यूपी सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष सिद्दीकी कप्पन के साथ गिरफ्तार किए गए तीन लोगों को जेल में वकीलों से मिलने की मंजूरी दी
LiveLaw News Network
2 Feb 2021 2:25 PM IST
उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट को सूचित किया है कि 3 कथित पीएफआई सदस्यों को, जिन्हें पत्रकार सिद्दीक कप्पन के साथ हाथरस के रास्ते पर गिरफ्तार किया था, उन्हें जेल में उनके वकीलों से मिलने की अनुमति दी।
एएजी मनीष गोयल ने जस्टिस सूर्य प्रकाश केसरवानी और जस्टिस शमीम अहमद की डिवीजन बेंच से कहा कि वकील जेल के नियमों के अनुसार याचिकाकर्ताओं से मिल सकते हैं।
यह घटनाक्रम तब प्रकाश में आया जब याचिकाकर्ताओं के वकील ने आरोप लगाया कि जेल अधीक्षक, मथुरा उन्हें अपने क्लाइंट से मिलने की अनुमति नहीं दे रहे हैं।
28 जनवरी को जारी किए गए आदेश में कहा गया है,
"याचिकाकर्ताओं के वकील ने बताया है कि प्रतिवादी नंबर 5 याचिकाकर्ताओं को जेल में मिलने की अनुमति नहीं दे रहे है। अतिरिक्त महाधिवक्ता ने बताया कि वकील जेल मैनुअल के अनुसार जेल में याचिकाकर्ताओं से मिल सकते हैं।"
बेंच एक छात्र, अतीक उर रहमान की ओर से दायर एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका के अनुसार आलम, कैब ड्राइवर और मसूद को तीनों को 5 अक्टूबर, 2020 को पुलिस उपाधीक्षक ने रोक लिया था, जबकि वे हाथरस जा रहे थे और बाद में सीजेएम मथुरा द्वारा उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था।
उन पर हाथरस में दंगे और जाति-आधारित अशांति फैलाने के लिए साजिश रचने का आरोप लगाया गया था और उन पर कड़े गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
इस मामले पर पहली बार हाईकोर्ट ने 5 जनवरी को सुनवाई की, जहां खंडपीठ ने सरकारी अधिकारियों को अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
पिछले हफ्ते हुई सुनवाई के दौरान, अतिरिक्त सरकारी अधिवक्ता राजेश मिश्रा ने अदालत को सूचित किया कि बंदी की याचिका में काउंटर एफिडेविट की एक प्रति याचिकाकर्ताओं को दी गई है और विसंगतियां दूर करने के बाद, 4 फरवरी को अदालत में दायर की जाएगी।
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इससे पहले, केरल यूनियन ऑफ़ वर्किंग जर्नलिस्ट्स (KUWJ) ने यह भी आरोप लगाया था कि सिद्दीकी कप्पन, जिन्हें उसी दिन मथुरा में भी गिरफ्तार किया गया था, को उनके वकील को अधिकृत करने के लिए किसी भी वकील से मिलने और वकालतनामा पर हस्ताक्षर करने से रोका जा रहा है।
KUWJ ने आरोप लगाया था,
"16.10.2020 को जेल में अभियुक्तों के साथ मिलने का अनुरोध करने वाले अधिवक्ता विल्स मैथ्यूज की यात्रा, जेल परिसर की वीडियो रिकॉर्डिंग के साथ इसकी जाँच करके साबित की जा सकती है।"
संगठन ने यह भी दावा किया था कि कप्पन को हिरासत में यातना दी गई थी और उसने पत्रकार की गिरफ्तारी में एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश से न्यायिक जांच की मांग की थी।
याचिकाकर्ताओं के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता फरमान नकवी और एडवोकेट शशवत आनंद उपस्थित हुए।
एएजी मनीष गोयल और एजीए राजेश मिश्रा राज्य के लिए उपस्थित हुए।
केस का शीर्षक: अतीक उर रहमान और अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य
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