।

    अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनिल अंतिल ने पाया कि अपराध न्याय की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने के लिए अपीलकर्ताओं की ओर से एक सुनियोजित योजना का परिणाम था।

    कोर्ट ने कहा,

    "न्यायिक वातावरण के प्रदूषकों को संस्था की उत्कृष्टता को बनाए रखने के लिए कोई उदारता दिखाने की आवश्यकता नहीं है। साथ ही न्याय के प्रशासन में आम जनता में विश्वास को बहाल करना चाहिए। न्याय के दौरान कोई भी हस्तक्षेप या उसके मार्ग में किसी भी प्रकार की बाधा न्याय की मांग का पूरा नहीं होने देना कानून की महिमा का अपमान है और इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है।"

    कोर्ट का यह भी कहा कि अपीलकर्ताओं को राहत देने के लिए उम्र अपने आप में एकमात्र मानदंड नहीं हो सकती है, जब वे मामले के विलंबित मुकदमे में शामिल थे।

    कोर्ट कहा,

    "उन्हें अपनी गलतियों का लाभ लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।"

    सुशील अंसल की उम्र 83 साल और गोपाल अंसल की उम्र करीब 73 साल है।

    इस प्रकार, न्यायालय ने संबंधित जेल अधीक्षक / चिकित्सा अधिकारी से अंसल की चिकित्सा स्थिति के लिए कहा और पाया गया कि उनकी सामान्य स्थिति स्थिर है।

    अंत में राहत को अस्वीकार करते हुए कोर्ट ने कहा,

    "अपराध की प्रकृति ऐसी है कि यह अदालत के कामकाज पर हमला करता है। हालांकि इस अदालत के समक्ष अपील लंबित है। इसके भाग्य का फैसला उचित समय पर किया जाएगा, लेकिन इस स्तर पर मेरी राय अपीलकर्ताओं के पक्ष में कोई असाधारण परिस्थिति मौजूद नहीं है। इसके लिए अदालत को सीआरपीसी की धारा 389(1) के तहत शक्ति का प्रयोग करने की आवश्यकता है।"

    पृष्ठभूमि

    सीएमएम पंकज शर्मा ने आठ अक्टूबर को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 201, 120 बी और धारा 409 के तहत अंसल और अन्य को दोषी ठहराए जाने के बाद सजा पर आदेश पारित किया था।

    अदालत ने इस मामले में अदालत के एक पूर्व कर्मचारी और अन्य व्यक्तियों को भी दोषी ठहराया था । साथ ही दिनेश चंद्र शर्मा, प्रेम प्रकाश बत्रा और अनूप सिंह नाम के एक-दूसरे पर तीन लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था।

    अदालत ने अपने आदेश में कहा कि जिन दस्तावेजों के साथ आरोपी व्यक्तियों ने छेड़छाड़ की गई वे उपहार मामले में उनकी सजा का आधार बने। यह भी कहा गया कि उन दस्तावेजों को उनकी भूमिका और स्थिति को स्थापित करने के लिए ट्रायल के लिए "सबसे महत्वपूर्ण" हैं।

    कोर्ट ने कहा कि जिस तरह से आरोपी व्यक्तियों द्वारा कानून की प्रक्रिया को अपवित्र किया गया, वह न्याय प्रशासन प्रणाली को दूषित करने से कम नहीं है।

    कोर्ट ने कहा,

    "किसी भी तरह से दस्तावेजों के बिना मुकदमे में लाभ हासिल करने के लिए अभियुक्त व्यक्तियों की मनमानी न्याय वितरण प्रणाली के प्रति उनके कम सम्मान को दर्शाता है। जबकि यही न्याय वितरण प्रणाली हमारे लोकतंत्र का आधार है। सबूतों को नष्ट करने के बाद आचरण के रूप में उन्होंने द्वितीयक साक्ष्य जोड़ने के लिए अभियोजन पक्ष की याचिका का कड़ा विरोध किया गया। उन्होंने माध्यमिक साक्ष्य के आगमन को रोकने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी।"

    उक्त मामला उपहार अग्निकांड के मामले में सबूतों से छेड़छाड़ से संबंधित है। इसमें अंसल को दोषी ठहराया गया था और सुप्रीम कोर्ट ने सजा सुनाई थी।

    13 जून, 1997 की शाम को हिंदी ब्लॉकबस्टर बॉर्डर की स्क्रीनिंग के दौरान लगी आग में 59 लोगों की मौत हो गई और 100 घायल हो गए।

    आग पार्किंग में लगी और फिर व्यस्त ग्रीन पार्क इलाके में इमारत को अपनी चपेट में ले लिया।

    अधिकांश लोगों की मौत भगदड़ के कारण गई, क्योंकि भागे वाले रास्ते को अवैध रूप से रखी गई कुर्सियों द्वारा अवरुद्ध कर दिया गया था।

    निचली अदालत ने नवंबर, 2007 में दोनों को दो साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी।

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