यूपी के 'एंटी लव जिहाद' कानून के तहत यूपी की अदालत ने पहली सजा सुनाई, दोषी को पांच साल की कैद

Avanish Pathak

21 Sep 2022 8:56 AM GMT

  • यूपी के एंटी लव जिहाद कानून के तहत यूपी की अदालत ने पहली सजा सुनाई, दोषी को पांच साल की कैद

    उत्तर प्रदेश की एक अदालत ने पिछले हफ्ते अफजल नामक 26 वर्षीय एक युवक को उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम ( एंटी-लव जिहाद एक्ट) के तहत 5 साल जेल की सजा सुनाई।

    अमरोहा की अतिरिक्त जिला जज (पॉक्सो कोर्ट) कपिला राघव ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने साबित कर दिया कि आरोपी (अफजल) ने अपने नाम और धर्म के बारे में अपनी असली पहचान छुपाई। नाबालिग पीड़िता को बहला-फुसलाकर उसके पिता की कानूनी संरक्षण से उसे दूर ले गया, उसकी इच्छा के खिलाफ धर्म परिवर्तन कर उससे शादी करने के उद्देश्य से उसे दिल्ली ले जाया गया।

    अदालत ने कहा कि यह साबित हो गया है कि नाबालिग के साथ यौन उत्पीड़न किया गया और उसे धर्म परिवर्तन के लिए उकसाया गया और विरोध करने पर जान से मारने की धमकी भी दी गई।

    मामला

    आरोपी अफजल एक ड्राइवर के रूप में काम करता था और उसने खुद को पीड़ित लड़की के समक्ष एक हिंदू (अरमान कोहली) के रूप में पेश किया। पीड़िता के पिता की अमरोहा जिले के हसनपुर इलाके में एक नर्सरी थी। आरोपी पौधे खरीदने के लिए नर्सरी जाता था और वहां लड़की से मिलता था। उसने उससे दोस्ती की और पिछले साल उसके साथ भाग गया। इसके बाद, लड़की के पिता ने आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर आरोप लगाया कि आरोपी ने उसकी बेटी का अपहरण किया है। मामले की जांच के बाद पुलिस ने आरोपी को पिछले साल अप्रैल में दिल्ली से गिरफ्तार किया।

    पुलिस ने उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 363, 366, 354, 506, पोक्सो एक्ट की धारा 7/8 और एंटी लव जिहाद एक्ट, 2021 की धारा 3/5 (1) के तहत मामला दर्ज किया।

    प्रारंभ में, पुलिस ने केवल अपहरण का मामला दर्ज किया था, हालांकि, बाद में श‌िकायतकर्ता (पीड़ित के पिता) द्वारा इस संबंध में शिकायत करने के बाद धर्मांतरण विरोधी कानून के आरोप लगाए गए थे।

    अदालत के समक्ष, अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि आरोपी ने पीड़िता को उसका धर्म बदलने के इरादे से उससे शादी करने के लिए बहकाया और अवैध यौन संबंध बनाने के इरादे से उसका अपहरण किया और उसके साथ यौन उत्पीड़न किया, और चूंकि पीड़िता को आरोपी ने धोखा दिया था और धर्म परिवर्तन के बाद उससे शादी करने के लिए दिल्ली ले जाया गया था, इसलिए यह लव जिहाद का मामला था।

    पीड़ित नाबालिग लड़की ने 164 सीआरपीसी के तहत दर्ज अपने बयान में अभियोजन पक्ष के मामले का समर्थन किया।

    निष्कर्ष

    मामले के तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, अदालत ने शुरुआत में कहा कि कानून में कहीं भी धर्मांतरण निषिद्ध नहीं है और प्रत्येक व्यक्ति को किसी भी धर्म का पालन करने और अपनाने का अधिकार है, हालांकि, कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश के एंटी लव जिहाद एक्ट के तहत गलत बयानी, बल, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या किसी कपटपूर्ण तरीके से एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तन कराना प्रतिबंधित और दंडनीय है।

    अदालत ने पीड़िता के बयान को ध्यान में रखा और आगे कहा कि पीड़िता ने अपनी मुख्य परीक्षा और जिरह में यह आरोप लगाया कि आरोपी ने उसके साथ गैरकानूनी यौन संबंध/विवाह करने के इरादे से अपना धर्म छुपाया। उसने खुद को भगवान शिव का भक्त बताया, और दावा किया कि वह हिंदू धर्म में विश्वास करता है और बाद में उसका अपहरण किया, उसका यौन उत्पीड़न किया, उसे अपना धर्म बदलने के लिए मजबूर किया।

    अदालत ने पाया कि पीड़िता की गवाही पर विश्वास न करने का कोई कारण नहीं है क्योंकि उसकी गवाही स्वाभाविक है और आत्मविश्वास को प्रेरित करती है और इस प्रकार, उसकी एकमात्र गवाही पर दोषी ठहराए जाने के लिए पर्याप्त विश्वसनीय थी।

    "अभियुक्त द्वारा पीड़िता के साथ यौन शोषण, छेड़छाड़ की घटना को अंजाम दिया गया है, यह एक जघन्य कृत्य है, जिससे आम आदमी में गलत संदेश जाता है और ऐसे अपराधी महिलाओं और लड़कियों का सड़क पर निकलना मुश्किल कर देते हैं।"

    अदालत ने आरोपी को धारा 363, 366, 506 आईपीसी, 7/8 पॉक्सो अधिनियम और उत्तर प्रदेश एंटी लव जिहाद एक्ट की धारा 3/5 (1) के तहत दोषी ठहराया।

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