किशोर लड़के की अप्राकृतिक मौत- "पुलिस अधिकारियों को कानून के साथ संघर्षरत बच्चे से संबंधित पुलिस की प्री-प्रोडक्‍शन कार्रवाई के बारे में प्रशिक्षित करें": कलकत्ता उच्च न्यायालय

LiveLaw News Network

16 March 2021 9:52 AM GMT

  • किशोर लड़के की अप्राकृतिक मौत- पुलिस अधिकारियों को कानून के साथ संघर्षरत बच्चे से संबंधित पुलिस की प्री-प्रोडक्‍शन कार्रवाई के बारे में प्रशिक्षित करें: कलकत्ता उच्च न्यायालय

    पश्चिम बंगाल किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) नियम, 2017 के नियम 8 को रेखांकित करते हुए, जिसका लक्ष्य बच्चों को सहायता देना है, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने हाल ही में देखा कि जमीनी स्तर के पुलिस अधिकारियों को नियम से संबंधित ऑपरेशन की विधि और सामग्री के बारे में पर्याप्त जानकारी के साथ उचित निर्देश दिए जाने की आवश्यकता है।

    उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) नियम, 2017 के नियम 8 में पुलिस और अन्य एजेंसियों की प्री-प्रोडक्शन कार्रवाई से निपटता है और यह कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम के तहत कानूनी सेवा प्राध‌िकरण सहित विभिन्न विभागों के बीच उपक्रम और संपर्क की व्यवस्था प्रदान करता है।

    चीफ जस्टिस थोट्टाथिल बी राधाकृष्णन और जस्ट‌िस अनिरुद्ध रॉय की खंडपीठ ने मोल्‍लारपुर, थाना - बीरभूम में एक किशोर की अप्राकृतिक मौत के मामले में न्यायालय के स्वयं के प्रस्ताव पर शुरू किए गए मामले का निस्तारण कर रही थी।

    न्यायालय ने यह भी उल्लेख किया कि नियम 8 को भारतीय नागरिकता के एक संवेदनशील क्षेत्र यानी बच्‍चों की सहायता के लिए लाया गया है। बच्चे, जो भविष्य के भारत के लिए आधार भी बनते हैं।

    न्यायालय ने आगे कहा, "हम देख रहे हैं कि जब तक पश्चिम बंगाल किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) नियम, 2017 के नियम 8 अक्षरसः अनुपालन नही होता है, ...... तब तक यह कानून निरर्थक रहेगा।"

    इस पृष्ठभूमि में, न्यायालय ने निम्नलिखित निर्देश जारी किए: -

    -पश्चिम बंगाल राज्य में पुलिस विभाग के एक प्रशिक्षण क्षेत्र को कलकत्ता उच्च न्यायालय के किशोर न्याय समिति के दिशा निर्देशों और इनपुट के साथ चलाया जाए।

    -इसको आगे ले जाने के तौर-तरीकों को पश्चिम बंगाल सरकार के गृह विभाग के ADG (प्रशिक्षण) द्वारा विनियमित किया जाएगा। साथ ही जरूरत पड़ने पर उच्च न्यायालय के किशोर न्याय समिति के अध्यक्ष के साथ आवश्यक बातचीत की जा सकती है।

    -न्यायालय ने किशोर न्याय समिति के अध्यक्ष से आदेश की सामग्री को देखने और पश्चिम बंगाल राज्य के गृह विभाग में एडीजी (प्रशिक्षण) का उचित निर्देशों के माध्यम से मार्ग प्रशस्त करने का अनुरोध किया।

    -एक अपेक्षित कानूनी साक्षरता कार्यक्रम के माध्यम से सभी स्तरों पर पुलिस कर्मियों के सशक्तीकरण की प्रक्रिया, जो व्यापक और मूल्य-उन्मुख होगी....

    अंत में, न्यायालय ने उम्मीद जताई कि किशोर न्याय समिति के अध्यक्ष के माध्यम से कदम उठाए जाएंगे और प्रशिक्षण प्रदान करने की प्रक्रिया को एक महीने की अवधि के भीतर अंतिम रूप दिया जाएगा।

    मामले को 19 मार्च 2021 को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

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