उमर खालिद का दावा, पुलिस ने उन्हें ही चुना, दिल्ली दंगों के मामले में 'बड़ी भूमिका' वाले अन्य लोगों को आरोपी नहीं बनाया
Shahadat
9 Oct 2025 5:58 PM IST

JNU के पूर्व स्टूडेंट उमर खालिद ने गुरुवार को दिल्ली कोर्ट में आरोप लगाया कि दिल्ली पुलिस ने "चुन-चुनकर" कार्रवाई की और 2020 के दिल्ली दंगों की बड़ी साजिश के मामले में सिर्फ़ उन्हें ही आरोपी बनाया, जबकि कई अन्य लोगों को छोड़ दिया, जिनमें से कुछ को आरोपपत्र में "बड़ी भूमिका" के लिए ज़िम्मेदार ठहराया गया।
सीनियर एडवोकेट त्रिदीप पैस ने खालिद की ओर से कड़कड़डूमा कोर्ट के एडिशनल सेशन जज समीर बाजपेयी के समक्ष यह दलील दी और खालिद के ख़िलाफ़ आरोप तय करने का विरोध किया।
यह मामला दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ द्वारा जांच की गई FIR नंबर 59/2020 से संबंधित है। UAPA मामले में 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों में बड़ी साजिश का आरोप लगाया गया।
पेस ने दिल्ली पुलिस द्वारा दायर पहले पूरक आरोपपत्र और खालिद के खिलाफ उद्धृत सामग्री का हवाला दिया, जिसके आधार पर उन्हें मामले में आरोपी बनाया गया।
उन्होंने कहा,
"कई लोग, एक जैसे हालात में मेरी और उनकी भूमिका में कोई गुणात्मक अंतर नहीं है। लेकिन मुझे (इसमें शामिल) किया गया।"
पेस ने कहा कि खालिद पर व्हाट्सएप ग्रुपों - डीपीएसजी, जेसीसी, जेएसीटी और मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑफ जेएनयू का हिस्सा होने का आरोप है। उन्होंने दलील दी कि अगर उमर खालिद को उक्त ग्रुपों का हिस्सा होने के आधार पर आरोपी बनाया गया तो किसी भी एडमिन को आरोपी क्यों नहीं बनाया गया?
उन्होंने पूछा,
"जो भी हो, मेरे और उसी ग्रुप के दूसरे व्यक्ति के बीच गुणात्मक अंतर क्या है?"
इसके बाद उन्होंने दिल्ली पुलिस को दिए गए कुछ संरक्षित अभियोजन पक्ष के गवाहों के बयानों का हवाला देते हुए तर्क दिया कि ये UAPA या किसी भी अन्य अपराध के तहत अपराध नहीं बनते।
एक बयान में यह उल्लेख किया गया कि 8 दिसंबर, 2019 को जंगपुरा में "षड्यंत्रकारी बैठक" हुई, जिसमें उमर खालिद और योगेंद्र यादव व नदीम खान सहित कई अन्य लोग शामिल हुए।
आगे कहा गया,
"उन्होंने (यादव) इस FIR पर एडिटोरियल, एक ओप-एड लिखा, जिसमें उन्होंने सवाल पूछा कि मुझे आरोपी क्यों नहीं बनाया गया... गुणात्मक अंतर क्या है? योगेंद्र यादव और नदीम खान ने क्या किया, जबकि मैंने या शरजील इमाम ने क्या किया? मैं यह नहीं कह रहा कि आपके पास मुझे दोषी ठहराने के लिए और कोई सबूत नहीं है, लेकिन जिस घटना को आप साजिश के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं, उसमें उन लोगों को आरोपी क्यों नहीं बनाया गया? मेरे हिसाब से तो उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया।"
उन्होंने आगे कहा,
"अगर यही वह साजिश है, जिस पर आप आरोप लगा रहे हैं तो फिर दूसरों को आरोपी क्यों नहीं बनाया?"
इसके बाद पेस ने ताहिरा दाऊद नाम की एक महिला के बयान का हवाला दिया, जिसमें कहा गया कि खालिद ने पूरे भारत में विरोध प्रदर्शन करने और मुस्लिम स्टूडेंट्स को इन विरोध प्रदर्शनों में शामिल करने की बात कही थी।
पेस ने कहा,
"मुझे इसमें कोई आतंक नज़र नहीं आता।"
इसके अलावा, उन्होंने परवेज़ आलम नाम के एक व्यक्ति के बयान का भी हवाला दिया, जिसका नाम इस मामले में आरोपी के तौर पर नहीं है। पेस ने कहा कि आलम ने जंगपुरा की बैठक में हर व्यक्ति को एक जैसी भूमिकाएं बताईं या दूसरों को बड़ी भूमिकाएं भी दीं, लेकिन सिर्फ़ खालिद को ही आरोपी बनाया गया, दूसरों को नहीं।
पेस ने तर्क दिया,
"जंगपुरा की जिस बैठक की बात इस व्यक्ति ने की है, उसमें वह हर व्यक्ति को एक जैसी भूमिकाएं बताता है या दूसरों को कोई न कोई भूमिका देता है। आरोपी नहीं। कुछ लोगों को तो वह बड़ी भूमिकाएं भी देता है। लेकिन मैं आरोपी हूं और वे नहीं। यह कैसे आपराधिक है, यह समझ से परे है। किसी ने भी मुझे कोई फ़ैसला नहीं बताया।"
संरक्षित अभियोजन पक्ष के गवाह ब्रावो के बयान का हवाला देते हुए पेस ने कहा कि डीपीएसजी समूह, जिसे साजिश का शुरुआती बिंदु बताया जा रहा है, उसकी शुरुआत राहुल रॉय और सबा दीवान ने की थी, दोनों ही आरोपी नहीं हैं।
उन्होंने कहा,
"कौन क्या करेगा, इसकी सारी भूमिकाएं सबा ने अलग-अलग लोगों को दी हैं। उमर खालिद ने कोई काम नहीं दिया... आप मेरी भूमिका को दूसरों से ऊंचा या नीचा कैसे बता सकते हैं?"
इस मामले की सुनवाई अब 14 अक्टूबर को होगी।

