प्रेमी जोड़े के विवाह के बाद पति के पिता और भाई को गिरफ्तार करने पर दिल्ली हाईकोर्ट ने यूपी पुलिस को कड़ी फटकार लगाई, कहा- "यूपी में चलता होगा, यहां नहीं"

LiveLaw News Network

28 Oct 2021 9:46 AM GMT

  • प्रेमी जोड़े के विवाह के बाद पति के पिता और भाई को गिरफ्तार करने पर दिल्ली हाईकोर्ट ने यूपी पुलिस को कड़ी फटकार लगाई, कहा- यूपी में चलता होगा, यहां नहीं

    Delhi High Court

    दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को एक मामले में यूपी पुलिस को कड़ी फटकार लगाई और कहा, "यूपी में चलता होगा, यहां नहीं।" दरअसल उत्तर प्रदेश पुलिस को एक महिला से, उसके परिजनों की इच्छा के खिलाफ,विवाह करने के कारण एक पुरुष के पिता और भाई को ग‌िरफ्तार कर लिया था। विवाहित जोड़े वयस्‍क थे और गिरफ्तारी के संबंध में दिल्ली पुलिस को सूच‌ित भी नहीं किया गया।

    मामले की सुनवाई करत‌े हुए जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने कहा, "यहां दिल्ली में इसकी अनुमति नहीं दी जाएगी। आप यहां अवैध काम नहीं कर सकते।" दंपति ने मामले में सुरक्षा याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि वे बालिग हैं और उन्होंने अपनी मर्जी से एक जुलाई, 2021 को महिला के माता-पिता की इच्छा के विपरीत एक-दूसरे से शादी की।

    उन्होंने दावा किया कि उन्हें महिला के परिजनों द्वारा बार-बार धमकियां दी जा रही है। पुरुष के पिता और भाई को यूपी पुलिस डेढ़ महीने पहले ले गई ‌थी। उनके ठिकाने का पता नहीं चला। यह देखते हुए कि महिला बालिग है और अपनी मर्जी से उसने शादी की है, जस्टिस गुप्ता ने कहा, "कोई आपके पास आता है और आप उसकी उम्र की पुष्टि किए बिना गिरफ्तारी करने लगते हैं? चाहे वह नाबालिग हो या बालिग?"

    कोर्ट ने एसएचओ, पुलिस थाना, शामली को केस फाइल के साथ व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के लिए नोटिस जारी किया था।

    सुनवाई के दरमियान कोर्ट ने कहा, "जब आप जांच करते हैं, तो क्या आप शिकायतकर्ता से नहीं पूछते हैं? मुझे सभी सीसीटीवी फुटेज मिल जाएंगे और अगर मुझे पता चलता है कि शामली (यूपी) पुलिस गिरफ्तारी के लिए दिल्ली में आई है तो मैं सुनिश्चित करूंगी कि आपके खिलाफ विभागीय जांच की जाए।"

    "यदि आप (एसएचओ) और आपके आईओ केस फाइल पढ़ना नहीं जानते तो मेरे पास कोई समाधान नहीं है। आपको परुष के परिजनों को गिरफ्तार करने की जानकारी मिलती है लेकिन मामले की जांच के लिए जानकारी नहीं मिलती है!"

    अदालत ने मामले में गिरफ्तारी करने से पहले महिला की उम्र की पुष्टि नहीं करने के लिए भी पुलिस की खिंचाई की। कोर्ट ने कहा, "जाके कोर्ट को बताइए, जमानत के लिए अर्जी कराइए, मुझे फूटेज चा‌हिए। अगर गाड़ी नबंर मिला और पता चला कि दिल्‍ली में यूपी पुलिस की एंट्री हुई है तो मैं एक्‍शन लूंगी। आपने यहां कानूनी कार्य नहीं किया है।"

    कोर्ट ने पुलिस को महिला का बयान दर्ज करने का निर्देश दिया और स्पष्ट शब्दों में कहा कि वह जोड़े को अधिकार क्षेत्र से बाहर ले जाने की अनुमति देगी। दोपहर बाद के सत्र में, अदालत ने मामले की एफआईआर पर गौर करते हुए कहा कि यह एफआईआर से ही साफ है कि महिला की उम्र उसकी मां यानि शिकायतकर्ता ने 21 वर्ष बताई गई थी।

    अदालत ने निर्देश दिया कि एसएचओ द्वारा एक विस्तृत हलफनामा दायर किया जाए कि यूपी पुलिस ने महिला का पता लगाने के लिए क्या प्रयास किए और यदि वे दिल्ली आए, तो क्या कोई कार्यवाई करने से पहले उनके आने की सूचना स्थानीय पुलिस स्टेशन को दी गई थी।

    आगे इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि पुलिस पहले ही याचिकाकर्ताओं के बयान को सीआरपीसी की धारा 161 के तहत दर्ज कर चुकी है। अदालत ने धारा 164 सीआरपीसी के तहत के तहत सीएमएम, पटियाला हाउस कोर्ट के समक्ष आज या कल तक उनके बयान दर्ज करने की अनुमति दी। मामले की अगली सुनवाई 18 नवंबर को होगी।

    केस शीर्षक: टीनू और अन्य बनाम जीएनसीटीडी

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