'अनुचित व्यापार व्यवहार': ओडिशा राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने कन्फर्म ऑर्डर को रद्द करने पर 40,000 रुपए का मुआवजा देने का निर्देश दिया

LiveLaw News Network

27 Jan 2021 5:23 AM GMT

  • अनुचित व्यापार व्यवहार: ओडिशा राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने कन्फर्म ऑर्डर को रद्द करने पर 40,000 रुपए का मुआवजा देने का निर्देश दिया

    ओडिशा राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने अमेजन इंडिया को 'अनुचित व्यापार व्यवहार' का दोषी पाया है। कंपनी पर यह दोष एक लैपटॉप की बिक्री पर एक ऑफर को वापस लेने के बाद लगा है। कंपनी ने 190 रुपए में लैपटॉप बेचने का ऑफर दिया था, हालांकि पुष्टिकरण रसीद जारी करने के बाद भी ऑफर को वापस ले लिया गया।

    आयोग के अध्यक्ष डॉ डीपी चौधरी ने कंपनी को शिकायतकर्ता को क्षतिपूर्ति के रूप में 40,000 रुपए का भुगतान करने का आदेश दिया है। शिकायतकर्ता कानून का छात्र है।

    आयोग ने फैसले में कहा, 'एक प्रतिष्‍ठित ऑनलाइन शॉप‌िंग वेबसाइट ऑफर के लिए विज्ञापन दिया, रिकॉर्ड पर उपलब्ध सामग्रियों के अनुसार ऑपर की पेशकश की गई, शिकायतकर्ता ने ऑर्डर दिया और उसकी पुष्टि की गई तो दोनों पक्षों के बीच समझौता पूरा हो गया। यदि पुष्टि से हपले सुधार किया गया होता तो इस मामले पर अन्यथा विचार जाता।"

    आयोग ने अमेजन के इस तर्क को खारिज कर दिया कि समझौता तीसरे पक्ष के साथ था और उसे छात्र और लैपटॉप विक्रेता के बीच अनुबंध की जानकारी नहीं थी। फैसले में कहा गया कि जब संबंधित विक्रेता को ई-कॉमर्स वेबसाइट प्लेटफॉर्म पर अनुमति दी गई थी, तो बाद की जिम्मेदरियों की को अनदेखा नहीं किया जा सकता है।

    आयोग ने कहा, "प्रस्ताव पेश करने से पहले, ओपी [अमेजन] को विचार करना चाहिए था कि क्या वह विज्ञापन जारी करने का फैसला कर सकता है और अनुबंध पूरा होने के बाद उसके पास वादे से दूर जाने का कोई कारण नहीं है।"

    मामला

    यह मामला वर्ष 2014 का है। जब कानून के छात्र सुप्रियो रंजन महापात्रा ने अमेजन इंडिया की वेबसाइट पर एक ऑफर देखा, जिसमें एक लैपटॉप, जिसकी मूल कीमत 23,499 रुपए थी, की कीमत 190 रुपए की ऑफर की गई थी।

    महापात्रा ने उस लैपटॉप के लिए आर्डर दे दिया और ऑर्डर की पुष्टि भी प्राप्त कर ली, उन्हें आश्वासन दिया गया कि उत्पाद जल्द ही भेजा जाएगा। कुछ घंटों बाद, उन्हें अमेजन के ग्राहक सेवा विभाग से एक फोन आया, जिसमें कहा गया था कि 'मूल्य निर्धारण के मुद्दों' के कारण उनका ऑर्डर रद्द कर दिया गया है।

    महापात्रा ने कहा कि यह अनुबंध के विशिष्ट प्रदर्शन का उल्लंघन था और कपंनी की हेल्पलाइन और ई-मेल के माध्यम से ग्राहक सेवा से संपर्क करने के कई प्रयासों के बावजूद, उन्हें कोई जानकारी नहीं मिली, जिसके बाद उन्हें 17 जनवरी, 2015 को कानूनी नोटिस भेजना पड़ा।

    इसके बाद उन्होंने जिला उपभोक्ता फोरम में श‌िकायत की, जिसने कंपनी को सेवा में कमी का दोषी ठहराया और ‌शिकायत को आंश‌िक रूप से स्वीकार किया और 10,000 रुपए का मुआवजा और मुकदमेबाजी की लागत के रूप 2,000 रुपए देने के का आदेश दिया।

    महापात्रा ने इसके बाद मानसिक पीड़ा के आधार पर मुआवजे में वृद्धि की मांग करते हुए राज्य आयोग का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने कहा कि एक प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए उन्हें तुरंत लैपटॉप की आवश्यकता थी, और अमेजन के अनुचित व्यापार व्यवहार के कारण उन्हें दूसर लैपटॉप खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ा।

    उन्होंने अनुरोध किया कंपनी पर दंडात्मक हर्जाना लगाया जाना चाहिए, ताकि वह भविष्य में इस प्रकार कि गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल न हो। मामले का पूर्ववर्ती उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत निस्तारण किया गया।

    आदेश

    आयोग ने अपील की अनुमति दी और महापात्र को मानिकस पीड़ा देने के एवज में अमेजन को 30,000 रुपए का मुआवजा देने, 10,000 रुपए दंडात्मक नुकसान के रूप में, और 5,000 रुपए मुकदमेबाजी की लागत के रूप में देने का निर्देश दिया गया। इसके अतिरिक्त, 5,000 रुपए लागत के रूप में भुगतान करने का निर्देश दिया गया।

    ऑर्डर डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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