यूपी अदालत में केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व ठीक तरह से नहीं किया जा रहा : इलाहाबाद हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

11 Sep 2021 5:50 AM GMT

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि केंद्र सरकार का मामला कोर्ट के समक्ष अनुत्तरित रहता है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि उत्तर प्रदेश राज्य में केंद्र सरकार का ठीक से प्रतिनिधित्व नहीं किया जा रहा है। कोर्ट ने इसलिए, भारत के अतिरिक्त जनरल सॉलिसिटर को एक नोटिस जारी किया।

    न्यायमूर्ति डॉ कौशल जयेंद्र ठाकर और न्यायमूर्ति सुभाष चंद की खंडपीठ ने नेहरू युवा केंद्र संगठन की जिला युवा समन्वयक शमीम बेगम द्वारा दायर एक रिट याचिका पर विचार करते हुए यह टिप्पणी की।

    नेहरू युवा केंद्र संगठन भारत सरकार, युवा मामले और खेल मंत्रालय के अधीन आता है।

    शमीम बेगम के खिलाफ आरोप है कि उन्होंने सरकारी निवासी की आबंटित होने के बावजूद एचआरए का लाभ लिया और इसलिए कुछ लाभों को (कुछ अन्य वित्तीय लाभों के साथ रहने के साथ-साथ 3 साल की अवधि के लिए वेतन के समयमान में 3 चरणों में कमी) विभागीय कार्यवाही के बाद केंद्र सरकार द्वारा दंड के रूप में रोक दिया गया।

    नतीजतन, उसने कैट के समक्ष उपरोक्त दंड को चुनौती दी।

    हालांकि, कैट ने अंततः दलीलों को सुनने के बाद उसकी याचिका को खारिज कर दिया।

    इसके बाद, कैट के आदेश के साथ-साथ अनुशासनात्मक प्राधिकारी के आदेश को चुनौती देते हुए उसने वर्तमान याचिका के साथ हाईकोर्ट का रुख किया।

    कोर्ट ने पिछले अवसर पर भी (सात जुलाई, 2021) कहा था कि इस मामले में भारत सरकार का प्रतिनिधित्व नहीं किया गया है।

    कोर्ट को इसलिए मामले को नौ सितंबर तक के लिए स्थगित करना पड़ा।

    यह ध्यान दिया जा सकता है कि फरवरी में मामले में सुनवाई के पहले दिन केंद्र सरकार ने अपनी उपस्थिति दर्ज की थी और जवाबी हलफनामा दायर करने के लिए समय मांगा था।

    हालांकि, कोर्ट ने कहा कि फरवरी से पर्याप्त समय दिए जाने के बावजूद, 2021 से आज तक जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं किया गया है।

    इसे देखते हुए कोर्ट ने अब केंद्र सरकार के लिए अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने का मौका बंद कर दिया है।

    इसके साथ ही मामले को 22 सितंबर को अंतिम निपटान के लिए भी पोस्ट कर दिया।

    महत्वपूर्ण रूप से कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी नोट किया कि उसने केवल दो दिन पहले भारत के सहायक सॉलिसिटर जनरल से अनुरोध किया था कि न्यायालय के समक्ष केंद्र सरकार का ठीक से प्रतिनिधित्व किया जाए।

    हालांकि, अदालत ने कहा कि कोई भी नहीं आया है, जबकि (हमें) आश्वासन दिया गया था कि कुछ वकील भारत सरकार की ओर से अदालत की सहायता के लिए मौजूद रहेंगे।

    अदालत ने इस प्रकार निष्कर्ष निकाला,

    "हमें यह बताते हुए दुख हो रहा है कि इस मामले में केंद्र सरकार का कोई वकील मौजूद नहीं है।"

    याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता विभु राय ने किया।

    केस का शीर्षक - शमीम बेगम बनाम भारत संघ और दो अन्य

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