उन्नाव बलात्कार मामला: AIIMS में इलाज के लिए मुख्य आरोपी कुलदीप सेंगर को मिली अंतरिम जमानत

Shahadat

22 Jan 2025 12:08 PM

  • Kuldeep Singh Sengar

    Kuldeep Singh Sengar

    दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को भारतीय जनता पार्टी (BJP) से निष्कासित नेता कुलदीप सिंह सेंगर को राष्ट्रीय राजधानी के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में मोतियाबिंद की सर्जरी कराने के लिए अंतरिम जमानत दी।

    उन्नाव बलात्कार पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में यह घटनाक्रम हुआ।

    जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन की खंडपीठ ने आदेश दिया कि सेंगर को कल (23 जनवरी) जमानत पर रिहा किया जाए, बशर्ते वह 50,000 रुपये का निजी मुचलका और इतनी ही राशि की जमानत राशि जमा कराए।

    खंडपीठ ने निर्देश दिया कि सेंगर 24 जनवरी को एम्स में भर्ती होगा, जिस दिन उसकी सर्जरी होनी है, ताकि वह अपना इलाज करा सके।

    अदालत ने कहा,

    "यदि किसी कारण से उक्त तिथि को सर्जरी नहीं हो पाती है तो अपीलकर्ता 24 जनवरी को शाम 7 बजे तक वापस जेल में आत्मसमर्पण कर देगा।"

    इसमें यह भी कहा गया कि अस्पताल से छुट्टी मिलने पर सेंगर 27 जनवरी को दोपहर 12 बजे तक संबंधित जेल अधीक्षक के समक्ष आत्मसमर्पण करेगा।

    अदालत ने सेंगर की उस अर्जी पर नोटिस जारी किया, जिसमें उसने मेडिकल आधार पर मामले में अपनी सजा को 30 दिनों के लिए निलंबित करने की मांग की थी।

    सुनवाई के दौरान सेंगर के वकील ने कहा कि निष्कासित राजनेता को AIIMS ने मोतियाबिंद की सर्जरी की सलाह दी, जिसके लिए उसे 24 जनवरी को भर्ती होना है। न्यायालय का ध्यान पिछले वर्ष 05 सितम्बर और 20 दिसम्बर को समन्वय पीठ द्वारा पारित आदेशों की ओर गया, जिसके तहत सेंगर को मेडिकल आधार पर सजा का अंतरिम निलंबन प्रदान किया गया।

    CBI की ओर से उपस्थित एडवोकेट ने कहा कि सेंगर के मेडिकल दस्तावेजों का AIIMS से सत्यापन किया गया और वे वास्तविक पाए गए।

    पीड़िता की ओर से उपस्थित एडवोकेट महमूद प्राचा ने कहा कि 20 दिसम्बर, 2024 को पारित आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया कि सेंगर को अंतरिम जमानत की अवधि में और विस्तार नहीं दिया जाएगा। यह भी कहा गया कि सेंगर स्वयं यह नहीं चुन सकते या निर्धारित नहीं कर सकते कि उन्हें कब उपचार लेना है और वे सजा के निलंबन की अवधि बढ़ाने के लिए लगातार प्रार्थना करते रहते हैं।

    यह भी कहा गया कि पीड़िता और परिवार को सेंगर से गंभीर धमकियां मिल रही हैं, इसलिए सजा में विस्तार नहीं दिया जाना चाहिए।

    न्यायालय ने कहा कि वर्तमान में सेंगर पर उन नियमों या शर्तों का उल्लंघन करने का कोई आरोप नहीं है, जिन पर उन्हें पहले सजा का निलंबन प्रदान किया गया।

    खंडपीठ ने निर्देश दिया कि दिल्ली पुलिस का कांस्टेबल उस निजी वार्ड में रहेगा, जहां सेंगर को भर्ती कराया जाएगा। इसमें यह भी कहा गया कि पुलिस अधिकारी एक समय में दो से अधिक आगंतुकों को सेंगर से मिलने की अनुमति नहीं देंगे।

    कोर्ट ने कहा,

    "उचित प्राधिकारी द्वारा नामित CBI का एक सक्षम अधिकारी भी प्रतिदिन अपीलकर्ता के संपर्क में रहेगा।"

    साथ ही कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सेंगर को अंतरिम राहत का कोई और विस्तार नहीं दिया जाएगा।

    10 दिसंबर को सेंगर को मेडिकल आधार पर 10 दिनों की अंतरिम जमानत दी गई। 20 दिसंबर को समन्वय पीठ ने कहा कि उसे कोई और विस्तार नहीं दिया जाएगा। उसे 20 जनवरी को जेल अधीक्षक के सामने आत्मसमर्पण करने के लिए कहा।

    4 मार्च, 2020 को, सेंगर को आईपीसी की धारा 120 बी, 193, 201, 203, 211, 323, 341 और 304 (भाग ii) और शस्त्र अधिनियम की धारा 3 के साथ 25 के तहत अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया।

    अप्रैल 2018 में नाबालिग बलात्कार पीड़िता का परिवार अदालत की सुनवाई के लिए उन्नाव गया, जब उसके पिता पर आरोपियों ने दिनदहाड़े बेरहमी से हमला किया।

    अगले ही दिन पुलिस ने अवैध हथियार रखने के आरोप में पिता को गिरफ्तार कर लिया और पुलिस हिरासत में उसे कई चोटें आईं, जिसके कारण उसकी मौत हो गई।

    अगस्त, 2019 में पीड़िता के पिता की मौत से संबंधित मामले सहित मामले में पांच मामलों की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट द्वारा उत्तर प्रदेश से दिल्ली स्थानांतरित कर दी गई।

    केस टाइटल: कुलदीप सिंह सेंगर बनाम सीबीआई

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